गुजरात में सवली में कुल 210 आधुनिक डिब्बे बनाए जाएंगे
एल्सटॉम ने आरआरटीएस फेज़ 1 के दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ सेमी हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए क्षेत्रीय सवारी व ट्रांज़िट ट्रेनों के निर्माण का काम शुरू कर दिया है। पिछले साल यानी मई 2020 में कंपनी के साथ इन ट्रेनों के 210 डिब्बों की डिज़ाइन, निर्माण व आपूर्ति के अलावा 15 सालों के लिए उनके विस्तृत रखरखाव का करार किया गया था।
करार के मुताबिक, एल्सटॉम 30 क्षेत्रीय सवारी ट्रेनों की आपूर्ति करेगा, जिनमें से प्रत्येक में छह डिब्बे होंगे और 10 इंट्रासिटी मास ट्रांज़िट ट्रेनों में से प्रत्येक तीन डिब्बों वाली होगी। ये आरआरटीएस ट्रेनें सौ फीसदी स्वदेश निर्मित होंगी और सवली (गुजरात) में एल्सटॉम की फैक्टरी में बनाई जाएंगी, जिनमें 80 फीसदी से ज्यादा जरूरतें स्थानीय स्तर पर पूरी की जाएंगी है। इस फैक्टरी में बोगियां, डिब्बों का ढांचा तो बनेगा ही, ट्रेनों का परीक्षण भी होगा। ट्रेनों का प्रोपल्शन सिस्टम और इलेक्ट्रिकल्स गुजरात में ही मानेजा में कंपनी की दूसरी फैक्टरी में बनाए जा रहे हैं।
एल्सटॉम इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर एलेन स्पोह्रए का कहना था, “यह परियोजना भारत के क्षेत्रीय रेल परिवन सेवा में बुनियादी बदलाव लाने वाली (गेमचेंजर) होगी, जो लाखों लोगों को लाभान्वित कर सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देगी। हमें देश की पहली सेमी हाई-स्पीड यात्री सेवा के लिए प्रौद्योगिकी की दृष्टि से उन्नत ट्रेनों का स्थानीय स्तर पर निर्माण शुरू करने की खुशी है। एल्सटॉम में हमारा ध्यान ऐसे उत्पाद तैयार करने पर रहता है जो आने वाले कई दशकों तक परिचालन कुशलता बनाए रखकर समय की कसौटी पर खरे उतरते हैं।”
भारत के इस पहले रीज़नल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (आरआरटीएस) के लिए ट्रेन का डिज़ाइन सितंबर 2020 में पेश किया गया था। दिल्ली के प्रतिष्ठित स्मारक, लोटस टैंपल से प्रेरित इन नई ट्रेनों का नया, आधुनिक व उन्नत स्वरूप भारत की संपन्न विरासत और निरंतरता के अद्वितीय मेल को प्रतिध्वनित करता है। ये सेमी हाई-स्पीड एरोडायनमिक ट्रेनें न केवल ऊर्जा कुशल होंगी बल्कि ये अत्याधुनिक खूबियों से लैस होंगी जिससे यात्रियों को बेहतरीन सुविधा व अनुभव मिल सके, उन्हें भी जो शारीरिक रूप से किसी चुनौती को झेल रहे हैं।
इन ट्रेनों का निर्माण भारत में यात्रियों के लिए क्षेत्रीय परिवहन के भविष्य में परिवर्तन लाने के लिए किया जा रहा है। आरआरटीएस कॉरिडोर भारत में सबसे तेज गति की ट्रेनों का संचालन करेगा जो 180 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने के लिए डिज़ाइन की जाएंगी। सही एर्गोनोमिक्स, सुरक्षा, कम जीवन-चक्र लागत और उच्च रिसाइक्लेबिलिटी की वजह से ये ट्रेनें जन परिवहन का एक टिकाऊ व आकर्षक विकल्प पेश करेंगी। इनसे न केवल सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक की मुश्किल से बल्कि प्रदूषण से भी राहत मिलेगी।
एल्सटॉम के काम के दायरे में इस 82.15 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर के लिए सिग्नलिंग व ट्रेन कंट्रोल, सुपरविज़न, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर व टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम की डिज़ाइन, आपूर्ति, टेस्टिंग व कमीशनिंग शामिल है। यह भारत की पहली लाइन होगी, जिसमें यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ईटीसीएस) हाईब्रिड लेवल 2 सिग्नलिंग सिस्टम अपनाया जाएगा, जो यूरोपीय रेल ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ईआरटीएमएस) का मुख्य सिग्नलिंग व ट्रेन नियंत्रण अंग है।
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