मुगल बादशाहों में सबसे सादा और गुमनाम सा है औरंगज़ेब का मकबरा
इस समय देश में औरंगज़ेब के नाम पर बवाल है, और बवाल वही काट रहे हैं जिन्हें औरंगज़ेब और देश के इतिहास का कोई ज्ञान नहीं और जो सिर्फ व्हाट्सएप्प और चंद बेसिरपैर के इतिहासकारों के बूते अपनी फर्जी देशभक्ति का झंडा गाड़ते रहते हैं। बहरहाल, इस बवाल को किनारे रख, आइए हम चलते हैं और देखते हैं कि वाकई औरंगज़ेब की कब्र कहां है और किस हाल में हैं।
औरंगजेब ने आखिरी सांस ली थी अहमदनगर के निकट भिंगर में। वहां से उनके बेटे आजम शाह व बेटी ज़ीनत-उन-निस्सा उन्हें रौजा लेकर आए और यहां उन्हें दफन किया। अहमदनगर में भी जहां मरने के बाद कुछ वक्त उन्हें रखा गया था, वहां एक मकबरा बताया जाता है। औरंगजेब की ख़्वाहिश के अनुसार खुल्दाबाद में उनकी बेनाम कब्र बिना किसी छत के कच्ची रखी गई थी और उस पर मिट्टी में एक पौधा लगाया गया था। पहले यहां मिट्टी का ही फर्श और लकड़ी की जाली थी। लेकिन अंग्रेज वायसराय कर्जन ने कब्र पर सफेद संगमरमर लगवाया और उसके चारों तरफ संगमरमर की ही जाली लगवाई।
हालांकि कुछ इतिहासकारों का यह भी कहना है कि कर्जन से पहले हैदराबाद के निजाम ने भी इस जगह को पक्का करने की कोशिश की थी। फिर भी औरंगज़ेब से पहले के सारे मुगल बादशाहों के मकबरे से तुलना करें तो यह मकबरा बेहद साधारण सा है, यहां तक कि तमाम नवाबों, सुल्तानों, निजामों और सूफी संतों के मकबरे से भी बेहद साधारण। अब यह बात बड़ी अजीब लगती है कि जिस औरंगज़ेब ने किसी भी मध्यकालीन शासक की तुलना में सबसे लंबे समय तक राज किया और जिसके शासन में मुगलों का तकरीबन पूरे भारतीय प्रायद्वीप पर कब्जा था, और जिसके बारे में हर तरह के किस्से सुनाए जाते हैं, वह हमेशा चाहता था कि उसकी मौत के बाद उसे याद तक न रखा जाए। यह अलग बात है कि उनकी मौत के तीन सौ बीस साल बाद भी उनका नाम लेकर देश में आग लगाई जा रही है। इतिहासकार बताते हैं कि औरंगजेब ने अपनी कच्ची कब्र पर आने वाले खर्च के लिए भी धन अपने आखिरी सालों में टोपियां सिलकर पहले ही जुटा लिया था।
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