आपको पता है, कोरोना वायरस का प्रहार आपके शरीर को ही नहीं बल्कि आपके पासपोर्ट को भी कमजोर कर देता है। अगर नहीं मानते तो अमेरिकी पासपोर्ट से पूछिए। जिस तरह से अमेरिका कोविड-19 की मार से सबसे ज़्यादा जूझ रहा है रहा है, उसी तरह से उसका पासपोर्ट भी अपनी ताकत खो रहा है। अब जाहिर है कि पासपोर्ट की ताकत का मतलब है कि आपको आपका पासपोर्ट दुनिया में कहां-कहां की सैर कैसे करा सकता है। कोविड-19 से ठीक पहले की दुनिया में इतिहास में किसी भी समय के मुकाबले आने-जाने की खासी आजादी थी। हवाई यातायात दशकों से निरंतर स्थिर गति से बढ़ रहा था और दुनिया का कोई भी पासपोर्टधारी औसतन दुनिया के 107 स्थानों पर वीज़ा-मुक्त अथवा आगमन-पर-वीज़ा की सुविधा का आनंद ले रहा था। लेकिन अस्थायी ही सही, आने-जाने पर पाबंदियों का दौर फिर लौट आया है।
हेनले पासपोर्ट सूचकांक दुनिया के सबसे यात्रा-अनुकूल पासपोर्ट का समय-समय पर मूल्यांकन करता रहता है। उसने अपनी ताजा रिपोर्ट जारी की है। मजे की बात है कि एक बार फिर देशों का पासपोर्ट दुनिया के ज्यादातर देशों की कुंजी खोलने वाला साबित हो रहा है, हालांकि इनमें भारत नहीं है। इस इंडेक्स के अनुसार जापान का पासपोर्ट दुनिया में सबसे अव्वल है जो दुनिया की 191 देशों में वीज़ा-मुक्त अथवा आगमन-पर-वीज़ा सुविधा उपलब्ध कराता है। सिंगापुर दूसरे नंबर है और उसका स्कोर है 190। कुल 189 के स्कोर के साथ दक्षिण कोरिया व जर्मनी तीसरे स्थान पर हैं।
हालांकि सूचकांक की तरफ से जो मानक रैंकिंग हर साल जारी की जाती है, उसमें अस्थायी पाबंदियों को जगह नहीं दी जाती। लेकिन ये अस्थायी पाबंदियां ही हैं जो इस मले को थोड़ा रोचक बनाती हैं। तब पता चलता है कि जिनके पासपोर्ट कभी काफी ताकतवर हुआ करते थे, उनके लिए इस समय घूमने की आजादी के वाकई क्या मायने हैं। जैसे कि बीती 1 जुलाई को यूरोपीय यूनियन ने उन 14 देशों की सूची जारी की थी जिनके निवासियों को महाद्वीप में आने की इजाजत होगी। कोविड-19 फैलने के बाद दुनियाभर में हवाई यातायात और देशों की सीमाएं बंद हो गई थीं।
अब जब सीमाएं फिर से खुलने लगी हैं जो दुनिया में देशों के सबसे बड़े ब्लॉक ईयू ने स्वास्थ्य व सुरक्षा मानकों के अनुरूप जो सूची जारी की उसमें जापान भी शामिल था और दक्षिण कोरिया भी। उसी तरह आस्ट्रेलिया व कनाडा को भी जगह मिल गई जो पासपोर्ट सूचकांक में नौंवी रैंक पर हैं। लेकिन महामारी से निबटने में कुछ बड़े देशों ने जो लापरवाही दिखाई, उसका कड़ा दंड देते हुए सूची में न तो अमेरिका शामिल था और न ही ब्राजील व रूस। ऐसे में इनके पासपोर्ट की ताकत कम होना लाजिमी था।
तो अबकी जो स्थिति है उसके अनुसार अमेरिकी पासपोर्ट 158 देशों में ही पहुंच बना सकता है जो कोविड-19 से पहले के दौर की तुलना में 27 देश कम है। तो अमेरिका जहां मानक रैंकिंग में सातवें स्थान पर है, वहीं ईयू की पाबंदी के चलते उसके पासपोर्ट के घूमने की आजादी उतनी ही है जितनी मैक्सिको (जो रैंकिंग में 159 के स्कोर के साथ 25वें स्थान पर है) और उरुग्वे (153 के स्कोर के साथ रैंकिंग में 28वां) को हासिल है। अगर आपको बारत के पासपोर्ट की स्थिति जानने में रुचि है तो हम बता दें कि वह आपको केवल 58 देशों में वीज़ा-मुक्त अथवा आगमन-पर-वीज़ा सुविधा दिलवा सकता है और इसके लिए उसकी रैंकिंग दुनिया में 85वें स्थान पर है। कोविड-19 से हमारे पासपोर्ट की स्थिति न बिगड़ी है और न ही सुधरी है।
ईयू की सूची में से बाहर रखे गए ब्राजील व सिंगापुर भी अपनी रैंकिंग की तुलना में फिलहाल कम आजादी पा रहे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि इन अस्थायी दिखने वाली पाबंदियों का असर दूरगामी होगा। घूमने की आजादी पर महामारी का प्रभाव उससे कहीं ज्यादा पड़ने वाला है जितना की पहले अनुमान लगाया जा रहा था। आने वाले समय में इसमें और उठापटक देखने को मिल सकती है।
हालांकि हेनले एंड पार्टनर्स का पासपोर्ट सूचकांक इस तरह के कुछ और सूचकांकों की फेहरिस्त में शामिल जो पासपोर्ट की सेहत बतलाते हैं। कई वित्तीय फर्म इस तरह के सूचकांक चलाती हैं।हेनले के पासपोर्ट सूचकांक में दुनिया के 199 पासपोर्ट व 227 जगहें शामिल हैं। जब भी कहीं किसी वीजा नीति में कोई बदलाव होता है तो इसमें तुरंत संशोधन होता है। इसी तरह आर्टन कैपिटल्स का भी पासपोर्ट सूचकांक है जो दुनिया के 193 संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों और छह क्षेत्रों के पासपोर्ट पर निगरानी रखता है। इसके 2020 के सूचकांक में जापान व न्यूजीलैंड शीर्ष पर थे।
You must be logged in to post a comment.