किसी भी जगह की किसी दूसरे देश की जगह से तुलना करना बड़ा अजीब लगता है, खासकर प्रकृति के संदर्भ में। लेकिन कई बार किसी कम लोकप्रिय जगह को किसी जानी-मानी जगह के बरक्स रखना दरअसल उसे पहचान दिलाने में मदद जरूर करता है। आंध्र प्रदेश में गांडिकोटा ऐसी ही जगह है, जिसे लोग भारत का ग्रांड कैनयन कहते हैं। जाहिर है, यह नाम देने वालों को ग्रांड कैनयन के बारे में पता होगा। जिन्हें न बता हो, वो इतनाभर जान सकते हैं कि अमेरिका के एरिजोना में स्थित ग्रांड कैनयन प्रकृति का नायाब करिश्मा है, जिसमें चट्टानी पहाड़ों के बीच गहरी खाइयां बनी हैं और सैकड़ों-हजारों सालों में हवा व पानी के प्रवाह से इन खड्ड में चट्टानों पर प्रकृति की मानो चित्रकारी सी हो गई है।
गांडिकोटा में भी कुदरत ने ऐसा ही करिश्मा दिखाया है। कुछ ऐसा कि वहां जाकर आपको यकीन नहीं होगा कि भारत में किसी जगह का नजारा देख रहे हैं। खड्ड का आकार उम्मीदों से कहीं ज्यादा विशाल है। खुला नीला आसमान, सूरज में चमकती चट्टानें और चट्टानी दर्रे के बीच बहती बल खाती नदी- सब मिलकर यहां के नजारे को चार चांद लगाते हैं। ऐसी जगह पर लगभग वीराने में शाम होने पर सूरज को डूबते देखना कल्पनातीत अनुभव है। यह सोचकर हैरानी होती है कि भारत की इस विलक्षण जगह के बारे में स्थानीय इलाके से बाहर के लोगों को बहुत कम ही पता है।
गांडिकोटा एर्रामला पहाड़ियों की श्रृंखला में पेन्नार नदी के प्रवाह से बनी गहरी खाई के लिए जाना जाता है। गांडि का मतलब तेलुगू में होता है खाई। यहां की पहाड़ियों को गांडिकोटा पहाड़ियों के नाम से जाना जाता है और यहां खाई के किनारे पहाड़ी पर गांडिकोटा किला स्थित है। दरअसल, यहां की कुदरती संरचना ऐसी हो गई है कि किले के नीचे बहती पेन्नार नदी के प्रवाह ने पहाड़ को मानो काट सा दिया है। इसलिए यहां नदी का पाट महज तीन सौ फुट के लगभग ही है लेकिन उसकी गहराई बहुत ज्यादा है। यह कुदरती बनावट ही यहां किला बनाने के लिए सबसे प्रेरक साबित हुई होगी क्योंकि यह खड्ड किले की प्राचीर की सुरक्षा के लिए प्राकृतिक खंदक का काम करती रही होगी।
क्या करें
वैसे तो गांडिकोटा की ख्याति भारत की ग्रांड कैनयन के रूप बनने लगी है लेकिन वहां जाने पर आप कई और चीजों का आनंद ले सकते हैं-
गांडिकोटा किले की सैरः मीलों में फैला गांडिकोटा का विशाल किला 13वीं सदी में बना था। लाल पत्थर के बने इस किले में कई शानदार महल हैं, पत्थरों पर नक्काशी का शानदार काम है, कई जलधाराएं हैं जो इलाके में खेती को सिंचित करती हैं और पांच मील लंबा किले का परकोटा है। किले में एक मंदिर भी है जो लगभग किले के साथ ही बना था और पास ही में एक मसजिद है जो बाद में बनाई गई। आप किले के परकोटे के साथ-साथ सैर कर सकते हैं और साथ में दिन के बदलते पहर के साथ नीचे बहती नदी और कैनयन की प्राकृतिक संरचना की रंगत में आते बदलाव का आनंद ले सकते हैं। यह कुदरत के साथ-साथ इतिहास के एक दौर से रु-ब-रु होना है।
कुदरत का करिश्माः गांडिकोटा में चट्टानों की परतों को देखकर ऐसा लगेगा माने किसी ने करीने से काट-काट कर व तराशकर इन्हें यहां रख दिया हो। यहां का नजारा ऐसा ही अद्भुत है। चट्टानों पर चढ़कर ऊपर से इस नजारे को देखिए, आप मोहित हो जाएंगे। लेकिन जरा सावधानी से, क्योंकि इन चट्टानों पर चलना-चढ़ना जोखिमभरा हो सकता है। शाम को जब सूरज डूबने लगेगा तो इस घाटी में उड़ते परिंदे, प्रवासी पक्षी आपको अलग ही अहसास कराएंगे।
गांडिकोटा के मंदिरों की सैरः गांडिकोटा गांव में दो शानदार मंदिर है- माधवराय मंदिर और रघुनाथस्वामी मंदिर। दोनों का शिल्प व स्थापत्य बेहद शानदार है। रघुनाथस्वामी मंदिर लाल ग्रेनाइट का बना है और इसमें स्तंभ हैं, कक्ष हैं, गलियारे हैं लेकिन अजीब बात है कि वहां देवी-देवता की कोई मूर्ति नहीं है। उधर माधवराय मंदिर में पत्थरों पर खासा काम है, आम जनजीवन को खूबसूरती के साथ उकेरा गया है और कई देवी-देवताओं के शिल्प भी वहां हैं। उस इलाके की संस्कृति का शानदार नमूना हैं ये दोनों मंदिर।
जामिया मसजिदः हालांकि इस मसजिद की दीवारों की चमक फीकी पड़ गई है लेकिन यहां का सीधा-सादा इसलामी शिल्प सैलानियों को आकर्षित किए बिना नहीं रहता। यह मसजिद माधवराय मंदिर के ठीक बगल में है औऱ सैकड़ों सालों से इन दोनों का सहअस्तित्व कायम है। मसजिद बड़ी है और भीतर जाने के लिए कई दरवाजे हैं। अंदर जाकर नमाज पढ़ने के लिए मुख्य कक्ष बना है।
रोमांचक गतिविधियां: गांडिकोटा में सभी के लिए कुछ है- इतिहास व प्रकृति प्रेमियों के साथ-साथ रोमांच प्रेमियों के लिए भी। सैलानियों की आवक धीरे-धीरे बढ़ने से अब इस ओर ध्यान जाने लगा है। आप कैनयन में नदी की तरफ नीचे उतर सकते हैं और रॉक क्लाइंबिंग, रैपलिंग, ट्रेकिंग व कयाकिंग आदि का लुत्फ ले सकते हैं। एडवेंचर के लिए यही सबसे बढ़िया मौसम है।
गांडिकोटा किले के निकट ही रायलाचेरुवु झील भी है और माना जाता है राजा कृष्णदेवराय ने पेन्नार नदी का पानी लेकर ही इस झील को बनवाया था। आप यहां भी सुकून के पल बिता सकते हैं। इसके अलावा आप समय निकाल कर पास ही में प्रसिद्ध बेलम गुफाओं को भी देख सकते हैं।
कब जाएं
गांडिकोटा जाने का सबसे उपयुक्त समय सितंबर से फरवरी के बीच है। इस दौरान मौसम खुशनुमा रहता है। गर्मियों के मौसम में यहां जाने पर सुकून नहीं मिलता। ध्यान रखें कि किले के आसपास के इलाके में खाने-पीने का सामान ज्यादा नहीं मिलता। वहां कोई दुकानें नहीं हैं। इसलिए अपने साथ खाने-पीने का सामान जरूर रखें।
कैसे पहुंचे
गांडिकोटा दरअसल एक गांव का नाम है आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में है। कर्नाटक की राजधानी बेंगालुरु यहां से लगभग 280 किलोमीटर की दूरी पर है । इस खूबसूरत रास्ते को तय करने में छह घंटे का वक्त लगता है। गांडिकोटा का इलाका खूबसूरत नजारों और घने जंगलों से घिरा हुआ है। यहां प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है। सबसे निकट का हवाई अड्डा तिरुपति का रेनिगुंटा हवाईअड्डा है जो यहां से 220 किलोमीटर दूर है। यह दूरी तय करने में 4-5 घंटे का वक्त लग जाता है। बेंगालुरु हवाईअड्डा यहां से 345 किलोमीटर दूर है। टैक्सी व बस लेकर भी गांडिकोटा पहुंचा जा सकता है।
ट्रेन से आना हो तो जम्मालामादुगु रेलवे स्टेशन यहां से 18 किलोमीटर है। कडप्पा स्टेशन 77 किलोमीटर और तिरुपति रेलवे स्टेशन 219 किलोमीटर दूर है। बेंगालुरु से सीधी ट्रेन लेकर भी यहां पहुंचा जा सकता है। गांडिकोटा जाने वाली सारी सड़कें भी अच्छी हैं।
कहां रुकें
गांडिकोटा में रुकने के लिए आंध्र प्रदेश के पर्यटन विभाग का गेस्टहाउस है- हरिता। अगर यहां रुकने की जगह न मिलें तो आप गांडिकोटा से दो घंटे के रास्ते पर ताडीपथरी में रुक सकते हैं। यह इलाका फिलहाल सैलानियों के कोलाहल से बचा हुआ है। इसलिए यहां जाकर आप जगह का भरपूर आनंद ले सकते हैं। इतिहास व रोमांच प्रेमियों के लिए यह खासी उपयुक्त जगह है। यही वजह है कि यहां आने वाले लोगों में आम सैलानी कम और रोमांचप्रेमी व बैकपैकर्स ज्यादा होते हैं। गांडिकोटा में आंध्र प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एपीटीडीसी) का परिसर लगभग 10 एकड़ इलाके में फैला हुआ। यहां रुकने के लिए 12 कॉटेज, डाइनिंग हॉल, डॉरमेटरी, खासी बड़ी सी पार्किंग और बच्चों के लिए खेलने की जगह भी है। यहां एसी कमरों में आराम के साथ रुका जा सकता है। यहां रुकने के लिए फोन पर पहले बुकिंग करा ली जाए तो बेहतर है।
कैंपिंग के शौकीन लोग नीचे उतरकर नदी के किनारे टैंट लगाकर भी रुकते हैं। कुछ एडवेंचर ऑपरेटर भी हैं जो सैलानियों को कैंपिंग की सुविधा उपलब्ध कराते हैं यहां कई तरह की रोमांचक गतिविधियां भी हो सकती हैं जिनमें रॉक क्लाइंबिंग, रैपलिंग व कयाकिंग शामिल हैं।
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