कोविड-19 के दौर में हर किस्म की मुश्किल झेल रहे पर्यटन उद्योग को थोड़ी राहत देते हुए गुजरात सरकार ने शुक्रवार को अपनी पहली हेरिटज पर्यटन नीति का ऐलान किया है। इस नीति के तहत ऐतिहासिक महलों, किलों व इमारतों के भीतर हेरिटेज होटल, म्यूजियम, बैंक्वेट हॉल और रेस्तरां खोलने की इजाजत दे दी है। यह नीति उन्हीं ऐतिहासिक इमारतों पर लागू होगी जो 1 जनवरी 1950 से पहले अस्तित्व में थीं। यह नीति देशी-विदेशी सैलानियों को इन ऐतिहासिक इमारतों को नजदीक से देखने, अनुभव करने का मौका देगी।
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पांच साल (2020-25) के लिए लागू की गई इस नई नीति के तहत न केवल नए बनने वाले हेरिटेज होटलों को बल्कि पहले से चल रहे हेरिटेज होटलों को भी अपनी इमारतों में सुधार करने के लिए या उनका विस्तार करने के लिए 5 से 10 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद दी जाएगी। शर्त यही है कि इस काम में इमारत के बुनियादी ढांचे से कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। वित्तीय मदद इस तरह से मिलेगी कि अगर इस काम में 25 करोड़ रुपये तक का निवेश किया जाता है तो सरकार 20 फीसदी सब्सिडी देगी और यह अधिकतम 5 करोड़ रुपये होगी। अगर निवेश 25 करोड़ रुपये से ज्यादा होगा तो अधिकतम 10 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है।
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मदद केवल होटलों के लिए ही नहीं है। नए हेरिटेज म्यूजियम, बैंक्वेट हॉल या रेस्तरां के निर्माण के लिए या फिर मौजूदा की मरम्मत व उसे फिर से तैयार करने के लिए 45 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक की मदद दी जाएगी। कुल तीन करोड़ रुपये तक के निवेश के लिए यह 15 फीसदी की दर से 45 लाख रुपये रहेगी और तीन करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश के लिए यह एक करोड़ रुपये तक रहेगी। इसके अलावा हेरिटेज नीति की अवधि के दौरान लिए जाने वाले कर्ज पर पांच साल तक के लिए 7 फीसदी ब्याज सब्सिडी दी जाएगी और एक साल में इसकी राशि अधिकतम 30 लाख रुपये ही होगी। नीति लागू होने के बाद पहले पांच सालों में सरकार इन हेरिटेज संपत्तियों को बिजली शुल्क में भी सौ फीसदी की राहत उपलब्ध कराएगी। साथ ही राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पर्यटन उत्सवों-आयोजनों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए इन संपत्तियों को शुल्क व मार्केटिंग में भी मदद देगी।
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गुजरात में हेरिटेज संपत्तियों के मालिक कई सालों से एक विशेष नीति की मांग करते आ रहे थे। इस क्षेत्र से जुड़े तमाम लोगों से सलाह-मशविरे के बाद अब यह नीति तैयार की गई है। पर्यटन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य में करीब सौ से ज्यादा हेरिटज इमारतें हैं लेकिन इनमें से महज 20 ही सैलानियों के लिए खुली हैं। सरकार को उम्मीद है कि नई विशेष नीति से न केवल इन संपत्तियों के मालिकों को उनके बेहतर रखरखाव के लिए प्रेरित करेगी बल्कि देशी-विदेशी सैलानियों को मराठों, गायकवाड़ों, राजपूतों, मुगलों, काठी दरबारों की जागीरों व रजवाड़ों को नजदीक से देखने का मौका उपलब्ध कराएगी। इससे पर्यटन को तो बढ़ावा मिलेगी ही, साथ ही बड़ी संख्या में रोजगार का भी सृजन होगा। गुजरात में बड़ी संख्या में प्राचीन शहरों के अवशेष, किले, महल, मकबरे, बावड़ियां व मंदिर हैं। जैन व बौद्ध धर्म के पवित्र स्थानों, पर्वतों के अलावा लोथल में सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष भी हैं। रानी की वाव, चंपानेर और अहमदाबाद के पुराने शहर को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया जा चुका है।
राज्य के पर्यटन विभाग की सचिव ममता वर्मा का कहना है कि राज्य के सौराष्ट्र व दक्षिण गुजरात इलाकों में कई हेरिटेज संपत्तियां हैं जो सैलानियों को आकर्षित कर सकती हैं।
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राज्य सरकार ने हेरिटेज संपत्तियों के अलावा नई होमस्टे नीति भी जारी करते हुए नए दिशानिर्देश तैयार किए हैं। होमस्टे नीति 2014-19 को और ज्यादा पर्यटन अनुकूल बनाया गया है। अब जिन गृहस्वामियों के पास 1 से 6 कमरे हैं, वे सभी पर्यटन विभाग के पास रजिस्ट्रेशन कराके होमस्टे के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस तरह सैलानियों को परिवारों के साथ रहकर राज्य की जीवित सांस्कृतिक विरासत का अनुभव करने का मौका मिलेगा। इन होमस्टे को संपत्ति कर व बिजली के शुल्क में रियायत मिलेगी। राज्य में पहले ही सौ से ज्यादा होमस्टे हैं। इन होमस्टे को पर्यटन विभाग की योजना के तहत सोलर रूफटॉप (छत पर सौर ऊर्जा प्लांट) का भी लाभ मिलेगा। राज्य पर्यटन विभाग होमस्टे मालिकों को हर तरह का प्रशिक्षण व मदद भी उपलबध कराएगा ताकि वे बेहतर मेजबान बन सकें।
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