तीर्थ पर्यटन के विकास में नया कदम उठाते हुए उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) और ट्रिप टू टेंपल्स ने आदि कैलाश और ओम पर्वत के लिए भारत की पहली हेलीकॉप्टर यात्रा की शुरुआत की है। इस नवीनतम पहल के साथ मौसम और भौगोलिक बाधाओं को पार करने में सहायता मिलेगी, जिससे इन पवित्र तीर्थस्थलों को भक्तों के लिए साल में ज्यादा दिनों के लिए सुगम बनाया जा सकता है। यात्रा के पहले दिन 18 तीर्थ यात्रियों ने पहली हेलीकॉप्टर उड़ान के साथ अपनी यात्रा संपन्न की
पहले इन पवित्र स्थलों तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को एक चुनौतीपूर्ण यात्रा तय करनी पड़ती थी। इस यात्रा को पहले कार-जीप यात्रा व फिर एक लंबे दुर्गम रास्ते पर पैदल चलकर मई-जून और सितंबर-अक्टूबर के बीच एक सीमित अवधि में पूरा करना पड़ता था।
खूबसूरत व्यास घाटी में बसा आदि कैलाश शिव-पार्वती के दूसरे निवास के रूप में जाना जाता है। भारत, नेपाल और तिब्बत की सीमा पर मौजूद ओम पर्वत एक प्राकृतिक कृति है जो “ओम” की आकृति में गढ़ा हुआ है। इससे पहले नाभीडांग भारत की ओर से पहुंचा जा सकने वाला निकटतम बिंदु था जो पुराने लिपुलेख दर्रे से 11 किमी दूर था। यह चुनौतियों से भरा एक मुश्किल ट्रेक है।
ट्रिप टू टेंपल्स ने यूटीडीबी के साथ मिलकर तीर्थयात्रा के अनुभव में एक अनोखी शुरुआत की है। सैलानियों के लिए शुरू की गई यात्रा में यात्री अब दोनों स्थानों के हवाई दर्शन कर उसी दिन वापस लौटने की सुविधा पा सकते हैं। 15 अप्रैल से पांच दिवसीय हेलीकॉप्टर यात्रा भी शुरू होगी जिसमें हेलीकॉप्टर से लोग पवित्र स्थलों के पास उतरकर पैदल दूरी को कम करेंगे।
ट्रिप टू टेंपल्स के सीईओ विकास मिश्रा ने यात्राओं की पहुंच बढ़ाने के प्रति अपना समर्पण व्यक्त करते हुए बताया कि हम इस क्षेत्र में तीर्थस्थलों को और अधिक सुविधायुक्त बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार के साथ साझेदारी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि हवाई यात्राएं ज्यादा से ज्यादा समय के लिए चलाई जा सकें, जिससे अधिक से अधिक यात्री अपनी आध्यात्मिक व रोमांचक आकांक्षाओं को पूरा कर सकें।
प्रथम यात्रा में ओडिशा के एक यात्री ब्यासदेव राणा (29) ने अपने इस अविस्मरणीय अनुभव को साझा किया। इससे पूर्व समय और शारीरिक सीमाएं उनकी आस्था के इस महत्वपूर्ण पहलू से जुड़ने की उनकी क्षमता में बाधा बन रही थी। उन्होंने कहा कि अनगिनत अन्य लोगों की तरह अब वे भी अंततः आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन करने में सक्षम हुए हैं।
इसके बाद सर्दियों में भी यह अपनी तरह की भारत में पहली हवाई सेवा होगी जो बर्फ से ढकी व्यास घाटी, आदि कैलाश और ओम पर्वत के मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्यों का अनुभव देगी। तब ज्योलिंगकोंग और नाभीडांग से कठिन ट्रेक को पूरा करने के लिए ऑल-टेरेन वाहन (एटीवी) का भी उपयोग किया जाएगा जिससे बर्फीले रास्तों में जमीनी सफर करना संभव हो सकेगा। यात्रा 15 अप्रैल से 1 मई, 2024 तक जारी रहेगी और नवंबर में फिर से शुरू होगी जो मार्च तक चलेगी।
मिश्रा ने बताया कि, “इस परियोजना के माध्यम से तीर्थयात्रियों के रुकने के लिए गुंजी, नाभी और नपालछू में स्थानीय लोगों के साथ साझेदारी करके सामुदायिक विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। (न्यूजवॉयर)
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