हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपनी सीमाएं पूरी तरह खोल दी हैं। हालांकि सीमाएं तो उसने पहले ही खोल दी थी लेकिन उसने राज्य की सीमा में प्रवेश करने के लिए लगाई सारी शर्तें भी हटा दी हैं। यानी अब आप बेरोकटोक, बिना किसी कागजात, पास या रजिस्ट्रेशन की जरूरत के हिमाचल प्रदेश जाकर हिमालय की बर्फीली चोटियों और नजारों का आनंद ले सकते हैं।
हालांकि यह आपके अपने हित में होगा कि आप कोविड-19 से पूरी तरह बचाव करें क्योंकि पाबंदियां हटाने का मतलब यह नहीं है कि हिमाचल प्रदेश या और कहीं भी कोरोना का खचरा नहीं रहा है। खतरा उतना ही है या हो सकता है पहले से ज्यादा हो लेकिन पर्यटन उद्योग के सामने खड़े अस्तित्व के संकट के देखते हुए ज्यादा से ज्यादा सैलानियों को राज्य में आने का मौका देना निहायत जरूरी हो गया था। गर्मियों का सीजन पहले ही खो चुके पर्यटन उद्योग के लिए एक औऱ सीजन खो देना बहुत घातक हो जाता।
राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया कि अब कोई भी व्यक्ति बगैर किसी ई-पास या कोविड-19 की नेगेटिव रिपोर्ट के राज्य में प्रवेश कर सकेगा। मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल ने इस आशय का फैसला लेने के बाद बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विधानसभा में इसका ऐलान कर दिया। इसी के साथ राज्य में आने वाले सैलानियों के लिए कम से कम पांच दिन की होटल बुकिंग की अनिवार्यता को भी खत्म कर दिया गया है। न ही बाहर से आने वालों के लिए क्वारेंटाइन की कोई शर्त होगी। इससे खास तौर पर शिमला व धर्मशाला जैसे हिल स्टेशनों को खास फायदा होगा, जिनके पास बड़ी संख्या में वीकेंड टूरिस्ट आता है।
हालांकि अंतर-राज्यीय बस सेवाओं पर फिलहाल पाबंदी रहेगी, यानी आपको हिमाचल प्रदेश जाना है तो अपने साधन से जाना होगा। इसलिए यदि आप बर्फ गिरने और रास्ते बंद होने से पहले लाहौल व स्पीति घाटियों की तरफ एक चक्कर इस साल का भी लगा लेना चाहते हैं तो आपके लिए यही मौका है। वैसे भी बेहतर यही होगा कि राज्य में जाने वाले सैलानी भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। इससे सभी लोग महामारी की आशंका से बचे रहेंगे। अभी तक राज्य में बाहर से आने वाले सभी लोगों को उपायुक्त के पास रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता था। पिछली सारी पाबंदियां 15 सितंबर तक के लिए ही लागू की गई थीं।
होटल उद्योग को खास तौर पर इससे काफी राहत मिलेगी। मनाली की होटलें पहले ही 1 अक्टूबर से काम शुरू करने का फैसला कर चुकी हैं। शिमला व धर्मशाला की होटलें भी नियमों में ढील दिए जाने के हक में थीं। राज्य में शराब के बार व रेस्तरां पहले ही 15 सितंबर से खुल चुके हैं। लिहाजा, आम लोग भले ही कोरोना के फैलने की आशंका से भयभीत हों, लेकिन राज्य के बाहर के सैलानी और राज्य के भीतर के होटल व पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग तो इससे राहत ही महसूस कर रहे हैं। और घोषणा के एक ही दिन बाद राज्य की सीमा चौकियों के नजारे से यह साफ हो गया कि तमाम लोग बेसब्री से इस घोषणा का इंतजार कर रहे थे। औऱ, खुद केंद्र सरकार का लगातार जोर इस बात पर था कि लोगों की आवाजाही पर कम से कम रोकटोक रहे। लगातार इस बात की कोशिशें हो रही हैं कि केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदियों के अलावा और किसी किस्म की पाबंदी राज्यों के स्तर पर न लगाई जाए।
इस घोषणा का असर पहले ही दिन नजर भी आने लगा। बड़ी संख्या में लोग आसपास के राज्यों से पहुंचने लगे। बुधवार दोपहर तक नाके हट गए और आवाजाही खुली हो गई। सबसे ज्यादा असर कालका के आगे परवाणु की नाका चौकी पर दिखाई दिया। कांगड़ा में कंडवाल बैरियर, ऊना में मैहतपुर और सिरमौर में भी दूसरे राज्यों से लोग पहुंचने लगे।यह खबर उन रोमांचप्रेमियों के लिए भी सुकून वाली है जो हर साल लाहौर व स्पीति घाटियों में बाइकिंग, ड्राइविंग व ट्रेकिंग के लिए जाते हैं लेकिन इस साल उन्हें इसका मौका अब तक नहीं मिल सका था। अब उनके पास थोड़ा वक्त है जिसमें सर्दी में रास्ते बंद होने से पहले वह थोड़ा-बहुत रोमांच टटोल सकें।
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