इस ऐतिहासिक कस्बे को देखे बिना कुल्लू-मनाली की यात्रा अधूरी समझी जाती है। दरअसल कई मायनों में इसकी अहमियत आसपास की बाकी प्रमुख जगहों के बराबर ही है कुल्लू-मनाली को दुनिया भर में अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है। हर पर्यटक अपने जीवन में इन जगहों को एक बार तो जरूर निहारने की इच्छा रखता है। यही कारण है कि अमूमन पूरे साल भर यहां सैलानियों का तांता लगा रहता है। कुल्लू से मनाली की ओर थोड़ा सा आगे ही राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 पर पतली कुल्ह से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर व्यास नदी को पार करके हम एक ऐतिहासिक स्थान ‘नग्गर’ पहुंचते हैं। यह वह जगह है जिसे देखे बिना आपकी कुल्लू-मनाली की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी। दरअसल माना जाता है कि कुल्लू के इतिहास और सांस्कृतिक पहलुओं की जड़ें इसी जगह पर विद्यमान हैं। तो आइए, फिर देर किस बात की...
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कुल्लू-मनाली और लाहौल-स्पीति घाटियों के लिए सबसे निकट के हवाई अड्डे भुंतर के लिए 16 जुलाई से विमान सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी। एयर इंडिया की एलायंस एयर का विमान बृहस्पतिवार से सप्ताह में तीन दिन दिल्ली से भुंतर और फिर वापसी की उड़ान भरेगा। कोविड-19 महामारी के कारण देश में विमान सेवाएं भी स्थगित कर दी गई थीं। बाकी कई शहरों के बीच तो उड़ानें मई के अंत में शुरू हो गई थीं। भुंतर के लिए अब सेवाएं शुरू की जा रही हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस महीने के शुरू में राज्य में देश के बाकी हिस्सों से सैलानियों के आने की इजाजत दे दी थी। राज्य के दूसरे हवाई अड्डे, कांगड़ा घाटी में धर्मशाला के निकट गग्गल के लिए उड़ानें मई के आखिरी सप्ताह में शुरू हो गई थीं लेकिन तब केवल हिमाचल निवासियों को ही हवाई सेवा के इस्तेमाल की इजाजत दी गई थी। अब भुंतर में हवाई जहाज से आने वाले यात्रियों के लिए भी उसी स्वास्थ्य प्रोटो...
Read Moreहिमाचल में ऐसी बहुत सी हैरतअंगेज, दिलचस्प और रहस्य से परिपूर्ण जगहें हैं जहां तक पहुंच पाना अपने आप में रोमांच और साहस का परिचायक होता है। इसी कड़ी में एक नाम जुड़ जाता है कुल्लू घाटी में स्थित ‘सरयूल सर’ का। चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 से 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस सर की यात्रा हमें ऐसी जगहों से परिचित करवाती है जो प्राकृतिक सौंदर्य से तो लबालब हैं ही, साथ ही अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी जाने जाते हैं। इन क्षेत्रों का रहन-सहन और अथक मेहनत से भरा जीवन हमें सदा कर्म करने की सीख दे जाता है। जलोड़ी जोत इस यात्रा का सबसे ऊंचाई पर बसा स्थल है। इस इलाके की खूबसूरती के आकर्षण के चलते यहां बॉलीवुड की लोकप्रिय फिल्म 'ये जवानी है दीवानी’ और कई हिमाचली एलबम व फिल्म की शूटिंग भी हो चुकी है। सरयूलसर झील के किनारे बूढ़ी नागणी का मंदिर अजूबे से कम नहीं जलोड़ी...
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