नल सरोवर भारत में ताजे पानी के बाकी नम भूमि क्षेत्रों से कई मायनों में भिन्न है। सरदियों में उपयुक्त मौसम, भोजन की पर्याप्तता और सुरक्षा ही इन सैलानी पक्षियों को यहां आकर्षित करती है। सरदियों में सैकड़ों प्रकार के लाखों स्वदेशी पक्षियों का जमावड़ा रहता है। इतनी बड़ी तादाद में पक्षियों के डेरा जमाने के बाद नल में उनकी चहचाहट से रौनक बढ़ जाती है। सितंबर 2012 में इसे अंतरराष्ट्रीय महत्व का रामसर नम भूमि क्षेत्र के रूप में घोषित कर दिया गया था। नल में इन्हीं उड़ते सैलानियों की जलक्रीड़ाएं व स्वर लहरियों को देखने-सुनने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां प्रतिदिन जुटते हैं। पर्यटकों के अतिरिक्त यहां पक्षी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, शोधार्थी व छात्रों का भी जमावड़ा लगा रहता है तो कभी-कभार यहां पर लंबे समय से भटकते ऐसे पक्षी प्रेमी भी आते हैं जो किसी खास पक्षी के छायाचित्र भी उतारने की तलाश में रहते...
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कोविड-19 के दौर में हर किस्म की मुश्किल झेल रहे पर्यटन उद्योग को थोड़ी राहत देते हुए गुजरात सरकार ने शुक्रवार को अपनी पहली हेरिटज पर्यटन नीति का ऐलान किया है। इस नीति के तहत ऐतिहासिक महलों, किलों व इमारतों के भीतर हेरिटेज होटल, म्यूजियम, बैंक्वेट हॉल और रेस्तरां खोलने की इजाजत दे दी है। यह नीति उन्हीं ऐतिहासिक इमारतों पर लागू होगी जो 1 जनवरी 1950 से पहले अस्तित्व में थीं। यह नीति देशी-विदेशी सैलानियों को इन ऐतिहासिक इमारतों को नजदीक से देखने, अनुभव करने का मौका देगी। अहमदाबाद के निकट अदलाज वाव पांच साल (2020-25) के लिए लागू की गई इस नई नीति के तहत न केवल नए बनने वाले हेरिटेज होटलों को बल्कि पहले से चल रहे हेरिटेज होटलों को भी अपनी इमारतों में सुधार करने के लिए या उनका विस्तार करने के लिए 5 से 10 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद दी जाए...
Read Moreजब कोई जगह दुनिया में अकेली हो तो उसे देखने का रोमांच कुछ ज्यादा ही होता है। गुजरात के जूनागढ़ जिले में स्थित गिर नेशनल पार्क के साथ कुछ ऐसी ही बात है। वह दुनिया में एशियाई शेरों का अकेला बसेरा है। यहां के अलावा खुले जंगल में शेर दुनिया में केवल अफ्रीका में हैं लेकिन वे अफ्रीकी शेर हैं। गिर नेशनल पार्क 16 अक्टूबर से 15 जून तक सैलानियों के लिए खुला रहता है। गिर का परमिट देश के तमाम राष्ट्रीय पार्कों की ही तरह गिर राष्ट्रीय पार्क में जाने के लिए भी परमिट की आवश्यकता होती है। लेकिन अक्सर इसकी औपचारिकताओं के बारे में लोगों को जानकारी कम होती है, जिससे सैलानियों को वहां पहुंचकर परेशानी का सामना करना पड़ता है। गिर में मुख्य नेशनल पार्क में जाने के लिए रोजाना तीन सफारी होती हैं। एक सवेरे छह बजे से, दूसरी सवेरे नौ बजे से और तीसरी दोपहर बाद तीन बजे से। हर सफारी के लिए कुल 46 परमिट आधिकार...
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