जैसे ही मैं दक्षिण के मैकलोडगंज का शब्दचित्र बांधने लगी हूं, मेरी आंखों के आगे वही वैभवशाली भवन आकार लेने लगा है जिसे देखकर मेरे मुंह से एक ही शब्द निकला था.. वाह! और इसके साथ ही कानों में गूंजने लगी हैं मंत्रोच्चार की ध्वनियां.. जिन्हें सुनते ही मेरा सारा तनाव बह निकला और मुझे लगा कि मैं ध्यान के सागर में गोते लगा रही हूं। मैं एक ऐसी बस्ती की बात कर रही हूं जिसे भारत में तिब्बती विस्थापितों का दूसरा सबसे बड़ा ठिकाना कहा जा सकता है बायलाकूपे है तो कर्नाटक के मैसूर जिले में, लेकिन मैसूर से यहां तक पहुंचने में करीब दो घंटे का वक्त लग जाता है। बहुत कम लोग होंगे जो मैसूर जाने के दौरान बायलाकूपे आते होंगे। अक्सर लोग जब कूर्ग घूमने जाते हैं, तब बायलाकूपे का रुख करते हैं। जब आप कूर्ग से मैसूर जाते हैं, तो कूर्ग के कुशलनगर से बाहर निकलते ही दाईं तरफ का मोड़ आपको पांच किलोमीटर के...
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