मध्य प्रदेश तो इतिहास, कला, स्थापत्य, शिल्प, परंपरा, प्राकृतिक सौंदर्य और वन्य जीव संरक्षण क्षेत्रों का खज़ाना है, लेकिन इस बार मेरा मन अटक गया महेश्वर पर। दिल्ली से इंडिगो की सवेरे 11 बजे की फ्लाइट ली और डेढ़ घंटे में आ पहुंचे हम इंदौर एयरपोर्ट पर। वहां पहले से ही बुक की हुई टैक्सी पकड़ी और चल पड़े सीधे महेश्वर की ओर। इंदौर नगर पार करते-करते कुछ भूख महसूस हुई तो ए.बी. रोड पर राजेंद्र नगर में ड्राइवर ने श्रीमाया सेलिब्रेशन रेस्टोरेंट के सामने गाड़ी को रोक दिया। घाट पर कुछ साधु बैरागी अलमस्त अपने में मग्न, तो कहीं स्नान करते श्रद्धालु और, उधर पश्चिम में सूर्य अपनी सुनहरी आभा के साथ विदा लेने की तैयारी में... महेश्वर का यह बहुत ही सुंदर नज़ारा था साफ़ और सुंदर, हरियाली से घिरे इस स्पेशियस रेस्टोरेंट में मल्टी-क्यूज़िन व्यंजन उपलब्ध हैं, और साथ में हैं चुस्त सेवा। मेन्यू देखिए, पेमेंट...
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कालिंजर को कालजयी यूं ही नहीं कहा जाता है। इसने कालखंड के प्रत्येक प्रसंग को, चाहे वो प्रागैतिहासिक काल के पेबुल उपकरण हों, पौराणिक घटनाएं हों या 1857 का विद्रोह हो, सबको बहुत ही खूबसूरती से अपने आंचल में समा रखा है। वेदों में उल्लेख के आधार पर जहां इसे विश्व का प्राचीनतम किला माना गया है, वहीं इसके विस्तार और विन्यास को देखते हुए आधुनिक एलेक्जेंड्रिया से भी श्रेष्ठ। वेदों में इसे रविचित्र और सूर्य का निवास माना गया है। पद्म पुराण में इसकी गिनती नवऊखल अर्थात सात पवित्र स्थलों में की गई है। मत्स्य पुराण में इसे उज्जैन और अमरकटंक के साथ अविमुक्त क्षेत्र कहा गया है। जैन ग्रंथों और बौद्ध जातकों में इसे कालगिरि कहा गया है। कालिंजर का पौराणिक महत्व शिव के विष पान से है। कुछ लोगों का कहना है कि कालिंजर शिव का ही एक नाम है जिसका अर्थ है मृत्यु का नाश करने वाला। समुद्र मंथन में मिले कालकूट के पान ...
Read Moreउत्तर भारत में जहां हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड और मध्य प्रदेश पर्यटन उद्योग को फिर खड़ा करने के लिए सैलानियों को बुला रहे और नियमों में ढील दे रहे हैं, वहीं कर्नाटक में कोविड-19 के संक्रमण में अचानक फिर से तेजी आ जाने से कई लोकप्रिय सैलानी स्थलों पर सभी होमस्टे, होटल व रिज़ॉर्ट बंद करने के लिए कहा जा रहा है कोडागु (कूर्ग), चिक्कमगलुरु व हसन में अगले आदेश तक किसी भी नए मेहमान को रुकने न देने और परिसर फिलहाल बंद करने के निर्देश तमाम होटलों को प्रशासन की तरफ से दिए गए हैं। बीते सोमवार को कर्नाटक के पर्यटन मंत्री सी.टी. रवि ने खास तौर पर बेंगालुरु से घूमने जाने वाले लोगों से अपील की थी कि वे इन हिन स्टेशनों की तरफ न उमड़ें। इसी के बाद एक आदेश जारी करते हुए कोडागु उपायुक्त एनीज कनमणि जॉय ने कहा कि सबी रिज़र्ट, होटलों, सर्विस अपार्टमेंटों, रेजीडेंशियल हॉस्टलों व होमस्टे को जिले के बाहर के...
Read Moreउत्तराखंड उन चंद राज्यों में से है जिन्होंने कोविड-19 के दौर में पर्यटन को फिर जिंदा करने के लिए अपने राज्य की सीमा को सैलानियों के लिए फिर से खोल दिया है। हालांकि राज्य के बाहर के लोगों को अभी चार धाम यात्रा पर जाने की इजाजत नहीं है। लेकिन उस इलाके में चार धामों के अलावा भी कई जगहें इस समय देखी जा सकती हैं, चोपता तुंगनाथ उन्हीं में से है उत्तराखंड की हसीन वादियां किसी भी पर्यटक को अपने मोहपाश में बांध लेने के लिए काफी है। कलकल बहते झरने, पशु-पक्षी ,तरह-तरह के फूल, कुहरे की चादर में लिपटी ऊंची पहाडिय़ा और मीलों तक फैले घास के मैदान, ये नजारे किसी भी पर्यटक को स्वप्निल दुनिया का एहसास कराते हैं....चमोली की शांत फिजाओं में ऐसा ही एक स्थान है- चोपता तुगंनाथ। बारह से चौदह हजार फुट की ऊंचाई पर बसा ये इलाका गढ़वाल हिमालय की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। जनवरी-फरवरी के महीनों में आमत...
Read Moreकोविड-19 के दौर में पिछले कुछ महीनों से आना-जाना सब रुका था। अब कई राज्यों ने अपनी सीमाओं को सैलानियों के लिए खोल दिया है, जिनमें हिमाचल प्रदेश भी है। लिहाजा हम यहां ले चल रहे आपको एक ऐसी यात्रा पर जो हिमाचल के किन्नौर इलाके में जुलाई-अगस्त के महीनों में होती है- किन्नर कैलाश की यात्रा। अगर आप जा पाएं तो बेहद शानदार वरना, घुमा तो हम आपको इस लेख से दे ही रहे हैं हिमाचल में यात्राओं का अपना ही रोमांच है लेकिन ये यात्राएं यदि रोमांच के साथ-साथ धार्मिक आस्था से ओत-प्रोत हों तो सोने पे सुहागा जैसी बात हो जाती है। पूरे साल भर अपने उफान में रहने वाली इन यात्राओं में कुछ एक ऐसी यात्राएं हैं जिन्हे तय कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। इन यात्राओं को वही शख्स पूरा कर सकता है जिसके पास गूढ़ आस्था, बुलंद हौसला, प्रकृति से प्रेम और कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तथा जो रोमांच के पलों को जीने की तमन...
Read Moreहिमाचल प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार ने भी कोविड-19 के तहत लागू की गई पाबंदियों में कई छूट का ऐलान किया है। इससे राज्य में पर्यटन उद्योग को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। राज्य के भीतर आने-जाने और दूसरे राज्यों से उत्तराखंड में आने वालों पर लगी पाबंदियां खत्म हो गई हैं। बस यात्रियों को थोड़े मानकों का पालन करना होगा। इनमें हिमाचल की ही तरह राज्य में आने से पहले 72 घंटे के दरम्यान कराई गई कोररोना जांच की नेगेटिव रिपोर्ट सबसे अहम है। तो अब आप बची हुई गर्मियों में पहाड़ों पर घूमने की योजना बना सकते हैं। उत्तराखंड में शीतलाखेत से त्रिशूल व नंदादेवी चोटियों का नजारा अनलॉक-2 में राज्य सरकार ने पर्यटन उद्योग को बड़ी राहत दी है। देशी-विदेशी सैलानियों को सार्वजनिक स्थानों पर जाने की अनुमति दी गई है, जबकि पहले इस पर रोक थी। दूसरे राज्यों से आने वाले सैलानियों को स्मार्ट सिटी वेब पोर्टल (h...
Read Moreगुरु पूर्णिमा (व्यास पूर्णिमा) के दिन अमरनाथ यात्रा के लिए छड़ी मुबारक यात्रा रविवार को सवेरे श्रीनगर से पहलगाम के लिए रवाना हुई, और इसके साथ ही इस साल की यात्रा की विधिवत शुरुआत हो गई। कोविड-19 के कारण इस बार यात्रा की अवधि भी छोटी होगी और श्रद्धालुओं की संख्या भी कम ही रखी जाएगी। आम श्रद्धालुओं के लिए यात्रा 21 जुलाई से ही शुरू होगी और 3 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन संपन्न होगी। एक दिन में अधिकतम 500 यात्रियों को ही जाने की इजाजत रहेगी। रविवार सवेरे ही जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने अपने परिजनों के साथ हेलिकॉप्टर से अमरनाथ पहुंचकर गुफा में पूजा-अर्चना की। रविवार सवेरे छह बजे करीब सौ साधु-संतों और अन्य लोगों के साथ श्रीनगर के दशनामी अखाड़े से पहलगाम के लिए छड़ी मुबारक रवाना हुई। रविवार को ही पहलगाम में अमरनाथ छड़ी मुबारक का भूमि पूजन, नवग्रह पूजन और ध्वजारोहण की रस...
Read Moreकश्मीर में पश्चिमी सीमा पर कामन चौकी से लौटते हुए हम गढ़वाल के उत्तरकाशी में अपने घर जाने के लिए वादियों को पार करने के इरादे से पूर्व की तरफ बढ़ लिए। लेकिन श्रीनगर को पार करने के बाद हम बनिहाल और जवाहर टनल पार करके जम्मू की तरफ जाने के बजाय अनंतनाग और किश्तवाड़ की तरफ मुड़ लिए। अछबल में हम चिनार के पेड़ों के साये तले बने उस शानदार बगीचे में थोड़ा ठहरे जो कभी नूरजहां की सैरगाह हुआ करता था। अछबल का खूबसूरत नजारा रात में हम कोकरनाग में सीआरपीएफ के कैंप में रुके। कोकरनाग अपने पानी के सोतों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इन्हीं का पानी वहां बने शानदार बोटैनिकल गार्डन को सींचता है। अगले दिन अल्लसुबह रवाना होकर हमने राष्ट्रीय राजमार्ग 1बी पकड़ लिया। उसी से हम 3748 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सिंथन टॉप पहुंचे। सिथंन टॉप तक का रास्ता बहुत बढिय़ा था, काली पक्की सड़क। टॉप के बाद जाकर दूसरी तरफ नीचे उतरत...
Read Moreलाट पर गिरकर कपाट के साथ बहते गर्म तेल से मानो भीतर की सारी थकान, जड़ता पिघल-पिघल कर नीचे रिस रही थी। मेरे लिए यह पहला अनुभव था। इतना घूमने के बाद भी स्पा या आयुर्वेदिक मसाज के प्रति कोई उत्साह मेरे भीतर नहीं जागा था, पहली बार केरल जाकर भी नहीं। इसलिए केरल की दूसरी यात्रा में कैराली में मिला यह अहसास काफी अनूठा था क्योंकि शिरोधारा के बारे में काफी कुछ सुना था। माथे पर बहते तेल को एक जोड़ी सधे हाथ सिर पर मल रहे थे। दूसरे जोड़ी हाथ बाकी बदन का जिम्मा संभाले हुए थे। यूं तो अभ्यांगम समूचे बदन पर मालिश की अलग चिकित्सा अपने आप में है, लेकिन बाकी तमाम चिकित्साओं में भी सीमित ही सही, कुछ मालिश तो पूरे बदन की हो ही जाती है। फिल्मों, कहानी-किस्सों में राजाओं, नवाबों, जागीरदारों की मालिश करते पहलवानों के बारे में देखा-सुना था, मेरे लिए यह साक्षात वैसा ही अनुभव था। फर्क बस इतना था कि दोनों बगल...
Read Moreकिसी ने खूब कहा है, घूमना पहले आपको अवाक कर देता है और फिर आपको कहानियां कहने के लिए वाचाल बना देता है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। कुछ समय पहले मेरा विवाह हुआ और मैंने अपनी जीवन-संगिनी के साथ घूमने जाने की कई सारी योजनाएं बनाईं। शादी से पहले हमने सोचा था कि हम यूरोप जाएंगे। लेकिन फिर कुछ वजहों से हमने यूरोप जाने का इरादा छोड़ दिया। विवेकानंद स्मारक कुछ ऐसा हुआ कि विवाह तक यह तय ही नहीं हो पाया था कि हमें बाद में हनीमून के लिए जाना कहां हैं। फिर विवाह के दो दिन बाद हमने योजना बनाई कि घूमने के लिए दक्षिण भारत निकल पड़ते हैं। हमने बेंगालुरु (बैंगलोर) के लिए टिकट बुक कराए और वहां पहुंच गए। लेकिन तब तक भी हमारे दिमाग में इस बात की कोई योजना नहीं थी कि हमें किन जगहों पर जाना है, कहां ठहरना है, क्या करना है। न तो कोई होटल बुक थे और न यह तय था कि हम ट्रेन से जाएंगे, बस से या कैब से। पहला स...
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