लगभग 7000 ईसा पूर्व में जब हिमनदों का सिकुड़ना शुरू हुआ तो अनावृत हुई धरती पर शिकारी जंगली रेनडियरों के पीछे उत्तर की ओर बढ़े। तकरीबन 2500 ईपू के बाद जनजातियों ने खेती करना सीखा। वे 1500 ईपू के आसपास काँसे के औज़ार और हथियार बनाने लगे थे। फिर 500 ईपू में वे लोहा इस्तेमाल में ले आए थे। उस आदिम जाति का नाम अब विलुप्त हो चुका शब्द कोमसा था। इस इलाके के शिकारियों के मौजूदा वंशज लाप्प या उनके अपने शब्द सामी से जाने जाते हैं। वे अब रेनडियरों का पालन करते हैं। उनकी भाषा उराल-अल्ताइक समूह की फिन्नो-उग्रिक परिवार से है जो फिन लोगों से संबंधित है। ये फिन लोग लगभग सौ वर्ष ईस्वी में बाल्टिक समुद्र पार करके आए और धीरे-धीरे उन्होंने सामी लोगों को उत्तर ध्रुवीय इलाकों की ओर धकेल दिया। पहली सदी ईस्वी में फिन्नो-उग्रिक बोलने वाले क़बीले बाल्टिक के पूर्वी तटीय क्षेत्रों में खेती करने लगे। इनमें स्वयं फि...
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फ्रांस के पर्यटन उद्योग में थोड़ी राहत की सांस फूंकते हुए राजधानी पेरिस के दो प्रमुख आकर्षण फिर से सैलानियों के लिए खुल गए हैं। चार महीने बंद रहने के बाद पेरिस का डिज्नीलैंड कोविड-19 की रोकथाम के नए तौर-तरीकों के अमल के साथ आम लोगों के लिए फिर से खुल गया। साथ ही एफेल टावर का सबसे ऊपरी हिस्सा भी लोगों के लिए खोल दिया गया। 19वीं सदी का यह लोहे का बना स्मारक दुनिया के शीर्ष आकर्षणों में से एक माना जाता है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद अपनी सबसे बड़ी बंदी के उपरांत बीती 26 जून को इसके पहले दो माले लोगों के लिए खोले गए थे। अब सबसे ऊपर की मंजिल पर भी लोगों को जाने की इजाजत मिल गई है। दुनिया में अपनी तरह की मनोरंज पार्क की इकलौती व सबसे पुरानी और लोकप्रिय श्रृंखला डिज्नीलैंड ने पेरिस में अपना पार्क खोलने का फैसला अमेरिका के पार्कों को खोलने के बाद किया। हालांकि हांगकांग में उसके पार्क को खुलन...
Read Moreधरती के भी खेल बड़े निराले हैं। हम मिस्र में हजारों साल पहले बने इंसानों के बनाए पिरामिडों की बातें करते हैं और दूसरी तरफ कुदरत है कि किसी जगह पर एक खेल की तरह पिरामिड बनाती है और गिरा देती है और फिर बना डालती है। हम यहां बात कर रहे हैं इटली के साउथ टिरोल इलाके में प्रकृति के एक अजीब करिश्मे की। ये पिरामिड भी मिट्टी व पत्थर के ही बनते हैं, बस फर्क इतना है कि न उनका कोई पक्का नाप-जोख होता है और न ही उनके भीतर कुछ रखने या किसी को हजारों सालों तक लंबी नींद में सुलाने की कोई व्यवस्था होती है। इन्हें हम पिरामिड कहते हैं तो इनके आकार के लिए जो नीचे से बड़ा और ऊपर जाते-जाते नुकीला हो जाता है। कहा जाता है कि ये असामान्य ढांचे उस मिट्टी से बनने शुरू हुए जो पिछले हिम युग के बाद ग्लेशियरों के पिघल जाने से पीछे रह गई थी। जब मौसम शुष्क होता है तो यह मिट्टी चट्टान जैसी सख्त हो जाती है, लेकिन जैसे ही...
Read MoreOne of world’s most visited museums reopened to the public on Monday three and a half months of COVID-19 lockdown. France’s iconic Louvre Museum re-opened, without lengthy queues of visitors as before the coronavirus pandemic. Some 7,000 reservations have been made for the opening day while before the pandemic the museum had around 30,000 visitors each day, Jean-Luc Martinez, President-Director of Louvre, said. For those who arrived for a visit, mask-wearing is compulsory. Slots of 500 visitors every half hour have been set up to comply with health rules. The Louvre and Tuileries National Estate includes several gardens, which cover an area of 30 hectares. Louvre is the world's largest art museum and a historic monument. The museum is housed in the Louvre Palace, originally bui...
Read Moreसंयोगवश हमने पिछले दोनों अंकों में जिन शाही ट्रेनों की बात की थी वे दोनों ही बेलमोंड समूह द्वारा चलाई जाती हैं, जिसका पिछला नाम ओरिएंट-एक्सप्रेस समूह था। अब इस अंक में जिस ट्रेन की सैर पर हम चल रहे हैं, वह भी बेलमोंड समूह के ही परिचालन में है। हालांकि एक जमाना था जब ये सारी ट्रेनें अपने में अलग-अलग थीं। बदलती स्थितियों में अब इन सबका ऑपरेशन एक ही हाथ में है लेकिन इन सबकी अपनी-अपनी खूबी व विशिष्टता कायम है। इस बार हम बात कर रहे हैं युनाइटेड किंगडम यानी ब्रिटेन के स्कॉटलैंड में चलने वाली रॉयल स्कॉट्समैन रेलगाड़ी की। रॉयल स्कॉट्समैन का स्वरूप पुराने राजमहलों की तरह भले ही है लेकिन सुविधाएं अत्यंत आधुनिक। यह ट्रेन अपने राजसी सफर के लिए दुनिया भर में मशहूर है। आज दुनिया में लगभग तीस ट्रेनें लोगों को अपनी शानो-शौकत के कारण आकर्षित कर रही है। लेकिन रॉयल स्कॉट्समैन उन ट्रेनों में से है जिसने इ...
Read Moreलंदन जाकर किसी शानदार होटल में ठहरने का मन तो सबका करता होगा। लेकिन क्या बात हो अगर आपको ऐसी जगह रुकने को मिले जो अनूठी भी हो, ऐतिहासिक भी और महंगी होटलों की तुलना में बेहद सस्ती भी। लंदन में क्लिंक 78 एक ऐसा ही यूथ होस्टल है जो दो सौ सालों का इतिहास तो अपने में समेटे हुए है ही, बेहद अजीबोगरीब भी है। अजीबोगरीब इसलिए कि यह होस्टल दरअसल एक पूर्व कोर्टरूम परिसर है। इसमें विक्टोरियाई शैली के शिल्प का 21वीं सदी के आधुनिक डिजाइन के साथ बेहद शानदार समागम किया गया है। इस तरह से एक बड़ा स्टाइलिश बैकपैकर्स हॉस्टल तैयार किया गया जिसका मकसद यूथ हॉस्टल्स की उसी पारंपरिक अवधारणा को बदलना था। और तो और इसे ब्रिटेन में हेरिटेज इमारत का दर्जा भी हासिल है। यह दर्जा इसे इसके मुख्य प्रवेश द्वार, रिसेप्शन, दो मूल कोर्ट रूम और सात मूल जेल-कोठरियों के लिए दिया गया है। क्लिंक का रिसेप्शन इस तरह आपको यहां मस...
Read MoreIt was 150 years ago that the Matterhorn was climbed for the first time. This was a pioneering achievement by the Englishman Edward Whymper and his 6 companions, which gave a kick-start to tourism in Zermatt. During that time Zermatt was a remote mountain village that was only reachable by feet. With the many tourists coming to Zermatt after the first ascent of the Matterhorn, the need of a train connection became necessary. In July 1891, the pioneering construction of a train line between Visp and Zermatt was inaugurated, and it celebrated its 125th anniversary in 2016. This was also the first step for the famous Glacier Express route between Zermatt and St. Moritz, which is now operational for more than 85 years. Nowadays 200,000 guests from 120 different countries are travell...
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