यह पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में लाल किले के ठीक सामने सड़क के दूसरी पार बना दिल्ली का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित जैन मंदिर है, जिसे दिगंबर जैन लाल मंदिर कहा जाता है।
भारत के मध्यकालीन इतिहास और विरासत के साथ इन दिनों हो रही तोड़फोड़ और सियासत के इस दौर में यह मंदिर हमें हमारी तहज़ीब और साझी संस्कृति के बारे में बहुत कुछ बताता है।
यह मंदिर अब से 366 साल पहले सन 1656 में जब बना तो उस समय मुगल बादशाह शाहजहां का शासनकाल था और शाहजहां ने राजधानी को आगरा से दिल्ली लाकर पुरानी दिल्ली इलाके को बसाना शुरू किया था। यह मंदिर मुगलिया सल्तनत के केंद्र लाल किले के ठीक सामने था। लेकिन इसपर कभी कोई आंच नहीं आई।
लाल कोटा पत्थर व संगमरमर से मिला-जुला बना यह मंदिर बेहद खूबसूरत है। लाल पत्थर से बना होने के कारण ही इसे लाल मंदिर कहा जाता है। हालांकि समय-समय पर इसकी मरम्मत बेशक होती रही है, लेकिन इसके अंदर की चित्रकारी व नक्काशी अब भी अक्षुण्ण है। इसमें एक मूर्ति तो 1491 ईस्वी की बताई जाती है जब मुगल भारत में आए भी नहीं थे।
पुरानी दिल्ली की सैर करने और वहां के बारे में जानने-समझने की इच्छा रखने वालों को लाल मंदिर ज़रूर देखना चाहिए।
In the Chandni Chowk are of Old Delhi, right opposite the Red Fort, across the road is oldest and most prestigious Jain Temple of Delhi known as Digambar Jain Lal Mandir. This temple was built in 1656 when Shahjahan was the Mughal Emperor and he had shifted his capital from Agra to Delhi. But this temple was never harmed, despite being located right opposite the seat of the Sultanate at Red Fort.
Temple is built in Red Kota stone and white marble, hence the name Lal (Red) Mandir. However, it had its share of timely repairs, but the paintings and carvings in the interiors of the temple is still intact. One of the idols in the temple dates to year 1491. There is said to be intricate work of gold and silver on its interiors.
A must-see for travellers willing to visit and know more about Old Delhi.
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