Wednesday, December 25
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टाइगर रिजर्व के बफर जोन में बढ़ेंगी रोमांचक गतिविधियां

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 29 जुलाई पर विशेषः वन विभाग के साथ मिलकर सॉफ्ट एडवेंचर गतिविधियां संचालित करेगा टूरिज्म बोर्ड, अनुभव आधारित पर्यटन पर रहेगा जोर

‘टाइगर स्टेट’ के नाम से प्रसिद्ध मध्यप्रदेश बाघों की आबादी और संरक्षण के लिए जाना जाता है। 2022 की जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश में 785 बाघ मौजूद है, जो देश में सबसे ज्यादा है। इसमें 563 बाघ टाइगर रिजर्व में मौजूद हैं और 222 बाघ अभयारण्य और टाइगर रिजर्व (संरक्षित क्षेत्र) से बाहर है।

जुलाई से सितंबर माह तक टाइगर सफारी बंद होने से टाइगर रिजर्व में पर्य़टन गतिविधियां कम हो जाती है, जिससे स्थानीय समुदाय, होटल संचालक और पर्य़टन से जुड़े तमाम लोग प्रभावित होते है। इसी तथ्य को देखते हुए मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड राज्य वन विभाग और स्थानीय जिला प्रशासन के साथ मिलकर पर्यटकों के अनुभव को बढ़ाने के लिए बफर जोन में जंगल सफारी, नेचर वॉक, ट्री-हाउस स्टे, विलेज टूर और स्टारगेजिंग सहित अन्य गतिविधियों की एक श्रृंखला शुरू करेगा। सभी पक्षों को एक मंच पर लाने के लिए टाइगर रिजर्व में कार्यशालाएं संचालित की जाएगी, जिसकी शुरुआत पेंच नेशनल पार्क से की गई है।

पर्यटन व संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव और मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड के प्रबंध संचालक शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म के लिए प्रतिबद्ध है और पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम करने और स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। वन विभाग, स्थानीय प्रशासन और पर्यटन उद्योग के साथ सहयोग बढ़ाते हुए जुलाई से सितंबर के दौरान भी पर्यटन गतिविधियों को बनाए रखना और स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है।

एक झलक मध्य प्रदेश के 7 बाघ अभयारण्यों कीः

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान: 104 बाघों की समृद्ध आबादी

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया और कटनी जिलों में फैला हुआ है। 1,536.93 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस रिजर्व में 104 बाघों की समृद्ध बाघ आबादी है। बांधवगढ़ सबसे छोटे पार्कों में से एक है, लेकिन वन्यजीवों से समृद्ध व मनोरम पार्क है, जिसमें भारत में बाघों का घनत्व सबसे अधिक है। अनुमान है कि हर 14 किलोमीटर पर एक बाघ है।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान: संरक्षण पहलों में अग्रणी

कान्हा टाइगर रिजर्व मंडला और बालाघाट जिलों में फैला हुआ है और यह देश के प्रमुख बाघ अभयारण्यों में से एक है और राज्य का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। यहां बाघों की आबादी 61 है। कान्हा के हरे-भरे जंगलों को “द जंगल बुक” की प्रेरणा माना जाता है।

पेंच टाइगर रिजर्व: एक वन्यजीव अभयारण्य से कहीं ज़्यादा

पेंच राष्ट्रीय उद्यान सिवनी और छिंदवाड़ा जिलों में फैला हुआ है। पेंच राष्ट्रीय उद्यान 1179.63 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 61 बाघों की अपनी समृद्ध बाघ आबादी के लिए प्रसिद्ध है, जिससे हर 19 किलोमीटर पर बाघों की ट्रैकिंग की संभावना बनती है। पेंच टाइगर रिजर्व रुडयार्ड किपलिंग की प्रतिष्ठित कहानी, “द जंगल बुक” का एक जीवंत अध्याय है।

वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व: अतुल्य भारत के दिल में सबसे नया रिजर्व

सागर, दमोह, नरसिंहपुर में फैला वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश का सबसे नया टाइगर रिजर्व है। 2339 वर्ग किलोमीटर में फैले इस टाइगर रिजर्व में 15 बाघ हैं।

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व: यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व अपनी उत्कृष्ट प्राकृतिक सुंदरता से पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसे सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला से प्राप्त “सेवन फोल्ड्स” के नाम से जाना जाता है। अनुमान है कि रिजर्व में 40 बाघ हैं। सतपुड़ा रिजर्व में 10,000 साल पुरानी प्राचीन शैलचित्र भी हैं, जो इसे एक यादगार अनुभव बनाते हैं। यह यूनेस्को की प्राकृतिक श्रेणी में विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल है।

पन्ना टाइगर रिजर्व: केन नदी की भूमि

पन्ना टाइगर रिजर्व पन्ना और छतरपुर जिलों में 1,598.10 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां 25 बाघ हैं। सफारी के दौरान केन नदी के दृश्य यादों में बस जाते हैं।

संजय-दुबरी राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व: वन्यजीवों के लिए स्वर्ग

सदाबहार साल, बांस और मिश्रित वनों से युक्त संजय-दुबरी टाइगर रिजर्व सीधी और शहडोल जिलों में 1,674.5 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो वन्यजीवों के लिए स्वर्ग है। यह रिजर्व बाघ संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यहाँ लगभग 5 बाघ, पक्षियों की 152 प्रजातियां, स्तनधारियों की 32 प्रजातियाँ, रेपटाइल्स की 11 प्रजातियाँ, मीठे पानी की मछलियों की 34 प्रजातियां पाई जाती हैं।

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