Sound and light shows around historical and architectural monuments are not new. Monuments make a marvellous backdrop for such shows. We have many sound and light shows in India of this nature at almost most of our historical palaces, temples, etc. But Israel has taken this effort a bit ahead in more bigger way, where a mountain itself has become a canvas for the audio-visual show. And, it has also added many more features to this concept to make it an adventure and outing in itself, something quite unique in nature. The Israel Nature and Parks Authority offers a new nocturnal 45 minutes show ‘From Dusk to Dawn’ at the Masada National Park, its’ flagship site. Ranked as Israel’s most popular national park with 1 million visitors a year, the site has created a first of its kind even...
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हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार ने भी कोविड-19 के तहत लागू की गई पाबंदियों में कई छूट का ऐलान किया है। इससे राज्य में पर्यटन उद्योग को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। राज्य के भीतर आने-जाने और दूसरे राज्यों से उत्तराखंड में आने वालों पर लगी पाबंदियां खत्म हो गई हैं। बस यात्रियों को थोड़े मानकों का पालन करना होगा। इनमें हिमाचल की ही तरह राज्य में आने से पहले 72 घंटे के दरम्यान कराई गई कोररोना जांच की नेगेटिव रिपोर्ट सबसे अहम है। तो अब आप बची हुई गर्मियों में पहाड़ों पर घूमने की योजना बना सकते हैं। उत्तराखंड में शीतलाखेत से त्रिशूल व नंदादेवी चोटियों का नजारा अनलॉक-2 में राज्य सरकार ने पर्यटन उद्योग को बड़ी राहत दी है। देशी-विदेशी सैलानियों को सार्वजनिक स्थानों पर जाने की अनुमति दी गई है, जबकि पहले इस पर रोक थी। दूसरे राज्यों से आने वाले सैलानियों को स्मार्ट सिटी वेब पोर्टल (h...
Read Moreगुरु पूर्णिमा (व्यास पूर्णिमा) के दिन अमरनाथ यात्रा के लिए छड़ी मुबारक यात्रा रविवार को सवेरे श्रीनगर से पहलगाम के लिए रवाना हुई, और इसके साथ ही इस साल की यात्रा की विधिवत शुरुआत हो गई। कोविड-19 के कारण इस बार यात्रा की अवधि भी छोटी होगी और श्रद्धालुओं की संख्या भी कम ही रखी जाएगी। आम श्रद्धालुओं के लिए यात्रा 21 जुलाई से ही शुरू होगी और 3 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन संपन्न होगी। एक दिन में अधिकतम 500 यात्रियों को ही जाने की इजाजत रहेगी। रविवार सवेरे ही जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने अपने परिजनों के साथ हेलिकॉप्टर से अमरनाथ पहुंचकर गुफा में पूजा-अर्चना की। रविवार सवेरे छह बजे करीब सौ साधु-संतों और अन्य लोगों के साथ श्रीनगर के दशनामी अखाड़े से पहलगाम के लिए छड़ी मुबारक रवाना हुई। रविवार को ही पहलगाम में अमरनाथ छड़ी मुबारक का भूमि पूजन, नवग्रह पूजन और ध्वजारोहण की रस...
Read MoreI had read many times and at many places that the land journeys in Vietnam are among the best ones in the world and worth experiencing in a lifetime. This could be a big catch for a wanderer like me and it surely had ignited an urge in me to go and explore this land lying south of China. Yes, the name Vietnam itself means the South Land, which boasts of beautiful landscapes, smiling people, and varied culture and lifestyles across its vast north-south expanse; it also boasts of the natural wonders and World Heritage sites such as Ha Long Bay in the north, and a vast network of underground tunnels in the south that speaks volumes about the courage and ingenuity of local peasants in the war against American indulgence in their country. And after letting all these fact brew in my mind for...
Read Moreकश्मीर में पश्चिमी सीमा पर कामन चौकी से लौटते हुए हम गढ़वाल के उत्तरकाशी में अपने घर जाने के लिए वादियों को पार करने के इरादे से पूर्व की तरफ बढ़ लिए। लेकिन श्रीनगर को पार करने के बाद हम बनिहाल और जवाहर टनल पार करके जम्मू की तरफ जाने के बजाय अनंतनाग और किश्तवाड़ की तरफ मुड़ लिए। अछबल में हम चिनार के पेड़ों के साये तले बने उस शानदार बगीचे में थोड़ा ठहरे जो कभी नूरजहां की सैरगाह हुआ करता था। अछबल का खूबसूरत नजारा रात में हम कोकरनाग में सीआरपीएफ के कैंप में रुके। कोकरनाग अपने पानी के सोतों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इन्हीं का पानी वहां बने शानदार बोटैनिकल गार्डन को सींचता है। अगले दिन अल्लसुबह रवाना होकर हमने राष्ट्रीय राजमार्ग 1बी पकड़ लिया। उसी से हम 3748 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सिंथन टॉप पहुंचे। सिथंन टॉप तक का रास्ता बहुत बढिय़ा था, काली पक्की सड़क। टॉप के बाद जाकर दूसरी तरफ नीचे उतरत...
Read Moreकिसी ने खूब कहा है, घूमना पहले आपको अवाक कर देता है और फिर आपको कहानियां कहने के लिए वाचाल बना देता है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। कुछ समय पहले मेरा विवाह हुआ और मैंने अपनी जीवन-संगिनी के साथ घूमने जाने की कई सारी योजनाएं बनाईं। शादी से पहले हमने सोचा था कि हम यूरोप जाएंगे। लेकिन फिर कुछ वजहों से हमने यूरोप जाने का इरादा छोड़ दिया। विवेकानंद स्मारक कुछ ऐसा हुआ कि विवाह तक यह तय ही नहीं हो पाया था कि हमें बाद में हनीमून के लिए जाना कहां हैं। फिर विवाह के दो दिन बाद हमने योजना बनाई कि घूमने के लिए दक्षिण भारत निकल पड़ते हैं। हमने बेंगालुरु (बैंगलोर) के लिए टिकट बुक कराए और वहां पहुंच गए। लेकिन तब तक भी हमारे दिमाग में इस बात की कोई योजना नहीं थी कि हमें किन जगहों पर जाना है, कहां ठहरना है, क्या करना है। न तो कोई होटल बुक थे और न यह तय था कि हम ट्रेन से जाएंगे, बस से या कैब से। पहला स...
Read Moreकोविड-19 के कारण सूबे में सैलानियों के प्रवेश पर रोक लगाने के करीब साढ़े तीन महीने बाद हिमाचल सरकार ने शनिवार से पर्यटकों समेत हर किसी के लिए प्रदेश की सीमाएं फिर से खोल दी हैं। अनलॉक 2.0 की प्रक्रिया के तहत लोगों की आवाजाही में छूट देने की प्रक्रिया में अब कोई भी व्यक्ति बिना ई-पास के सूबे में प्रवेश कर सकता है। उन्हें केवल सरकार के कोविड ई-पास सॉफ्टवेयर (covid19epass.hp.gov.in) में 48 घंटे पहले अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। अब जिला उपायुक्तों से पहले मंजूरी लेना जरूरी नहीं है। पर्यटकों को सशर्त एंट्री मिलेगी। उन्हें होटल में कम से कम पांच दिन की बुकिंग पहले से करानी होगी। साथ ही राज्य में प्रवेश करने से पहले और अधिकतम 72 घंटे के दरम्यान हुई कोरोना जांच में रिपोर्ट निगेटिव होनी चाहिए। जांच आईसीएमआर से मान्यता प्राप्त किसी लैबोरेटरी से ही होनी चाहिए। राज्य के प्रमुख सचिव राजस्व ओंका...
Read MoreIt was 150 years ago that the Matterhorn was climbed for the first time. This was a pioneering achievement by the Englishman Edward Whymper and his 6 companions, which gave a kick-start to tourism in Zermatt. During that time Zermatt was a remote mountain village that was only reachable by feet. With the many tourists coming to Zermatt after the first ascent of the Matterhorn, the need of a train connection became necessary. In July 1891, the pioneering construction of a train line between Visp and Zermatt was inaugurated, and it celebrated its 125th anniversary in 2016. This was also the first step for the famous Glacier Express route between Zermatt and St. Moritz, which is now operational for more than 85 years. Nowadays 200,000 guests from 120 different countries are travell...
Read MoreRas Al Khaimah is one of seven emirates which together comprise the federation of the United Arab Emirates (UAE). It was the last one to join and is claimed to be on top as emerging tourist destination in the GULF. Sunset at Ras-Al-Khaimah It is the strongest emerging tourism spots in UAE with its natural beauty and stunning scenery. It has a 64 km shoreline of superb sandy beaches and clear crystal blue waters. Ras Al Khaimah features a wealth of landscapes from rugged mountain peaks to coastal areas and deserts. Tourists have options of host of outdoor activities from swimming, fishing, and golfing to desert safari, diving, paragliding, parasailing, Bedouin desert camp, Iceland water park and above all a microlight flight. Ras Al Khaimah - Bedouin Oasis For Ras Al Khaimah In...
Read Moreखजुराहो का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहां खजूर के पेड़ों का विशाल बगीचा था। खजिरवाहिला से नाम पड़ा खजुराहो। लेकिन यह अपने आप में अद्भुत बात है कि यहां कोई भी खजूर के लिए नहीं आता। यहां आने वाले इसके मंदिरों को देखने आते हैं। भारतीय मंदिरों की स्थापत्य कला व शिल्प में खजुराहो की जगह अद्वितीय है। इसकी दो वजहें हैं- एक तो शिल्प की दृष्टि से ये बेजोड़ हैं ही, दूसरी तरफ इनपर स्त्री-पुरुष प्रेम की जो आकृतियां गढ़ी गई हैं, उसकी मिसाल दुनिया में और कहीं नहीं मिलती। यही कारण है कि खजुराहो को यूनेस्को से विश्व विरासत का दरजा मिला हुआ है। भारत आने वाले ज्यादातर विदेशी पर्यटक खजुराहो जरूर आना चाहते हैं। वहीं हम भारतीयों के लिए ये मंदिर एक हजार साल पहले के इतिहास का दस्तावेज हैं। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के राजाओं ने किया था। इनके निर्माण के पीछे की कहानी भी बड़ी रोचक है। कहा जाता ह...
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