Carbon outflux from Earth’s interior to the exosphere through volcanic eruptions, fault zones, and geothermal systems contribute to the global carbon cycle that effects short and long term climate of the Earth. Himalaya hosts about 600 geothermal springs, commonly known as hot springs, having varied temperature and chemical conditions. Their role in regional and global climate, as well as the process of tectonic driven gas emission, needs to be considered while estimating emissions to the carbon cycle and thereby to global warming. Hot spring near Yamunotri Indian Himalayan geothermal field hosts about 340 geothermal springs in natural as well as artesian condition that eject hot waters and volatiles with varied temperature and chemical composition. These sites provide an opportunit...
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उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के साथ-साथ अब फूलों की घाटी भी राज्य के बाहर से आने वाले सैलानियों के लिए खोल दी गई है। यानी अब आप इस अनूठी जगह का आनंद ले सकते हैं। इसका यही सबसे उपयुक्त समय है। बस आपको पहले से तय कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करना होगा जिसमें उत्तराखंड में प्रवेश करने से ठीक पहले के 72 घंटों के भीतर कराए गए कोविड-19 के आरटी-पीसीआर टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट सबसे अहम है। तब तक हम आपको दिखला रहे हैं इस कुदरती करिश्मे की झलक। पुष्पावती नदी के दोनों तरफ फैली है फूलों की घाटी भारत में यूं तो कई प्राकृतिक घाटियां हैं जहां कुदरती तौर पर फूल खिलते हैं, और यह भी पूरे यकीन के साथ कहा जा सकता है कि मध्य व दक्षिण-मध्य भारत के पठार वाले इलाकों से लेकर सुदूर उत्तर-पूर्व में निचले हिमालय के पहाड़ों तक इन तमाम घाटियों की खूबसूरती एक से बढ़कर एक है। इनमें से कई तो ऐसी भी हैं जो भले ही स...
Read Moreअब कोविड-19 के दौर में हिमाचल के दुर्गम इलाकों में पहुंचना तो कठिन ही लग रहा है। वैसे स्पीति घाटी में जाने का समय अक्टूबर के महीने तक रहता है। क्या पता तब तक हाल सुधर जाए! इसीलिए हम आपको बता रहे है इस खूबसूरत झील के बारे में। यहां पहुंच कर हर किसी के मुंह से अनायास ही निकल जाता है कि जमीन पर यदि जन्नत है तो बस चंद्रताल में ही है। समुद्रतल से 14500 फीट की उंचाई पर हिमाचल प्रदेश के कबाइली क्षेत्र स्पीति में रेतीले, नंगे और सूखे पहाड़ों के बीच मीलों दायरे में फैली एक झील चंद्रताल जो अपने निर्मल शांत जल के लिए जानी जाती है, जिसमें नजर आता है आसमां और जमीन का अक्स, जो किसी को भी रोमांचित किए बिना नहीं रहता। मेरा यहां पर चौथी बार जाना हुआ तो न केवल सफर बल्कि यहां की आवोहवा का भी काफी नजारा बदला सा लगा। इस बार स्पीति में 80 फीसदी बारिश कम हुई है ऐसे में पूरे क्षेत्र से हरियाली गायब है, ठहर...
Read Moreपहाड़ों की गोद में पसरे ठंडे स्वच्छ निर्मल जल ने मानवीय मन व शरीर को हमेशा आमंत्रित किया है और पनीली आगोश में टहलता जमीन का गोलमटोल हिस्सा भी हो तो अचरज भरे अद्भुत अनुभव होने स्वाभाविक हैं। कुछ ऐसी ही जादूगरनी है पराशर झील। खूबसूरत ख्वाब के दो हिस्से जैसे हैं पराशर स्थल और झील। मंडी की उत्तर दिशा में लगभग 50 किलोमीटर दूर हिमाचल की प्राकृतिक झीलों में से एक, स्वप्निल मनोरम व नयनाभिराम। किसी भी मौसम में खिंचे चित्र इतने दिलकश लगते हैं कि पराशर जाने के लिए सैलानी मन को मानो पंख लग जाते हैं। एक बार झील का सानिध्य प्राप्त हो जाए तो समझ में आता है कि हमेशा कंकरीट के जंगल में घूमने से बेहतर है कुदरत के घर भी आया जाए। हिमाचल आकर अतिरिक्त निर्मल आनंद की चाह रखने वालों को मां प्रकृति की पराशर जैसी सौम्य गोद में अवश्य जाना चाहिए। आप मनाली जा रहे हैं या लौट रहे है रास्ते में मंडी रुक जाइए। यहा...
Read Moreकुदरत जब अपनी खूबसूरती बिखेरती है तो सीमाएं नहीं देखती। यही बात उन निगाहों के लिए भी कही जा सकती है उस खूबसूरती का नजारा लेती हैं। हम यहां बात केवल देशों की सीमाओं की नहीं कर रहे, बल्कि धरती व आकाश की सीमाओं की भी कर रहे हैं। हिमालय ऐसी खूबसूरती से भरा पड़ा है। इस बार हम जिक्र कर रहे हैं संदकफू का जो पश्चिम बंगाल से सिक्किम तक फैली सिंगालिला श्रृंखलाओं की सबसे ऊंची चोटी है। नीला आसमान और बर्फ से लदी चोटियां संदकफू की ऊंचाई समुद्र तल से 3611 मीटर है। यहां जाने का रोमांच जितना इतनी ऊंचाई पर जाने से है, वहीं इस बात से भी है कि यह वो जगह है जहां से आप दुनिया की पांच सबसे ऊंची चोटियों में से चार को एक साथ देख सकते हैं। ये हैं दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर), तीसरे नंबर की और भारत में सबसे ऊंची कंचनजंघा (8585 मीटर), चौथे नंबर की लाहोत्से (8516 मी) और पांचवे नंबर की मकाल...
Read Moreदारमा घाटी को करीब दो दशक बाद फिर से अनुभव करना एक खूबसूरत ख्वाब को जीने जैसा था। मैं यकीनन इसे उत्तराखंड ही नहीं समूचे हिमालय की सबसे खूबसूरत घाटियों में से एक मानता हूं। मैं वहां सबसे पहले 2001 में अपने कुछ घुमक्कड़ साथियों के साथ गया था। इस बार यह देखकर कितना सुकून मिला कि पिछले 18-19 सालों में दारमा घाटी खूबसूरती के मामले में जरा भी कम नहीं हुई है। वही धौलीगंगा का निर्मल बहता पानी, वही पंचाचूली की मोहित करती चोटियां, वहा बुग्यालों की आरामदायक हरी गद्देदार बुग्गी घास और वही वहां के निवासियों का आदर सत्कार। कैंपिंग साइट से पंचाचूली ग्लेशियर की तरफ जाते ट्रेकर्स एक प्रकृति प्रेमी और फोटोग्राफर होने के नाते कम से कम दारमा घाटी के लिए तो यह कहा ही जा सकता है कि दारमा नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा। खास तौर पर दारमा के दुक्तु और दांतू गांव से पंचाचूली चोटियों का नयनाभिराम दृश्य आपको पागल ...
Read Moreउत्तराखंड उन चंद राज्यों में से है जिन्होंने कोविड-19 के दौर में पर्यटन को फिर जिंदा करने के लिए अपने राज्य की सीमा को सैलानियों के लिए फिर से खोल दिया है। हालांकि राज्य के बाहर के लोगों को अभी चार धाम यात्रा पर जाने की इजाजत नहीं है। लेकिन उस इलाके में चार धामों के अलावा भी कई जगहें इस समय देखी जा सकती हैं, चोपता तुंगनाथ उन्हीं में से है उत्तराखंड की हसीन वादियां किसी भी पर्यटक को अपने मोहपाश में बांध लेने के लिए काफी है। कलकल बहते झरने, पशु-पक्षी ,तरह-तरह के फूल, कुहरे की चादर में लिपटी ऊंची पहाडिय़ा और मीलों तक फैले घास के मैदान, ये नजारे किसी भी पर्यटक को स्वप्निल दुनिया का एहसास कराते हैं....चमोली की शांत फिजाओं में ऐसा ही एक स्थान है- चोपता तुगंनाथ। बारह से चौदह हजार फुट की ऊंचाई पर बसा ये इलाका गढ़वाल हिमालय की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। जनवरी-फरवरी के महीनों में आमत...
Read Moreसुरकंडा का मंदिर देवी का महत्वपूर्ण स्थान है। दरअसल गढ़वाल के इस इलाके में प्रमुखतम धार्मिक स्थान के तौर पर माना जाता है। लेकिन इस जगह की अहमियत केवल इतनी नहीं है। यह इस इलाके का सबसे ऊंचा स्थान है और इसकी ऊंचाई 9995 फुट है। मंदिर ठीक पहाड़ की चोटी पर है। इसके चलते जब आप ऊपर हों तो चारों तरफ नजरें घुमाकर 360 डिग्री का नजारा लिया जा सकता है। केवल इतना ही नहीं, इस जगह की दुर्लभता इसलिए भी है कि उत्तर-पूर्व की ओर यहां हिमालय की श्रृंखलाएं बिखरी पड़ी हैं। चूंकि बीच में कोई और व्यवधान नहीं है इसलिए बाईं तरफ हिमाचल प्रदेश की पहाडिय़ों से लेकर सबसे दाहिनी तरफ नंदा देवी तक की पूरी श्रृंखला यहां दिखाई देती है। सामने बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री यानी चारों धामों की पहाडिय़ां नजर आती हैं। यह एक ऐसा नजारा है तो वाकई दुर्लभ है। गढ़वाल के किसी इलाके से इतना खुला नजारा देखने को नहीं मिलत...
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