यह पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में लाल किले के ठीक सामने सड़क के दूसरी पार बना दिल्ली का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित जैन मंदिर है, जिसे दिगंबर जैन लाल मंदिर कहा जाता है। भारत के मध्यकालीन इतिहास और विरासत के साथ इन दिनों हो रही तोड़फोड़ और सियासत के इस दौर में यह मंदिर हमें हमारी तहज़ीब और साझी संस्कृति के बारे में बहुत कुछ बताता है। यह मंदिर अब से 366 साल पहले सन 1656 में जब बना तो उस समय मुगल बादशाह शाहजहां का शासनकाल था और शाहजहां ने राजधानी को आगरा से दिल्ली लाकर पुरानी दिल्ली इलाके को बसाना शुरू किया था। यह मंदिर मुगलिया सल्तनत के केंद्र लाल किले के ठीक सामने था। लेकिन इसपर कभी कोई आंच नहीं आई। लाल कोटा पत्थर व संगमरमर से मिला-जुला बना यह मंदिर बेहद खूबसूरत है। लाल पत्थर से बना होने के कारण ही इसे लाल मंदिर कहा जाता है। हालांकि समय-समय पर इसकी मरम्मत बेशक होती रही है...
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जब अपने शहर और राज्य की सीमाओं से बाहर कोई घूमने निकलता है, तो बहुत जल्दी ही वह विश्वविख्यात ताज महल को देख चुका होता है। उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में स्थित सफेद संगमरमर से बने इस विख्यात मकबरे को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में प्रेम के प्रतीक के रूप में बनवाया था। ताज महल को मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना माना जाता है। 1983 में इसे युनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल कर लिया था। ताज महल दुनिया के सात आश्चर्य में भी शामिल रहा है। मुख्य मकबरे सहित आसपास के पूर्ण विकसित परिसर को बनाने में लगभग 22 साल लगे थे। यह संभव है कि आपने आगरा का ताज महल देख लिया हो, लेकिन क्या आपने काला ताज महल देखा है? ऐसी मान्यता है कि वर्तमान ताज महल के सामने यमुना के दूसरी ओर शाहजहां के मकबरे के रूप में काला ताज महल बनाया जाना था, लेकिन वह बनाया नहीं जा सका। इस मान्यता से परे सफेद स...
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