लक्षद्वीप भारत की उन जगहों में से हैं जहां आम सैलानी बहुत कम जाते हैं, लेकिन यहां की खूबसूरती अद्भुत है और कई मायनों में तो भारत के कई लोकप्रिय सैलानी स्थलों से भी कहीं ज्यादा शाम को केरल में कोच्चि (एर्णाकुलम) से रवाना हुआ जहाज अगले दिन सुबह मिनीकॉय की जेटी पर पहुंचने वाला है। सुबह के साढ़े 4-5 बजे होंगे। डेक पर कुछ ही लोग हैं। तभी अरब सागर में दूर से कुछ टिमटिमाता हुआ दिखता है, और फिर वह रोशनी की एक लकीर बन जाती है। आकाश में लालिमा फैलती है। हल्के उजियारे में वह लकीर एक द्वीप में तब्दील होती जाती है और फिर सामने होता है लक्षद्वीप समूह का एक सुंदर द्वीप मिनिकॉय। गुड मॉर्निंग मिनीकॉय! समुद्र में सूरज डूबे या वहां से उगे, उसकी खूबसूरती का जवाब नहीं होता। फोटोः राजु कुमार/आवारा मुसाफिर जहाज पर गहमागहमी बढ़ जाती है। कुछ लोग डेक पर आते हैं। इधर-उधर दौड़-दौड़ कर समुद्र में उगते सूर...
Read Moreकोर एरिया से एक राउंड लगाकर जिप्सी गेस्ट हाउस आ चुकी थी। पिछले दिन की सफारी और आज की आधी सफारी पूरी हो चुकी हो थी। आज की सफारी अगले ढाई घंटे में खत्म होने वाली थी। कई बार टाइगर रिजर्व की यात्राओं की तरह इस बार भी बाघ दिखाई देने को लेकर नाउम्मीदी ही थी। लेकिन घने जंगल में घूमने का रोमांच हमेशा बरकरार रहता है। तो एक बार हम फिर निकल पड़े कोर एरिया में। घास के मैदानों से होते हुए छोटे तालाब तक पहुंच गए। वहां सफेद कमल के फूल और तालाब पर पड़ती सूरज की रोशनी। काफी आकर्षक माहौल था। कुछ फोटो क्लिक किए और आगे बढ़ गए। हम जिस रास्ते से आगे बढ़ रहे थे, वह कोर और बफर का बॉर्डर था। पुराने इंद्री गांव का इलाका। अक्सर इस इलाके में बाघ द्वारा अलस्सुबह मवेशियों को मार दिए जाने की घटनाएं सुनाई पड़ती है। तो हमने दाएं-बाएं की जिम्मेदारी बांट ली और आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ती जिप्सी पर बैठे-बैठे जंगल पर नजरें जमा...
Read Moreअपनी पिछली यात्रा की यादें धुंधली भी नहीं हुई थी कि एक बार फिर अंडमान जाने का मौका मिला। पिछली यात्रा से बिलकुल ही अलग, इस बार कुछ काम करते हुए, बीच-बीच में वक्त निकालकर घूमना था- अंडमान की उन जगहों पर, जहां पिछली बार नहीं गए थे और जहां पर्यटक भी बहुत कम जाते हैं। लेकिन जब हम अनजानी राहों पर होते हैं तो चाहें काम ही क्यों न हो, हर अनुभव घुमक्कड़ी को ज्यादा मजेदार बना देता है। खासतौर से तब, जब आप पहले सब कुछ तय नहीं किए रहते, चाहे आने-जाने का साधन हो या फिर रुकने व घूमने की जगहें। मिडिल अंडमान का धानी नाला बीच पर्यटक, ट्रेकर और घुमक्कड़- तीनों की लिस्ट में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ऊपर ही रहता है। पर्यटक तो सामान्य तौर पर पोर्ट ब्लेयर, हैवलॉक, नील, रॉस, नॉर्थ बे, जॉली बे, बाराटांग आइलैंड तक ही जाते हैं। इनमें से भी हर कोई हर जगह नहीं जाता। ट्रेकर और घुमक्कड़ इन द्वीपों से अलग नॉर्...
Read More‘हमसफर एवरेस्ट’ एक ऐसी किताब है, जिसे घुमक्कड़ी और ट्रैकिंग के हर शौकीन को पढ़ना चाहिए। यह हमें घुमक्कड़ी और ट्रैकिंग की नई राह दिखाती है। इस किताब को लिखा है नीरज मुसाफिर ने। नीरज पेशे से इंजीनियर हैं और दिल्ली मेट्रो में कार्यरत हैं, लेकिन उनकी पहचान एक जीवट ट्रैकर और घुमक्कड़ की है। वह जहां-जहां गए, वहां की यादें, अनुभव और वृत्तांत को अपने ब्लॉग पर लिख मारा। और, इस तरह से वह लेखन की दुनिया में आ गए। फिर शुरू हुआ पुस्तक लेखन का काम। ‘सुनो लद्दाख’ और ‘पैडल-पैडल’ के बाद ‘हमसफर एवरेस्ट’ उनकी तीसरी किताब है। ‘हमसफर एवरेस्ट’ एक रोचक किताब है, जिसमें नीरज अपनी पत्नी के साथ माउंट एवरेस्ट बेस कैंप की यात्रा के वृत्तांत को बताते हुए पाठकों को भी आभासी तरीके से अपने साथ-साथ बेस कैम्प ले जाते हैं। यह आभासी यात्रा पाठकों को यथार्थ ...
Read Moreमध्य प्रदेश जंगलों से भरा-पूरा है। एक से बढ़कर एक टाइगर रिजर्व हैं यहां। लेकिन इनके बीच भीड़ से दूर कई खामोश सुकून भरे जंगल भी हैं बारिश के दिन हो या गुजरते मानसून वाले दिन, जंगल प्रेमियों के लिए अक्सर ये दिन लुभावने लगते हैं। अक्टूबर से खुलने वाले राष्ट्रीय उद्यानों और टाइगर रिजर्व की ओर बेतहाशा भीड़ बढ़ जाती है। ऐसे में कुछ ऐसे पड़ाव होते हैं, जो थोड़े सकून से घूमने वालों के लिए पहली पसंद बन जाते हैं। ऐसा ही एक पड़ाव है मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले का नरसिंहगढ़ अभयारण्य। यूं तो यहां गर्मी के दिनों को छोड़कर कभी भी जाया जा सकता है, लेकिन मानसून की उतरन के बाद यहां की सैर वाकई शानदार होती है। तभी तो इस क्षेत्र को मालवा का कश्मीर कहा जाता है। अभयारण्य के बीच चिड़ीखो तालाब यहां की कुदरती खूबसूरती का नायाब तोहफा है। भोपाल के आसपास के जंगलों की हर बार की सैर रोमांचकारी होती है। बाहर से आने...
Read Moreभूटान के बॉर्डर के नजदीक का आखिरी रेलवे स्टेशन हासिमारा। यहां से लोकल टैक्सी के सहारे पश्चिम बंगाल के जयगांव। भूटान के बॉर्डर पर भारत का आखिरी शहर। फिर जयगांव से टहलते हुए एक दीवार पार करते ही भूटान के फुंटशोलिंग शहर में। यानी ड्रैगन के देश में। कितना आसान और कितना सहज। भारतीय पर्यटकों के लिए देश के किसी हिस्से की सैर की तरह विदेश का पर्यटन। जयगांव और फुंटशोलिंग के बीच कोई फासला नहीं है। है तो बस बीच की एक दीवार, जो भारत और भूटान की सीमा रेखा है। एक गेट के सहारे इस पार से उस पार और उस पार से इस पार करते हुए यहां दो देशों की संस्कृतियों के बीच का जीवन दिखता है। इन दोनों शहरों के बीच दिन में बिना किसी परमिट के आना-जाना किया जा सकता है। लेकिन जब यहां से सड़क के रास्ते भूटान की यात्रा पर निकलने की बारी आती है, तो फुंटशोलिंग से ही परमिट बनवाना पड़ता है। भूटान की राजधानी थिम्फू भूटान की य...
Read Moreएक जिप्सी में ड्राइवर और गार्ड मिलाकर कुल आठ लोग बैठकर पार्क के अंदर जा सकते हैं, पर हमलोग कुल छह ही थे। सूर्योदय के साथ ही पार्क के अंदर प्रवेश दे दिया जाता है, पर कुछ कागजी खानापूर्ति करने में देर हो गई और पार्क के अंदर जाने वाली गाड़ियों में सबसे अंतिम हमारी ही थी। मेरे साथ मंजू, रूबी और विनय थे। बाघ देखने की बेचैनी सभी के चेहरे पर दिख रही थी। इच्छा मेरी भी थी। बांधवगढ़ नेशनल पार्क के कोर एरिया की पहले की दो यात्राओं में भी मुझे बाघ के दर्शन नहीं हो पाए थे। कोर एरिया की यह तीसरी यात्रा थी। इसके पहले बफर जोन में भी तीन-चार यात्राएं कर चुका हूं। पर मैं यह जान चुका था कि सिर्फ बाघ देखने की चाहत में जंगल घुमने का आनंद नहीं लिया जा सकता। गाइड भी इस बात से वाकिफ था कि जिस समय हम पार्क के अंदर जा रहे थे, उस समय के बाद बाघ का दिखना बहुत ही मुश्किल है। लेकिन यह भी जरूरी नहीं कि अल सुबह पार्क मे...
Read Moreजब अपने शहर और राज्य की सीमाओं से बाहर कोई घूमने निकलता है, तो बहुत जल्दी ही वह विश्वविख्यात ताज महल को देख चुका होता है। उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में स्थित सफेद संगमरमर से बने इस विख्यात मकबरे को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में प्रेम के प्रतीक के रूप में बनवाया था। ताज महल को मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना माना जाता है। 1983 में इसे युनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल कर लिया था। ताज महल दुनिया के सात आश्चर्य में भी शामिल रहा है। मुख्य मकबरे सहित आसपास के पूर्ण विकसित परिसर को बनाने में लगभग 22 साल लगे थे। यह संभव है कि आपने आगरा का ताज महल देख लिया हो, लेकिन क्या आपने काला ताज महल देखा है? ऐसी मान्यता है कि वर्तमान ताज महल के सामने यमुना के दूसरी ओर शाहजहां के मकबरे के रूप में काला ताज महल बनाया जाना था, लेकिन वह बनाया नहीं जा सका। इस मान्यता से परे सफेद स...
Read Moreपर्यटन पर लिखने के लिए बहुत जरूरी है कि पर्यटन करने में रुचि हो। कोई व्यक्ति जब कहीं से घूमकर आता है, तो वहां के किस्से को अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ जरूर साझा करता है। यह सुनाने वाले पर निर्भर करता है कि किस तरह से वह अपने अनुभवों को साझा करता है। यदि वह रुचिकर होगा, तो सामने वाला ज्यादा ध्यान से सुनेगा, बल्कि वह उस जगह पर जाने के लिए विचार भी करेगा। यही स्थिति पर्यटन लेखन में होती है, जब आपका लिखा हुआ जीवंत और रुचिकर होगा, तो पाठक की इच्छा उस जगह पर जाने की हो जाएगी और कई बार तो यह भी संभव है कि वह पढ़कर ही इस तरह से बात करेगा, जैसे वह उस जगह पर घूम के आया हो। पर्यटन पर लिखने की इच्छा रखने वाले पत्रकारिता के विद्यार्थियों, शौकिया लेखकों के साथ-साथ अनुभवी लेखकों को ध्यान में रखते हुए पब्लिक रिलेशन्स सोसायटी, भोपाल ने इंद्रा पब्लिशिंग हाउस के सहयोग से ‘पर्यटन लेखन’ पुस्तक का...
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