When Kashmir went into a coronavirus lockdown in March, tourism in the Indian-administered territory had already been hobbled by eight months of tight security restrictions that New Delhi imposed after revoking the region’s semi-autonomous status. Now hoteliers, taxi drivers and others relying on tourism in the region say the pandemic has compounded the financial shock to the industry and they fear it could take years to recover. The state of tourism in Kashmir is “a typical case of out of the frying pan into the fire,” said Faiz Bakhshi, a prominent businessman and former secretary general of the Kashmir Chamber of Commerce and Industry (KCC&I). Fall season is almost gone in Kashmir “I don’t see any resumption of tourism in Kashmir until there is zero incidence of COVID-1...
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हिंदुस्तान में पतझड़ का रंग अगर कहीं अपने पूरे शबाब पर दिखता है तो वह कश्मीर है। अब मौजूदा माहौल में कश्मीर जाने की बात करना थोड़ा अखरता है, हालांकि कश्मीरी कभी अपने मेहमान सैलानियों पर आंच नहीं आने देते। लेकिन बात पतझड़ के रंगों की हो तो कश्मीर का जिक्र किए बिना रहा भी तो नहीं जाता। कश्मीर की बात ही कुछ ऐसी है। कश्मीर में पतझड़ के मौसम को हारुद कहते हैं (याद है न, आमिर बशीर की बनाई चर्चित फिल्म इसी नाम की थी)। हारुद का मौसम यूं तो कई खासियतें लेकर आता है, लेकिन इसका सबसे अलहदा, खास रंग चिनार की पत्तियों से आता है। वादी के चारों तरफ खड़े पहाड़ भी मानो चिनार के रंग में खुद को रंगने के लिए भूरे हो जाते हैं, बस इससे पहले कि वे बर्फ से सफेद हो जाएं। दरअसल कश्मीर में दोनों ओर कतार में खड़े चिनार के पेड़ और बीच में नीचे बिखरी हुई सुनहरे या सुर्ख लाल रंग की चिनार की पत्तियों की तस्वीर हमेशा स...
Read MoreKashmiri women singing a traditional wedding song at a village near Anantnag on way to Kokernag in Kashmir valley. Kashmiri weddings are a treat to watch. At this particular occasion the groom has gone to the local mosque and the women folk are waiting for him to return, while singing this song on the main road to village. Song is praising the bride and the groom and reminds them that they are finally now together. https://youtu.be/d6kO-l_IyXQ ...
Read Moreकश्मीर में पश्चिमी सीमा पर कामन चौकी से लौटते हुए हम गढ़वाल के उत्तरकाशी में अपने घर जाने के लिए वादियों को पार करने के इरादे से पूर्व की तरफ बढ़ लिए। लेकिन श्रीनगर को पार करने के बाद हम बनिहाल और जवाहर टनल पार करके जम्मू की तरफ जाने के बजाय अनंतनाग और किश्तवाड़ की तरफ मुड़ लिए। अछबल में हम चिनार के पेड़ों के साये तले बने उस शानदार बगीचे में थोड़ा ठहरे जो कभी नूरजहां की सैरगाह हुआ करता था। अछबल का खूबसूरत नजारा रात में हम कोकरनाग में सीआरपीएफ के कैंप में रुके। कोकरनाग अपने पानी के सोतों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इन्हीं का पानी वहां बने शानदार बोटैनिकल गार्डन को सींचता है। अगले दिन अल्लसुबह रवाना होकर हमने राष्ट्रीय राजमार्ग 1बी पकड़ लिया। उसी से हम 3748 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सिंथन टॉप पहुंचे। सिथंन टॉप तक का रास्ता बहुत बढिय़ा था, काली पक्की सड़क। टॉप के बाद जाकर दूसरी तरफ नीचे उतरत...
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