यूं तो देश की ज्यादातर पहाडिय़ों में कहीं न कहीं शिव का कोई स्थान मिल जाएगा, लेकिन शिव के निवास के रूप में सर्वमान्य कैलाश पर्वत के भी एक से ज्यादा प्रतिरूप पौराणिक काल से धार्मिक मान्यताओं में स्थान बनाए हुए हैं। तिब्बत में मौजूद कैलाश-मानसरोवर को सृष्टि का केंद्र कहा जाता है। वहां की यात्रा आर्थिक, शारीरिक व प्राकृतिक, हर लिहाज से दुर्गम है। उससे थोड़ा ही पहले भारतीय सीमा में पिथौरागढ़ जिले में आदि-कैलाश या छोटा कैलाश है। इसी तरह एक और कैलाश हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले में है। ये दोनों कैलाश भी बड़े कैलाश की ही तरह शिव के निवास माने जाते हैं और इनका पौराणिक महात्म्य भी उतना ही बताया जाता है। धौलाधार, पांगी व जांस्कर पर्वत शृंखलाओं से घिरा यह कैलाश पर्वत मणिमहेश-कैलाश के नाम से प्रसिद्ध है और हजारों वर्षों से श्रद्धालु इस मनोरम शैव तीर्थ की यात्रा करते आ रहे हैं। यहां मणिमहेश नाम ...
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This year due to COVID-19, Amarnath Yatra is not just starting late but it is also curtailed in terms of number of days and number of pilgrims. So while Yatra is yet to start this year, we take you down the memory lane in this video to the day when Yatra started in 2017 The annual Amarnath Yatra began on Thursday, 29th June 2017 despite inclement weather as the then Jammu and Kashmir governor NN Vohra attended a prayer inside the Himalayan cave shrine marking the formal start of the pilgrimage. Over 6,000 pilgrims were allowed to move towards the shrine from north Kashmir's Baltal base camp while 5,000 pilgrims proceeded from the traditional south Kashmir Pahalgam route. Vohra, who was also exofficio Chairman of the Shri Amarnathji Shrine Board (SASB), performed prayers at the cave shr...
Read Moreकोविड-19 के दौर में पिछले कुछ महीनों से आना-जाना सब रुका था। अब कई राज्यों ने अपनी सीमाओं को सैलानियों के लिए खोल दिया है, जिनमें हिमाचल प्रदेश भी है। लिहाजा हम यहां ले चल रहे आपको एक ऐसी यात्रा पर जो हिमाचल के किन्नौर इलाके में जुलाई-अगस्त के महीनों में होती है- किन्नर कैलाश की यात्रा। अगर आप जा पाएं तो बेहद शानदार वरना, घुमा तो हम आपको इस लेख से दे ही रहे हैं हिमाचल में यात्राओं का अपना ही रोमांच है लेकिन ये यात्राएं यदि रोमांच के साथ-साथ धार्मिक आस्था से ओत-प्रोत हों तो सोने पे सुहागा जैसी बात हो जाती है। पूरे साल भर अपने उफान में रहने वाली इन यात्राओं में कुछ एक ऐसी यात्राएं हैं जिन्हे तय कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। इन यात्राओं को वही शख्स पूरा कर सकता है जिसके पास गूढ़ आस्था, बुलंद हौसला, प्रकृति से प्रेम और कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तथा जो रोमांच के पलों को जीने की तमन...
Read Moreगुरु पूर्णिमा (व्यास पूर्णिमा) के दिन अमरनाथ यात्रा के लिए छड़ी मुबारक यात्रा रविवार को सवेरे श्रीनगर से पहलगाम के लिए रवाना हुई, और इसके साथ ही इस साल की यात्रा की विधिवत शुरुआत हो गई। कोविड-19 के कारण इस बार यात्रा की अवधि भी छोटी होगी और श्रद्धालुओं की संख्या भी कम ही रखी जाएगी। आम श्रद्धालुओं के लिए यात्रा 21 जुलाई से ही शुरू होगी और 3 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन संपन्न होगी। एक दिन में अधिकतम 500 यात्रियों को ही जाने की इजाजत रहेगी। रविवार सवेरे ही जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने अपने परिजनों के साथ हेलिकॉप्टर से अमरनाथ पहुंचकर गुफा में पूजा-अर्चना की। रविवार सवेरे छह बजे करीब सौ साधु-संतों और अन्य लोगों के साथ श्रीनगर के दशनामी अखाड़े से पहलगाम के लिए छड़ी मुबारक रवाना हुई। रविवार को ही पहलगाम में अमरनाथ छड़ी मुबारक का भूमि पूजन, नवग्रह पूजन और ध्वजारोहण की रस...
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