पहले के कालिकट और आज के कोझिकोड के आसपास के इलाके को केरल के बाकी हिस्सों की ही तरह कुदरत ने काफी नियामतें बख्शी हैं। उनको काफी सहेजकर रखा भी गया है। मलाबार के इस इलाके में जाएं तो इन कुछ जगहों की सैर करना न भूलें, हम बता रहे हैं आपको टॉप 10 विकल्प।
धुंध से ढका तुषारागिरी वाटरफॉल्स
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तुषारागिरी यानी धुंध से ढका पहाड़। कोझिकोड से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह वाटरफॉल्स बहुत खूबसूरत है। लगातार गिरते पानी से उठती ओस यहां पहाड़ पर कुहासा सा बना देती हैं। यह इलाका केरल के पारंपरिक मसालों की खेती से भरपूर है। यह ट्रैकिंग के शौकीन भी बहुत आते हैं जो यहां से वायनाड जिले में वाइतिरी तक ट्रैक के लिए जाते हैं।
सांस्कृतिक चेतना का ताली मंदिर
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कोझिकोड शहर के भीतर स्थित 14वीं सदी में बना यह मंदिर मलाबार के इस इलाके की सांस्कृतिक चेतना का एक प्रमुख केंद्र है। इसका केरल शैली का पारंपरिक शिल्प बहुत आकर्षक है। इसे उस समय के जमोरिन स्वामी तिरुमुलपाद ने अपने महल परिसर में ही बनवाया था। यह जगह अपने सालाना रेवती पट्टथनम नामक सांस्कृतिक जलसे के लिए भी प्रसिद्ध है।
सुनहरा रेतीला कोलावि बीच
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कोझिकोड से लगभग 39 किलोमीटर की दूरी पर पय्योली में स्थित सुनहरे रेतीले समुद्र तट पर हर साल नवंबर-दिसंबर में बड़ी संख्या में ओलिव रिडले कछुए अंडे देने के लिए आते हैं।
शहर में ढलते सूरत के लिए कोझिकोड बीच
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यह समुद्र तट शहर से लगा हुआ है। यहां से सूर्यास्त का नजारा बेहद शानदार होता है। यहां डॉल्फिन प्वाइंट है जहां से आप समुद्र में खेलती डॉल्फिन मछलियों का नजारा ले सकते हैं।
कक्कायम बांध का रोमांच
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कोझिकोड शहर से तकरीबन 66 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह खूबसूरत बांध। चारों तरफ पहाड़ियों व घने जंगलों से घिरा। जंगल होने के कारण यहां काफी वन्यजीव भी मिल जाते हैं। इसके अलावा ट्रेकिंग व रॉक क्लाइबिंग जैसे रोमांच के शौकीनों के लिए भी यह काफी लोकप्रिय जगह है।
बेपोर का ऐतिहासिक बंदरगाह
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कोझिकोड शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर चलियार नदी के मुहाने पर यह ऐतिहासिक बंदरगाह है। यह सबसे ज्यादा अपनी जहाज बनाने की पारंपरिक कला के लिए प्रसिद्ध है जो सदियों पुरानी है। आप यहां जाकर कारीगरों को जहाज बनाते देख सकते हैं। अपने आप में यह एक अनूठा अनुभव है।
पेरुवन्नमुझि बांध में करें बोटिंग
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कोझिकोड शहर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़यिों के बीच में यह खूबसूरत जलाशय है जिसमें नौकायन का आनंद लिया जा सकता है। जलाशय में निर्जन द्वीप हैं और पक्षी अभयारण्य भी।
कृष्ण मेनन म्यूजियम में इतिहास का झरोखा
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यह उन लोगों की रुचि का हो सकता है जिन्हें इतिहास में रुचि हो। कोषिकोड शहर में ही भारत के सबसे सुलझे हुए राजनयिकों में से एक वी.के. कृष्ण मेनन का संग्रहालय है। कृष्ण मेनन इसी शहर के थे। इस म्यूजियम की पहली मंजिल पर आर्ट गैलरी है जिसमें राजा रवि वर्मा और राजा राजा वर्मा की कई दुर्लभ पेंटिंग प्रदर्शित की गई हैं। इसी परिसर में पीछे की तरफ पझश्शि राजा पुरातात्विक संग्रहालय भी है जिसमें मलाबार इलाके से मिले पुरातात्विक अवशेष रखे गए हैं। वह इमारत अंग्रेजों के समय में कभी जेल हुआ करती थी।
वास्को डी गामा का काप्पाड बीच
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कोझिकोड शहर से लगभग 16 किलोमीटर दूर यह समुद्र तट एक मायने में भारत के इतिहास से अभिन्न रूप से जुड़ गया है। यही वो समुद्र तट है जिसपर पांच सौ साल पहले पुर्तगाली नाविक वास्को डी गामा सबसे पहले पहुंचा था।
नदी-सागर के मेल पर कडलुंडी
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कडलुंडी पक्षी विहार कोझिकोड शहर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहां जाने के लिए आप कोझिकोड शहर से बस ले सकते हैं जो आपको कडलुंडी रेलवे स्टेशन के निकट उतार देगी। वहां से आप पैदल भी पक्षी विहार जा सकते हैं। यह सैंक्चुअरी दरअसल कई छोटे-छोटे द्वीपों पर फैली है। यह सारा इलाका पहाड़ियों से घिरा है और यहां से होकर यह नदी अरब सागर में जा मिलती है। नदी व सागर के मेल के मुहाने पर ही कडलुंडी पक्षी विहार स्थित है। मानसून के बाद से यहां प्रवासी पक्षी भी आना शुरू हो जाते हैं।
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