केन फॉलेट के उपन्यास ‘आई ऑफ द नीडल’ को पढ़े मुझे ज्यादा वक्त नहीं बीता था। यह उपन्यास एक नाजी जासूस की गतिविधियों पर आधारित है जो दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटेन में रहकर जासूसी करता है। इसके कथानक का बड़ा हिस्सा एक चट्टानी द्वीप पर घटता है- समंदर के सीने पर मुस्तैद खड़ी एक चट्टान, जिसकी तलहटी में लहरें ठांठें मार रही हैं। उपन्यास को पढ़ते-पढ़ते मेरे मन में इस नजारे की छवि कहीं गहरे अंकित हो गई। लेकिन मुझे अंदाजा नहीं था कि यह छवि जल्दी ही साकार होने वाली थी।
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वर्कला… केरल के दक्षिणी छोर पर एक छोटा-सा शहर। पहली नजर में यह हल्की-फुल्की रफ्तार से चल रही एक उनींदी-सी जगह लगेगी। चारों तरफ हरे-भरे पेड़ों से घिरा हुआ शांत रेलवे स्टेशन जहां ज्यादा चहलकदमी नहीं; स्टेशन के बाहर टैक्सी और ऑटो वालों की भीड़; सड़क पर से ही सवारियां लेती बसें; खाने-पीने की साधारण दुकानें। रेलगाड़ी से उतरने के बाद गोल-गोल घूमती सड़क पर समंदर किनारे तक के चार-पांच किलोमीटर के सफर में भी वर्कला अपना यह रूप बनाए रखता है। लेकिन पहाड़ी पर पहुंचकर जैसे ही आप तलहटी को अपनी निगाहों में समेटते हैं तो एक दूसरी ही दुनिया नजर आती है। मेरे लिए वह दृश्य अविस्मरणीय है। जब मैं वहां पहुंचा, उस वक्त सूरज ढलान पर था और उसकी सुनहरी आभा से वर्कला का सफेद रेत वाला समंदर तट चमक रहा था। अनायास मेरे सामने केन फॉलेट के उपन्यास के चट्टानी द्वीप की छवि साकार हो गई। अंतर बस इतना था कि उपन्यास में द्वीप पर जहां सिर्फ एक घर था, वहीं वर्कला की इस पहाड़ी पर कितनी ही दुकानें, रेस्तरां व रिजॉर्ट कतार बांधे खड़े थे और नीचे समुद्र के किनारे सुकून के पल बिता रहे लोगों का हुजूम था।
अगर आप अपने देश के गोवा, मुबंई या चेन्नई जैसे चर्चित पर्यटन स्थलों पर मटमैले और गंदगी से भरे हुए समुद्र तट देखकर उकता चुके हैं तो वर्कला में आपका स्वागत है। यहां की रेत लगभग सफेद रंग की है और किनारे मखमली। इस साफ-सुथरे तट पर जब डूबते सूरज की लालिमा बिखरे देखो तो जन्नत जैसा अहसास होना लाजिमी है। लगता है सूरज की किरणें चमकीली रेत पर फिसलकर आंखों तक पहुंच रही हैं। अपनी खूबसूरती में यह तट फुकेट व पेनांग को टक्कर देता है। शायद यही वजह है कि महज 50 किलोमीटर दूर स्थित तिरुवनंतपुरम के तटों पर इतने विदेशी सैलानी नहीं दिखेंगे, जितने यहां पर। समुद्र किनारे बसा और विदेशियों का पसंदीदा यह पर्यटन स्थल असल में समुद्रतल से खासी ऊंचाई पर है। वर्कला के आसपास पश्चिमी घाट की चट्टानें समुद्र से थोड़ी दूरी पर न होकर बिल्कुल किनारे पर हैं। इन्हीं में से दो चट्टानों पर बसा है वर्कला। इनमें से एक है नॉर्थ क्लिफ और दूसरी साउथ क्लिफ; और तीखी ढलान वाली इन चट्टानों की तलहटी में हैं चमचमाती रेत वाले किनारे।
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जैसे अपने ही घर में हों
वर्कला में जितना सुकून दिन में अरब सागर के किनारे रेत में अठखेलियां करने में है, उतना ही सुकून रात में रहने के ठिकाने पर वक्त गुजारने में है। वर्कला में पांच सितारा रिजॉर्ट हैं तो कम मंहगे होटल भी हैं। लेकिन यहां की असली पहचान हैं होम स्टे। विदेशी सैलानी होटलों के कमरों में बंद रहने के बजाय स्थानीय रंग-ढंग में घुलना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे में होम स्टे की यहां भरमार है। स्थानीय लोगों के घरों में मेहमान बनकर रहना, केरल की संस्कृति को करीब से जानना और शुद्ध मलयाली भोजन… होम स्टे में रहने का अनुभव ही अलग है।
मेरा ठिकाना भी ऐसा ही एक होम स्टे था। दिनभर की थकान के बाद जब नारियल के पेड़ों से घिरे आंगन में कदम रखा तो सारी थकान छूमंतर हो गई। एक तरफ झूले, तो दूसरी तरफ चटाई पर बैठे और हंसी-ठिठोली करते युवा। पीने के लिए कुएं का पानी और मोमबत्ती की रोशनी में चारपाई पर सबके साथ बैठकर मलयाली भोजन खाना। घर में रुके हुए सभी पेइंग गेस्ट कुछ देर के लिए जैसे एक परिवार हो गए थे। हमने होम स्टे की बुकिंग इंटरनेट पर की थी, लेकिन इटंरनेट पर बहुत अधिक विकल्प मौजूद नहीं हैं। आप चाहें तो वहां जाकर भी होम स्टे का चयन कर सकते हैं।
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स्वाद भी, सेहत भी
होम स्टे में मलयाली खाने का जहां अपना ही आनंद है, वहीं क्लिफ पर मौजूद रेस्तराओं में डिनर के विकल्प भी खुले हैं। हल्की रोशनियों के बीच बजता संगीत, नीचे गरजना करता समुद्र, और ताजा समुद्री भोजन.. आप इस माहौल में किए गए डिनर को बार-बार याद करेंगे। यहां पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर आपको बिना पका सी-फूड भी बिकता मिलेगा। आप यहां अपनी पसंद का सी-फूड पकवाकर खा सकते हैं। खाने के शौकीनों के लिए वर्कला जन्नत है। इनके अलावा, सेहत के प्रति फिक्रमंद लोग भी यहां आकर अपना तनाव दूर सकते हैं। यहां पर आयुर्वेदिक मसाज व स्पा के अनेक सेंटर हैं जहां आप अपनी शारीरिक एवं मानसिक थकान को अलविदा कह सकते हैं।
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जनार्दन मंदिर और शिवगिरी मठ
वर्कला अगर सुकून व नफासत पसंद करने वालों के लिए बेहतरीन ठिकाना है तो धर्म-कर्म के लिहाज से भी इसका कम महत्व नहीं है। यहां आप जनार्दन मंदिर जा सकते हैं जो दो हजार साल पुराना है। यह मंदिर पापनाशम तट से कुछ ही दूरी पर है। मान्यता है कि यहां आकर सब पापों का नाश हो जाता है। वैष्णव मत के लोगों के लिए इसकी इतनी अहमियत है कि इसे वे दक्षिण की काशी कहते हैं। इसके अलावा, वर्कला में शिवगिरी मठ भी है जिसे महान समाज सुधाकर एवं संत नारायण गुरु ने स्थापित किया था। यहां हर साल 30 दिसंबर से 1 जनवरी तक शिवगिरी महोत्सव मनाया जाता है।
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…और दो दिन कोल्लम में
वर्कला में सागर किनारे की तफरीह ने जहां हमें अलग तरह के रोमांच से रू-ब-रू कराया, वहीं महज 24 किलोमीटर दूर कोल्लम के समुद्र तट पर बने समर हाउस में ठहरना अपने-आप में खुशगवार अनुभव रहा। कोल्लम में तीन सी-बीच हैं। इनमें से एक मेन बीच है, जबकि दो अन्य तांगासेरी एवं तिरुमुल्लावरम हैं। तांगासेरी व तिरुमुल्लावरम के तटों पर तीन समर हाउस बने हैं। ये निजी संपत्ति हैं लेकिन इन्हें केरल टूरिज्म की मान्यता हासिल है। वर्कला के जादू से अभी मुक्त भी नहीं हुए थे कि समर हाउस ने हमें अपने मोहपाश में जकड़ लिया। केवल एक छोटी-सी चहारदीवारी हमें समंदर की लहरों से अलग कर रही थी। हम जिस समर हाउस में ठहरे वहां तीन कॉटेज हैं। बुकिंग करवाते समय हम इस बात को लेकर आशंकित थे कि बिना एयर-कंडीशनर के काम कैसे चलेगा। लेकिन वहां जाकर हमें पंखा तक चलाने की जरूरत महसूस नहीं हुई। लकड़ी के इस कॉटेज में दो दिन गुजारना जन्नत से कम नहीं था। दिन में जो लहरें शोर करती लग रही थीं, वही लहरें रात में एक लय में गुनगुनाती-सी लगीं.. ऊपर से ठंडी हवा और रह-रहकर उड़ आते पानी के छींटे। और यहां के खाने का तो कहना ही क्या। उसके लिए मैं एक ही शब्द कहूंगा… लज्जतदार। हर समर हाउस में एक अटेंडेट है जो आपका खयाल रखने के लिए हमेशा तैयार है। जब-जब हमें चाय-कॉफी या किसी अन्य चीज की जरूरत महसूस हुई, राम ने मुस्कराहट के साथ हमें वह मुहैया करवाई। कोल्लम में हम कई जगहों पर गए लेकिन समर हाउस में बिताया समय हमारे लिए यादगार बन गया।
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याद रहे
- तिरुवनंतपुरम से वर्कला की दूरी करीब 50 किलोमीटर है और वहां से वर्कला के लिए बसें व ट्रेनें हैं। ट्रेन का सफर अधिक सुविधाजनक है। स्टेशन का नाम वर्कला शिवगिरी है।
- वर्कला के सागर किनारे खाने-पीने के कई अच्छे ठिकाने हैं, जहां ठंडी हवा के झोंकों के बीच डिनर किया जा सकता है।
- किसी होम-स्टे में रुकने से पहले पता कर लें कि क्या-क्या सुविधाएं वहां हैं। और यह भी कि क्या नाश्ता आपके रूम टैरिफ में शामिल है या नहीं।
- वर्कला आयुर्वेदिक मसाज एवं ट्रीटमेंट का बड़ा केंद्र है। तो क्यों न सेहत को थोड़ा बेहतर बनाकर वहां से लौटें।
- यदि वर्कला में ज़्यादा समय बिताने का इरादा है तो किराये पर कमरे भी मिलते हैं। लेकिन किराये व सुविधाओं की जानकारी के लिए थोड़ा घूम-फिर लें, उसके बाद ही फैसला लें।
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