दक्षिण भारत के कलात्मक इतिहास में पल्लवों की वास्तु व मूर्तिकला का अत्यंत गौरवपूर्ण स्थान है। इनकी गुफाएं, मंदिर और स्थापत्य भारतीय कला में एक नए अध्याय का सृजन करते हैं। धवल हिमालय से सुदुर दक्षिण में लेकिन नीले समुद्र से थोड़ा उत्तर का भू-प्रदेश अपने अंदर द्रविड़ सभ्यता व संस्कृति की विरासत को बचा कर रख पाने में सफल रहा है। कावेरी की गोद में पली द्रविड सभ्यता का केंद्र ‘तमिलकम प्रदेश’ यानि आज का तमिलनाडु अपने साथ इंसानी मेहनत और उसकी साकार हुई अनूठी कल्पना को सहेजे हुए है, जो पुरातन युग में पत्थरों को तराश कर बनाए गए मंदिरों के रूप में मौजूद हैं। शिल्पियों के औजारों से निकलने वाले अनवरत संगीत के दौर में इंसान की कल्पना को यथार्थ की जमीन मिली और ललित कला की एक खास शैली ने जन्म लिया। सामूहिक श्रम से उपजी इस शैली को द्रविड़ शैली का नाम दिया गया। दक्षिण भारत के पूर्वी भाग मे...
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घुमक्कड़ी की दुनिया में 13वीं-14वीं सदी के मोरक्को के शिक्षाविद व यायावर इब्ने बतूता के नाम से कई कहावतें प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक है कि “Traveling leaves you speechless, then turns you into a storyteller, ” यानी घुमक्कड़ी, पहले तो आपको स्तब्ध कर देती है और फिर आपको एक कहानीकार में तब्दील कर देती है। मायने यह कि घूमते-घूमते आप प्रकृति से इतने मोहित हो जाते हैं कि आप निरंतर उस अनुभव को दूसरों से साझा करने को उत्सुक रहते हैं, यह अनुभव आपको ऊर्जा व शब्द, दोनों देता है। इंदौर में पेशे से न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर अजय सोडानी की किताब ‘दर्रा-दर्रा हिमालय’ इसी स्टोरीटेलिंग का अच्छा नमूना है। डॉक्टरी के व्यस्त पेशे से घूमने के लिए समय निकाल पाने वाली बात दरअसल अब हैरान नहीं करती क्योंकि पिछले दो दशकों में ऐसे कई डॉक्टरों के बारे में लिख-पढ़ चुका हूं जिन्हें घूमना हद से ज्यादा पसंद है और वे...
Read Moreजब घुमक्कड़ी की बात आती है तो मुझे सबसे ज्यादा हिमालय पसंद हैं। मुझे हिमालय की गोद में जाकर जितना रोमांच मिलता है उतना किसी और बात में नहीं मिलता। उसी तरह जितना सुकून मुझे वहां मिलता है, उतना सुकून भी कहीं और नहीं मिलता। इसलिए कोई हैरत की बात नहीं कि हर थोड़े महीनों के बाद, मुझे जब भी मौका मिलता है, मैं हिमालय की तरफ भाग लेता हूं। यही वजह थी कि जब मैंने अपनी नौकरी छोड़ी तो मैं भारत के उत्तर-पूर्व इलाके की ओर जाकर जम गया। और जहा सोचिए कि नौकरी छोड़ने के बाद मैंने पहला काम क्या किया? मैं तुरंत ही सबसे पहले हिमालय की तरफ भाग लिया और मैं केदारकांठा के लिए सर्दियों में ट्रेक पर निकल पड़ा। सर्दियों में ट्रेकिंग के शौकीन काफी लोग दिसंबर में केदारकांठा जाना पसंद करते हैं लेकिन मैंने जनवरी में जाना पसंद किया क्योंकि केदारकांठा का ट्रेक साल के किसी भी औऱ वक्त की तुलना में जनवरी के महीने में ...
Read MoreJagannath Temple in Puri reopened for all devotees on Sunday after remaining closed for nine months due to the pandemic even as Odisha Governor Ganeshi Lal preferred to have darshan of the deities from outside for not having the mandatory COVID-19 negative report for entry into the shrine. The governor, along with his family members and some staff, had to return to the state capital after having darshan of "Patitapaban" (the symbolic image of lord Jagannath seen from outside the temple) as they did not have the COVID-19 negative report, a senior official accompanying Lal said. Though there was no restriction on the entry of the governor, who was welcomed by the Shree Jagannath Temple Administration (SJTA) and Puri district administration, Lal volunteered not to go inside on his ...
Read Moreजांस्कर नदी हमारे उत्तर भारत के उस इलाके में स्थित हैं जो लगभग सात से आठ महीने तक दुनिया के बाकी हिस्सों से अलग-थलग पड़ जाता है। इस दौरान यहां एक अलग ही दुनिया होती है। इसे देखकर लगता है मानो हम हिम-युग में पहुंच गए हैं। जम्मू-कश्मीर के लद्दाख इलाके में जांस्कर क्षेत्र में स्थित जांस्कर नदी इन महीनों में पूरी तरफ बर्फ से ढक जाती है। मानो किसी ने नदी को सफेद चादर से ढक दिया हो। यह नजारा विलक्षण, अद्भुत व अविस्मरणीय बन पड़ता है। ऊपर बर्फ की ठोस मोटी परत और उसके नीचे से बहती हुई नदी की निर्मल, अविरल धारा। रोचक बात है कि बर्फ की यही चादर इन महीनों में इस इलाके की जीवनरेखा बन जाती है। प्राचीन काल से ही बर्फ से ढके इस रास्ते पर राजा-महाराजा, साधु-संन्यासी, बौद्ध भिक्षु और आम लोग तमाम तकलीफों से जूझते हुए भी अपने मुकाम पर बढ़ते रहे हैं। अब यह दुष्कर रास्ता हमेशा तो इस तरह से नजर नहीं आता। इसल...
Read Moreनल सरोवर भारत में ताजे पानी के बाकी नम भूमि क्षेत्रों से कई मायनों में भिन्न है। सरदियों में उपयुक्त मौसम, भोजन की पर्याप्तता और सुरक्षा ही इन सैलानी पक्षियों को यहां आकर्षित करती है। सरदियों में सैकड़ों प्रकार के लाखों स्वदेशी पक्षियों का जमावड़ा रहता है। इतनी बड़ी तादाद में पक्षियों के डेरा जमाने के बाद नल में उनकी चहचाहट से रौनक बढ़ जाती है। सितंबर 2012 में इसे अंतरराष्ट्रीय महत्व का रामसर नम भूमि क्षेत्र के रूप में घोषित कर दिया गया था। नल में इन्हीं उड़ते सैलानियों की जलक्रीड़ाएं व स्वर लहरियों को देखने-सुनने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां प्रतिदिन जुटते हैं। पर्यटकों के अतिरिक्त यहां पक्षी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, शोधार्थी व छात्रों का भी जमावड़ा लगा रहता है तो कभी-कभार यहां पर लंबे समय से भटकते ऐसे पक्षी प्रेमी भी आते हैं जो किसी खास पक्षी के छायाचित्र भी उतारने की तलाश में रहते...
Read MoreMore than 64,000 tourists have visited the Kaziranga National Park and Tiger Reserve, famed for the one-horned Indian rhinoceros, since it reopened on October 21, an official said. The park, which is a UNESCO World Heritage site, usually remains closed between June and September because of the annual floods and reopens in November. The park's Field Director P Sivakumar said that 64,100 tourists visited since October 21,2020 while the revenue collected during the 70-day period was Rs 127.32 lakh. In 2018-19, over 47,10,971 domestic tourists and 25,739 foreign tourists had visited the state. The park authorities could successfully restrict rhino poaching with only two rhinos poached in the year 2020, he said on Friday. !function(e,t,c,a){if(!e.fwn&&(a="fwn_script",...
Read MoreAfter a lull of nearly one-and-a-half years, Kashmir was again abuzz with tourists as thousands of people from different parts of the country descended on the picturesque Gulmarg, Pahalgam and other areas of the valley for the New Year. As tourist arrivals spiked, the region witnessed huge traffic jams. The situation was such in the popular skiing destination Gulmarg that some tourists had to ring in the New Year from their vehicles stuck in traffic. Tourists at Gulmarg. Photo: Waseem Andrabi/Twitter "One needs to understand that global destinations are ruled out due to the pandemic and Kashmir became an obvious choice for domestic travellers," says Nighat Shah, the reservation manager with a prominent hotel chain in Srinagar and Gulmarg. Hotels and resorts organised various e...
Read MoreThe number of visitors to be allowed into the Taj Mahal has been increased to 15,000 per day despite warnings from health officials that overcrowding at tourist sites could lead to a rise in coronavirus cases. The 17th-century mausoleum, one of India’s most popular tourist destinations, was shut in March after the government imposed a lockdown to curb the spread of the coronavirus. When it reopened in September, visitors were initially only allowed back under strict restrictions but local officials said numbers had swelled in recent weeks, pushing them to increase the cap on tourists from 10,000 per day. “The limit has been increased to 15,000 tickets per day so that every tourist can get the ticket and admire the monument,” government archaeologist Vasant Kumar Swarnkar said...
Read MoreFire continues to rage in the Dzukou valley along the interstate border of Nagaland and Manipur. Fire broke out in the scenic range in Nagaland's Kohima district on Tuesday, official sources said. Fire is said to have been started by miscreants. Fire in Dzukou valley. Photo source: Twitter OSD of Nagaland State Disaster Management Authority (NSDMA), Johnny Raungmei confirmed the fire incident. He, however, said that the cause of the fire and the extent of damage are yet to be ascertained. He said the NSDMA has already requisitioned IAF choppers to douse the fire. Southern Angami Youth Organisation (SAYO) president Zakieletuo Tsukru also confirmed the fire incident and said that the careTaker of Dzukou valley has informed that the fire has engulfed the area away from the picturesq...
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