After over five months, devotees will be allowed to offer worship at the famous Lord Padmanabha Swamy temple here from Wednesday adhering to strict COVID-19 protocols. The temple had not allowed worshippers since March 21 due to the pandemic. "We have made adequate arrangements for devotees. Floor markings have been made to ensure social distancing of devotees. Barricades have also been set up," temple sources said. Followers will have to book for darshan online through the temple website "spst.in" a day ahead of their visit to the shrine and before 5 pm, keep a copy of the same and carry their original Aadhaar card along with them during the temple visit. A counter has been set up at the North gate from where the devotees have to enter and they have to write their details...
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सपनों की नगरी सा है ये सफर। दुनिया में अपने आप में अजूबा है। इसे दुनिया की एकमात्र तैरती हुई झील कहा जाता है। ऐसी झील जिसमें जमीन के टुकड़े, द्वीप या भूखंड तैरते रहते हैं, जिन्हें फुमदी कहा जाता है। इस टुकड़ों पर घर हैं, टूरिस्ज लॉज हैं, और तो और, इस झील के एक किनारे पर तैरता हुआ नेशनल पार्क है। पूरी दुनिया में कहीं भी तैरती झील के भूखंड में जानवरों का डेरा नहीं है। इस अनूठी झील का पता कोई दूर-दराज का देश नहीं है, बल्कि अपना भारत है। चौंक गए न आप, चौंकने की बात ही है, ये खूबसूरत, अचंभों से भरी झील देश के एक छोटे से राज्य मणिपुर में है। इसका नाम है लोकटक झील और यह बिशनपुर जिले में है। मणिपुर की राजधानी इंफाल से महज 53 किलोमीटर की दूरी पर। और तो और, इसी झील में इस साल देश का पहला तैरता स्कूल भी खुल गया है। बेहद दिलकश नजारों को अपने इर्द-गिर्द समेटे इस झील का क्षेत्रफल 300 वर्ग किलोमी...
Read Moreहोगेनक्कल तमिलनाडु का एक स्तब्ध कर देने वाला सौंदर्यबिंदु है। दूर से ही इसकी गर्जना हमें अपनी ओर बुलाती है। पथरीले तटों के मध्य बहती हुई कावेरी नदी की यह गर्जना संपूर्ण होगेनक्कल में व्याप्त है। यद्यपि यह क्षेत्र सामान्यतया सूखा और पथरीला है पर जब से कर्नाटक सरकार ने कावेरी नदी के द्वार तमिलनाडु के लिए खोल दिए हैं और वर्षा का वरदहस्त इस क्षेत्र पर आया है कावेरी नदी और होगेनक्कल झरने के विहंगम रूप ने इसे एक प्रमुख पर्यटन केंद्र बना दिया है। नदी बिलिगुंडुला से होकर तमिलनाडु में प्रवेश करती है और होगेनक्कल में जल प्रपात का रूप ले लेती है। यहां कावेरी नदी समतल भूमि से होकर बहती है और इस क्षेत्र को हरियाली प्रदान करती है। पत्थरों से टकराकर बहते हुए नदी का दृश्य रोमांचक है। यहां नदी एक जंगल से पूर्ण घाटी से होकर बहती है। कहीं पर यह गहरी है तो कहीं पर उथली। उथले स्थानों पर पेड़ और झाडिय़ां है...
Read MoreWith the COVID-19 pandemic casting a shadow, the famous Dasara celebrations in the palace city of Mysuru will be a low-key affair this year. "I'm discussing regarding Mysuru Dasara, we will see how it can be celebrated in a simple way and do it," Karnataka Chief Minister B S Yediyurappa on Friday told reporters here in response to a question. The Chief Minister's statement has come amid reports that 'jamboo savari' (procession of caparisoned elephants) and cultural carnival associated with the Mysuru Dasara that attracts large crowd, is likely to be dropped this year, in view of the COVID situation. Celebrated as "Naada Habba" (state festival), the ten-day event every year showcases Karnataka's cultural heritage resplendent with folk art forms. This year Dasara festivitie...
Read Moreकास के पठार में फूल खिलने लगे हैं। लेकिन अभी हम उन्हें देखने नहीं जा सकते क्योंकि कोविड-19 के कारण लॉकडाउन लगाए जाने के बाद से यह जगह अभी सैलानियों के लिए फिर से खुली नहीं है। वैसे भी महाराष्ट्र दश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला राज्य है। लेकिन अभी वक्त है। फूल अक्टूबर तक खिले रहेंगे। हो सकता है आपको जाने का मौका मिल जाए। तब तक जानिए इस अनूठी जगह के बारे में... कास हमारे मध्य भारत की फूलों की घाटी है। जब भी हम फूलों की घाटी की बात करते हैं तो उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित हिमालयी फूलों की घाटी नेशनल पार्क की याद आती है या फिर हम हर की दून में स्थित फूलों की भी बात कर लेगे हैं, औऱ हो सकता है कि सिक्किम में युमथांग को भी याद कर लें। लेकिन कास हमारे जेहन में नहीं आता। अब कहने वाले कह सकते हैं कि बात घाटियों की हो तो कास तो पठार है। लेकिन कास के पठार होने की वजह से ही यह...
Read Moreकिसी भी जगह की किसी दूसरे देश की जगह से तुलना करना बड़ा अजीब लगता है, खासकर प्रकृति के संदर्भ में। लेकिन कई बार किसी कम लोकप्रिय जगह को किसी जानी-मानी जगह के बरक्स रखना दरअसल उसे पहचान दिलाने में मदद जरूर करता है। आंध्र प्रदेश में गांडिकोटा ऐसी ही जगह है, जिसे लोग भारत का ग्रांड कैनयन कहते हैं। जाहिर है, यह नाम देने वालों को ग्रांड कैनयन के बारे में पता होगा। जिन्हें न बता हो, वो इतनाभर जान सकते हैं कि अमेरिका के एरिजोना में स्थित ग्रांड कैनयन प्रकृति का नायाब करिश्मा है, जिसमें चट्टानी पहाड़ों के बीच गहरी खाइयां बनी हैं और सैकड़ों-हजारों सालों में हवा व पानी के प्रवाह से इन खड्ड में चट्टानों पर प्रकृति की मानो चित्रकारी सी हो गई है। कुछ इस तरह से यहां बहती है पेन्नार नदी गांडिकोटा में भी कुदरत ने ऐसा ही करिश्मा दिखाया है। कुछ ऐसा कि वहां जाकर आपको यकीन नहीं होगा कि भारत में किसी जग...
Read MoreKhushvinder Singh is part of a 12-member group from Jammu who reached Katra before dawn to pay obeisance at the famous Mata Vaishno Devi Shrine atop Trikuta hills in Reasi district of Jammu and Kashmir.The shrine along with other religious places across the Union Territory reopened for devotees on Sunday morning after remaining closed for almost five months due to the COVID-19 outbreak. "I used to come to the shrine at least once every month to offer my prayers. I feel blessed to be back on the first day of the reopening of the shrine," the 48-year-old Singh said. Singh had reached Katra, the base camp for the pilgrims visiting Vaishno Devi shrine, around 4 am and was among the first batch to offer prayers at the sanctum sanctorum - the holy cave which is the ultimate destination of th...
Read Moreपहले के कालिकट और आज के कोझिकोड के आसपास के इलाके को केरल के बाकी हिस्सों की ही तरह कुदरत ने काफी नियामतें बख्शी हैं। उनको काफी सहेजकर रखा भी गया है। मलाबार के इस इलाके में जाएं तो इन कुछ जगहों की सैर करना न भूलें, हम बता रहे हैं आपको टॉप 10 विकल्प। धुंध से ढका तुषारागिरी वाटरफॉल्स तुषारागिरी यानी धुंध से ढका पहाड़। कोझिकोड से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह वाटरफॉल्स बहुत खूबसूरत है। लगातार गिरते पानी से उठती ओस यहां पहाड़ पर कुहासा सा बना देती हैं। यह इलाका केरल के पारंपरिक मसालों की खेती से भरपूर है। यह ट्रैकिंग के शौकीन भी बहुत आते हैं जो यहां से वायनाड जिले में वाइतिरी तक ट्रैक के लिए जाते हैं। सांस्कृतिक चेतना का ताली मंदिर कोझिकोड शहर के भीतर स्थित 14वीं सदी में बना यह मंदिर मलाबार के इस इलाके की सांस्कृतिक चेतना का एक प्रमुख केंद्र है। इसका केरल शैली का पारंपरि...
Read Moreयह लगातार तीसरा साल है जब केरल की नौका प्रतिस्पर्धाओं की पहचान माने जाने वाली नेहरु ट्रॉफी बोट रेस को स्थगित किया गया है। यह बोट रेस एक तरह से केरल के टूरिस्ट सीजन का आगाज़ मानी जाती है, लेकिन पहले 2018 में भीषण बाढ़ की वजह से और फिर 2019 में भी उसी के अंदेशे में आगे खिसकने के बाद इस साल कोविड-19 महामारी के कारण इसका आयोजन आगे खिसका दिया गया है। इसे इस साल 8 अगस्त 2020 को होना था, और यह इसका 68वां संस्करण होता। पिछले साल से केरल ने इस दौरान होने वाली तमाम नौका दौड़ों को मिलाकर एक चैंपियंस बोट लीग (सीबीएल) का ऐलान किया था जिसमें नेहरु ट्रॉफी से शुरू होकर नवंबर तक होने वाली कुल 12 नौका दौड़ों के लिए टीमों को उनके प्रदर्शन के आधार पर अंक मिले और अंत में सबसे ज्यादा अंक पाने वाली टीम सीबीएल विजेता बनी। इस साल सीबीएल का दूसरा सीजन होना था। फिलहाल, जब तक नौका दौड़ें फिर से शुरू हों, हम आपको ले...
Read MoreThe wait is over and Madhya Pradesh tourism wants to announce it in big way. It has launched a campaign “#IntezaarKhatamHua” to build the confidence and trust amongst the travellers and to keep the audience engaged during the monsoon season by featuring the major monsoon tourism attractions of the destinations like Amarkantak, Panchmarhi, Mandu, Orchha, Tamia, Bhedaghat, and all its National Parks. In the process it also wants to promote state as next big roadtrip and caravan tourism destination. Shiva temple at Bhojpur is a big draw Madhya Pradesh already has some popular monsoon destinations like Mandu and Pachmarhi and this time around after reopening the state borders for domestic tourists in post-COVID-19 lockdown situations, it has also kept buffer zones of all its national pa...
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