लगभग 7000 ईसा पूर्व में जब हिमनदों का सिकुड़ना शुरू हुआ तो अनावृत हुई धरती पर शिकारी जंगली रेनडियरों के पीछे उत्तर की ओर बढ़े। तकरीबन 2500 ईपू के बाद जनजातियों ने खेती करना सीखा। वे 1500 ईपू के आसपास काँसे के औज़ार और हथियार बनाने लगे थे। फिर 500 ईपू में वे लोहा इस्तेमाल में ले आए थे। उस आदिम जाति का नाम अब विलुप्त हो चुका शब्द कोमसा था। इस इलाके के शिकारियों के मौजूदा वंशज लाप्प या उनके अपने शब्द सामी से जाने जाते हैं। वे अब रेनडियरों का पालन करते हैं। उनकी भाषा उराल-अल्ताइक समूह की फिन्नो-उग्रिक परिवार से है जो फिन लोगों से संबंधित है। ये फिन लोग लगभग सौ वर्ष ईस्वी में बाल्टिक समुद्र पार करके आए और धीरे-धीरे उन्होंने सामी लोगों को उत्तर ध्रुवीय इलाकों की ओर धकेल दिया। पहली सदी ईस्वी में फिन्नो-उग्रिक बोलने वाले क़बीले बाल्टिक के पूर्वी तटीय क्षेत्रों में खेती करने लगे। इनमें स्वयं फि...
Read MoreCategory: सैर-सपाटा
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पहाड़ों की गोद में पसरे ठंडे स्वच्छ निर्मल जल ने मानवीय मन व शरीर को हमेशा आमंत्रित किया है और पनीली आगोश में टहलता जमीन का गोलमटोल हिस्सा भी हो तो अचरज भरे अद्भुत अनुभव होने स्वाभाविक हैं। कुछ ऐसी ही जादूगरनी है पराशर झील। खूबसूरत ख्वाब के दो हिस्से जैसे हैं पराशर स्थल और झील। मंडी की उत्तर दिशा में लगभग 50 किलोमीटर दूर हिमाचल की प्राकृतिक झीलों में से एक, स्वप्निल मनोरम व नयनाभिराम। किसी भी मौसम में खिंचे चित्र इतने दिलकश लगते हैं कि पराशर जाने के लिए सैलानी मन को मानो पंख लग जाते हैं। एक बार झील का सानिध्य प्राप्त हो जाए तो समझ में आता है कि हमेशा कंकरीट के जंगल में घूमने से बेहतर है कुदरत के घर भी आया जाए। हिमाचल आकर अतिरिक्त निर्मल आनंद की चाह रखने वालों को मां प्रकृति की पराशर जैसी सौम्य गोद में अवश्य जाना चाहिए। आप मनाली जा रहे हैं या लौट रहे है रास्ते में मंडी रुक जाइए। यहा...
Read Moreफ्रांस के पर्यटन उद्योग में थोड़ी राहत की सांस फूंकते हुए राजधानी पेरिस के दो प्रमुख आकर्षण फिर से सैलानियों के लिए खुल गए हैं। चार महीने बंद रहने के बाद पेरिस का डिज्नीलैंड कोविड-19 की रोकथाम के नए तौर-तरीकों के अमल के साथ आम लोगों के लिए फिर से खुल गया। साथ ही एफेल टावर का सबसे ऊपरी हिस्सा भी लोगों के लिए खोल दिया गया। 19वीं सदी का यह लोहे का बना स्मारक दुनिया के शीर्ष आकर्षणों में से एक माना जाता है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद अपनी सबसे बड़ी बंदी के उपरांत बीती 26 जून को इसके पहले दो माले लोगों के लिए खोले गए थे। अब सबसे ऊपर की मंजिल पर भी लोगों को जाने की इजाजत मिल गई है। दुनिया में अपनी तरह की मनोरंज पार्क की इकलौती व सबसे पुरानी और लोकप्रिय श्रृंखला डिज्नीलैंड ने पेरिस में अपना पार्क खोलने का फैसला अमेरिका के पार्कों को खोलने के बाद किया। हालांकि हांगकांग में उसके पार्क को खुलन...
Read Moreकुल्लू-मनाली और लाहौल-स्पीति घाटियों के लिए सबसे निकट के हवाई अड्डे भुंतर के लिए 16 जुलाई से विमान सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी। एयर इंडिया की एलायंस एयर का विमान बृहस्पतिवार से सप्ताह में तीन दिन दिल्ली से भुंतर और फिर वापसी की उड़ान भरेगा। कोविड-19 महामारी के कारण देश में विमान सेवाएं भी स्थगित कर दी गई थीं। बाकी कई शहरों के बीच तो उड़ानें मई के अंत में शुरू हो गई थीं। भुंतर के लिए अब सेवाएं शुरू की जा रही हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस महीने के शुरू में राज्य में देश के बाकी हिस्सों से सैलानियों के आने की इजाजत दे दी थी। राज्य के दूसरे हवाई अड्डे, कांगड़ा घाटी में धर्मशाला के निकट गग्गल के लिए उड़ानें मई के आखिरी सप्ताह में शुरू हो गई थीं लेकिन तब केवल हिमाचल निवासियों को ही हवाई सेवा के इस्तेमाल की इजाजत दी गई थी। अब भुंतर में हवाई जहाज से आने वाले यात्रियों के लिए भी उसी स्वास्थ्य प्रोटो...
Read Moreहिमाचल में ऐसी बहुत सी हैरतअंगेज, दिलचस्प और रहस्य से परिपूर्ण जगहें हैं जहां तक पहुंच पाना अपने आप में रोमांच और साहस का परिचायक होता है। इसी कड़ी में एक नाम जुड़ जाता है कुल्लू घाटी में स्थित ‘सरयूल सर’ का। चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 से 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस सर की यात्रा हमें ऐसी जगहों से परिचित करवाती है जो प्राकृतिक सौंदर्य से तो लबालब हैं ही, साथ ही अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी जाने जाते हैं। इन क्षेत्रों का रहन-सहन और अथक मेहनत से भरा जीवन हमें सदा कर्म करने की सीख दे जाता है। जलोड़ी जोत इस यात्रा का सबसे ऊंचाई पर बसा स्थल है। इस इलाके की खूबसूरती के आकर्षण के चलते यहां बॉलीवुड की लोकप्रिय फिल्म 'ये जवानी है दीवानी’ और कई हिमाचली एलबम व फिल्म की शूटिंग भी हो चुकी है। सरयूलसर झील के किनारे बूढ़ी नागणी का मंदिर अजूबे से कम नहीं जलोड़ी...
Read Moreयह यकीनन भारत के और शायद दुनिया के भी सबसे चुनौतीपूर्ण लेकिन सबसे खूबसूरत रास्तों में से एक है। हिमाचल प्रदेश में राजधानी शिमला से स्पीति घाटी में काजा तक का रास्ता चरम रोमांच का है। हालांकि यह मनाली से लेह यानी लाहौल घाटी के रास्ते से अलग है। यह दीगर बात है कि आम तौर पर रोमांच-प्रेमी इन दोनों रास्तों को एक ही सांस में याद करते हैं। आइए जरा इस रास्ते की दस सबसे खास बातों पर नजर डालें, जिनका आनंद लेना आप इस रास्ते पर जाते हुए भूल नहीं पाएंगे- काह जिग्स काजा के रास्ते में शिमला से लगभग 290 किलोमीटर दूर यह खाब व काह गांवों के बीच पहाड़ चढ़ती सड़क का नाम है। सर्पाकार तरीके से चढ़ती इस सड़क में कुल सात पट्टियां हैं। लोग कहते हैं इसे देखकर ही इसपर यकीन किया जा सकता है। स्पीति नदी के किनारे-किनारे एक बेहद संकरी घाटी में पहाड़ में कटी सड़क से घुसने के बाद सड़क अचानक ऊपर चढऩे लगती है। यह...
Read Moreकुदरत जब अपनी खूबसूरती बिखेरती है तो सीमाएं नहीं देखती। यही बात उन निगाहों के लिए भी कही जा सकती है उस खूबसूरती का नजारा लेती हैं। हम यहां बात केवल देशों की सीमाओं की नहीं कर रहे, बल्कि धरती व आकाश की सीमाओं की भी कर रहे हैं। हिमालय ऐसी खूबसूरती से भरा पड़ा है। इस बार हम जिक्र कर रहे हैं संदकफू का जो पश्चिम बंगाल से सिक्किम तक फैली सिंगालिला श्रृंखलाओं की सबसे ऊंची चोटी है। नीला आसमान और बर्फ से लदी चोटियां संदकफू की ऊंचाई समुद्र तल से 3611 मीटर है। यहां जाने का रोमांच जितना इतनी ऊंचाई पर जाने से है, वहीं इस बात से भी है कि यह वो जगह है जहां से आप दुनिया की पांच सबसे ऊंची चोटियों में से चार को एक साथ देख सकते हैं। ये हैं दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर), तीसरे नंबर की और भारत में सबसे ऊंची कंचनजंघा (8585 मीटर), चौथे नंबर की लाहोत्से (8516 मी) और पांचवे नंबर की मकाल...
Read MoreAround 700 tourists from various parts of country have visited Himachal Pradesh in the first five days of the last week. On Saturday 4th July state government had allowed entry of tourists into the state with certain conditions pertaining to COVID-19 health protocol. Giving the details state government has asked tourists to follow the standard operating procedures (SOPs) to prevent the spread of coronavirus. Interestingly, majority of hotels owners and their associations in Himachal Pradesh were initially against the idea of opening hotels for tourists from other states fearing they might be carriers of coronavirus. However, tourism and civil aviation secretary Devesh Kumar said that before framing the SOPs for opening the tourism sector, the state government had examined the guideline...
Read Moreबेन गियोक दुकथेन दरअसल चीन व वियतनाम के बीच की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बहने वाली गुईचुन नदी पर दो झरनों का सामूहिक नाम है। राजधानी हनोई से 272 किलोमीटर दूर यह झरना गाओपिंग प्रांत में दाक्सिन काउंटी की कार्स्ट पहाड़ियों में स्थित है। निर्विवाद रूप से यह झरना वियतनाम की सबसे प्रभावशाली प्राकृतिक झलक देता है। झरना है तो महज 30 मीटर ऊंचा लेकिन इसका पाट 300 मीटर चौड़ा है। गहरे नीले पानी वाली गुईचुन नदी बिलकुल एक पेंटिंग सरीखा नजारा पेश करती हुई धान के खेतों और लाइमस्टोन पहाड़ियों से घिरे बांस के झुरमुटों के बीच से होकर निकलती है। ये झरने रहे तो हमेशा से होंगे लेकिन इनकी लोकप्रियता हाल में बढ़ी जब यहां की तस्वीरें व वीडियो तमाम जरियों से देश-दुनिया के लोगों के सामने पहुंचीं। हालांकि इस इलाके में सड़क संपर्क और सार्वजनिक परिवहन की स्थिति में सुधार होने के बावजूद बेन गियोक को अब भी लीक से हटकर व...
Read Moreजब अपने शहर और राज्य की सीमाओं से बाहर कोई घूमने निकलता है, तो बहुत जल्दी ही वह विश्वविख्यात ताज महल को देख चुका होता है। उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में स्थित सफेद संगमरमर से बने इस विख्यात मकबरे को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में प्रेम के प्रतीक के रूप में बनवाया था। ताज महल को मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना माना जाता है। 1983 में इसे युनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल कर लिया था। ताज महल दुनिया के सात आश्चर्य में भी शामिल रहा है। मुख्य मकबरे सहित आसपास के पूर्ण विकसित परिसर को बनाने में लगभग 22 साल लगे थे। यह संभव है कि आपने आगरा का ताज महल देख लिया हो, लेकिन क्या आपने काला ताज महल देखा है? ऐसी मान्यता है कि वर्तमान ताज महल के सामने यमुना के दूसरी ओर शाहजहां के मकबरे के रूप में काला ताज महल बनाया जाना था, लेकिन वह बनाया नहीं जा सका। इस मान्यता से परे सफेद स...
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