अब हर घुमक्कड़ अपने साथ एक मोबाइल लेकर चलता है जिनमें कई बहुत बढिया कैमरों से लैस होते हैं। जाहिर है, फोटो लेना कभी इतना आसान नहीं रहा। दरअसल फोटो लेना और उन्हें शेयर करना, दोनों ही खासे पसंदीदा शगल में से एक हैं। लेकिन मजेदार बात यह है कि जैसे-जैसे फोटो साझा करने के विकल्प बढ़ते जा रहे हैं, अपने फोटो को औरों से अलग, कुछ हटके दिखाने की होड़ भी उतना ही तेज होती जा रही है। आप इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर जाएं तो नजर आ जाएगा कि फोटोग्राफी की यह दौड़ अब किस दिशा में जा रही है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप कलात्मक फोटो लेने के लिए और खुद को मुकाबले में आगे रखने के लिए स्मार्टफोन से आगे जाकर सोचें। वैसे भी जब आप किसी खास यात्रा के लिए जाते हैं तो लौटने के बाद हमेशा सोचते हैं न कि मेरे पास फलां कैमरा होता तो मेरे फोटो बड़े शानदार आते! तो लौटने के बाद किसी अफसोस से बचने के लिए क्यों न पहले थोड़ा दिमाग दौड़ा लें! आइए देखें कि कैसे तैयार कर सकते हैं अपने अगले सफर के लिए एक कारगर कैमरा किट।
कैसे चुनें
हर तरह के फोटो रोमांच के लिए एक परफेक्ट सेट-अप होता है। अपने कामरे किट की पैकिंग उस माहौल के हिसाब से कीजिए, जिसका सामना आपको करना पड़ सकता है। कुछ बातों का ध्यान हमेशा रखना चाहिए- मौसम, आबोहवा, स्थानीय संस्कृति और आपकी यात्रा की अवधि। अपने लिए सही कैमरा चुनिए- उन फीचर्स व नियंत्रण के बारे में सोचिए जिनकी आपको जरूरत है और कैमरे की उन सारी तरकीबों के बारे में सफर पर निकलने से पहले हाथ आजमा लीजिए और उनके इस्तेमाल के अभ्यस्त हो जाइए ताकि किसी नाजुक पल में ऐसा न हो कि आपके हाथ में कैमरा हो, सामने एक दुर्लभ मौका खड़ा हो और आपको कैमरे का इस्तेमाल ही समझ में न आए।
कैमरा बॉडी
लंबे समय से कैनन व निकोन सरीखी बड़ी कैमरा कंपनियों के बनाए डीएसएलआर गंभीर किस्म की फोटोग्राफी करने वालों के पसंदीदा रहे हैं। लेकिन हाल के सालों में कैमरा तकनीक में खासा बदलाव आया है। डीएसएलआर हमेशा से थोड़े वजनी होते हैं इसलिए शौकिया फोटोग्राफर उनसे बचते रहे हैं। कैमरा टेक्नोलॉजी में लैंस से फोटो खींचने और उसके कैमरे के भीतर बंद होने की प्रक्रिया में मिरर (आईना) तकनीक का इस्तेमाल हमेशा से होता रहा है। अब कई छोटे व हल्के कैमरे आ रहे हैं जिनमें मिरर तकनीक का इस्तेमाल नहीं है। मजे की बात है कि शौकिया व पेशेवर, दोनों तरह के फोटोग्राफर इन नए कैमरों को पसंद कर रहे हैं। फुजीफिल्म की एक्स सीरीज या सोनी की अल्फा सीरीज में कई मिररमुक्त कैमरा आ रहे हैं। इनका फायदा यह है कि पारंपरिक डीएसएलआर कैमरों से आकार में आधे हैं (लिहाजा वजन में भी हल्के) और इनमें से कई मॉडल ऐसे भी हैं जिनमें जरूरत के हिसाब से लैंस बदलने की सुविधा भी है। इससे आपको कई विकल्प मिल जाते हैं। आपकी तस्वीर की क्वालिटी भी सामान्य शौकिया पोइंट एंड शूट कैमरों से कई गुना बढ़ जाती है।
लैंस
कैमरे के लिए लैंस का चयन इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह की यात्रा पर जा रहे हैं और उस सफर में क्या-क्या शामिल है। अब एक सामान्य नियम के तौर पर देखा जाए तो लैंडस्केप (पहाड़, घाटी, आसमान वगैरह) फोटो खींचने के लिए वाइड एंगल लैंस (20 मिमी या उससे कम) लेना चाहिए। दूर की चीजों को खींचने के लिए टेलीफोटो लैंस (50 मिमी या उससे ज्यादा) काम आता है। सामान्यतया एक ऐसा जूम लैंस पसंद किया जाता है जिसमें वाइड एंगल भी हो और टेलीफोटो भी। इससे एक ही लैंस आपको कई तरह की स्थितियों व नजारों की फोटो खींचने में मदद दे देता है। जैसे कि कोई ऐसा लैंस जो 18 मिमी से लेकर 70 मिमी तक की क्षमता का हो। ध्यान रखें की जूम लैंस की यह रेंज जितनी बढ़ती जाएगी, उसका वजन भी बढ़ता जाएगा। लेकिन आला दर्जे के पेशेवर फोटोग्राफर प्राइम (एक ही फोकल लेंथ वाले) लैंस इस्तेमाल करते हैं। इस तरह के लैंस में कैमरा ऑप्टिक्स (कैमरे की फोटो खींचने की तकनीक) तेजी से काम करते हैं और उनमें एपर्चर आदि की सेटिंग का दायरा भी बढ़ जाता है। इससे फोटो की क्वालिटी बेहद शानदार निकल कर आती है। इन लैंस में आप जूम नहीं कर सकते। अब यह भी अच्छा ही है क्योंकि तब आपका ध्यान फोकल लेंथ कम-ज्यादा करने के बजाय सिर्फ सब्जेक्ट को बेहतरीन तरीके से खींचने पर केंद्रित रहता है।
इस तरह के प्राइम लेंस भी अलग-अलग जरूरत के हिसाब से अलग-अलग फोकल लेंथ के आते हैं। दुनिया के टॉप फोटोग्राफर आम तौर पर इसी तरह के लैंस इस्तेमाल करते हैं लेकिन फिर ये लैंस आम लैंस से काफी महंगे भी होते हैं। लिहाजा अगर आपका बजट इजाजत देता है तो ही यह लैंस लें। जैसे कि 50 मिमी का प्राइम लैंस एक सामान्य यानी स्टैंडर्ड लैंस माना जाता है। उसका फील्ड ऑफ व्यू (यानी उसकी निगाह) इंसानी आंख के लगभग नजदीक मानी जाती है। आपको लैंडस्केप, सड़क के दृश्यों या आर्किटेक्चर आदि के लिए चाहिए तो 35 मिमी का प्राइम लैंस अच्छा रहेगा। पोर्ट्रेट आदि के लिए 85 मिमी का लैंस कायदे का होता है। अगर वाइल्डलाइफ की शूटिंग पर जाना है तो 300 मिमी से 600 मिमी के बीच का कोई प्राइम लैंस ले सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि वाइल्डलाइफ के फोटो खींचते समय अक्सर जानवर जंगल में दौड़ते-घूमते रहते हैं इसलिए आपके कैमरे से उनकी दूरी कम –ज्यादा होती रहती है। उसमें आपके पास बार-बार लैंस बदलने का समय तो होता नहीं। इसलिए वाइल्डलाइ के लिए 70 से 400 मिमी की रेंज का कोई टेलीफोटो लैंस बड़ा कामयाब रहता है।
फिल्टर
पहले जब फिल्म वाले कैमरे होते थे और डार्क रूम में प्रोसेस करके नेगेटिव बनानी पड़ती थी तो कैमरों में फिल्टर का इस्तेमाल काफी होता था। फिल्टर का काम होता था छलनी वाला यानी अलग-अलग तरह की रोशनियों को छान देना। रंगों व जरूरत के हिसाब से अलग-अलग फिल्टर होते थे। इन्हीं फिल्टर का इस्तेमाल कभी-कभी कलात्मक फोटो खींचने और उनमें कोई रंग कम ज्यादा कर देने के लिए भी फोटोग्राफर करते थे। लेकिन अब डिजिटल फोटोग्राफी के दौर में फिल्टर का इस्तेमाल कम हो गया है क्योंकि कई सारे काम कंप्यूटर पर होने लगे हैं। फिर भी कुछ फिल्टर का इस्तेमाल अब भी आम है, जैसे कि यूवी फिल्टर जो वायुमंडल में फैली चमक के असर को फोटो पर कम करता है और वह लैंस को भी बचाता है। यूवी फिल्टर तो ज्यादातर फोटोग्राफर हमेशा अपने कैमरे पर लगा रहने देते हैं। पोलराइज्ड फिल्टर लैंडस्केप फोटोग्राफी के लिए अच्छे रहते हैं क्योंकि वे रंग बढ़ा सकते हैं, चौंधियाट कम कर सकते हैं औऱ पानी या शीशे पर रोशनी के प्रतिबिंब को भी हल्का बना सकते हैं।
फ्लैश
खुला आकाश आपका स्टूडियो है तो घुमक्कड़ी में जरूरी है कि आप जो भी रोशनी वातावरण में उपलब्ध है, उसमें अपनी बेहतरीन फोटो खींचने की कोशिश करें। लेकिन इसके बावजूद कई बार इनडोर फोटोग्राफी में फ्लैश की जरूरत पड़ जाती है, जब आपका सब्जेक्ट अंधेरे में हो औऱ आपको इनडोर फोटो खींचनी हो। आउटडोर में भी कई बार कम रोशनी में तेजी से चलती किसी चीज की फोटो खींचने में फ्लैश मददगार रहती है। अब सभी डीएसएलआर में हॉट शू माउंट पर फ्लैश लगाने की गुंजाइश है और ये फ्लैश ज्यादा भारी भी नहीं होती। ट्रैवल फोटोग्राफी के लिए फ्लैश में टीटीएल (थ्रू द लैंस) मीटरिंग का इस्तेमाल करना चाहिए, बजाय मैनुअल मोड के। आप कौन सी फ्लैश लेंगे यह आपके कैमरे के मॉडल पर निर्भर करता है क्योंकि आजकर हर फ्लैश हर मॉडल के साथ नहीं चलती।
ट्रायपोड
हालांकि ट्रैवल फोटोग्राफी में ट्रयपोड का इस्तेमाल कम पड़ता है क्योंकि चलते-चलते, सैर करते-करते हर वक्त ट्रायपोड लगाने की गुंजाइश नहीं होती। लेकिन कई बार कोई शाम का चित्र या लंबे एक्सपोजर टाइम के साथ लिया जाने वाला फोटो ट्रायपोड के इस्तेमाल के बगैर अच्छा नहीं आता। इसलिए सफर में ऐसे कॉम्पैक्ट ट्रायपोड चुनें जो हल्के भी हों और आपके कैमरे का वजन भी उठा सकें। आजकल गुर्रिला पोड भी काफी प्रचलन में हैं जो वजन में हल्के होते हैं। उन्हें पारंपरिक छोटे ट्रायपोड के रूप में तो इस्तेमाल किया ही जा सकता है, साथ ही उनके पांव रबर से इस तरह के बने होते हैं कि वे किसी भी चीज- पेड़, खंभे या किसी फर्नीचर आदि पर लिपट जाते हैं। ऐसे में अक्सर इनका इस्तेमाल आप उन जगहों पर भी कर सकते हैं, जहां पारंपरिक ट्रायपोड को खड़ा नहीं कर सकते हैं।
रिमोट शटर रिलीज
आप स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आप सेल्फी नहीं खींच सकते। इसके लिए आपके पास रिमोट शटर रिलीज है। इस तरह के रिमोट डीएसएलआर से बिना टाइमर लगाए सेल्फ-पोर्ट्रेट खींचने में काफी मददगार रहते हैं।
इनकी जरूरत तब भी पड़ती है जब आपने कोई लंबा एक्सपोजर शॉट खींचने के लिए कैमरा ट्रायपोड पर लगा रखा हो। तब केवल शटर रिलीज बटन दबाने में भी कैमरे में जो कंपन पैदा होता है उससे फोटो की क्वालिटी पर असर पड़ सकता है। रिमोट उस कंपन (वाइब्रेशन) की संभावना को खत्म कर देता है। वैसे तो ज्यादातर डीएसएलआर कंपनियां अपने कैमरा मॉडलों के लिए रिमोट उपलब्ध कराती हैं, लेकिन कई कंपनियां ऐसी भी हैं जो हर तरह के कैमरे के लिए सस्ते रिमोट बनाती हैं। अब तो कई स्मार्टफोन एप्प भी आपके फोन को कैमरे के रिमोट में तब्दील कर देते हैं।
हिफाजत कैमरे की
कैमरे की बात तो हो गई, लेकिन कैमरा सलामत व सुरक्षित रहे, समय-समय पर काम देता रहे, इसके लिए भी कुछ चीजें चाहिए होती हैं । जरूरी है कि इन एक्सेसरीज का चुनाव भी सोच-समझकर किया जाए।
- रेन कवरः यह कैमरे को पानी, धूल, मिट्टी, स्प्रे, बर्फ आदि से बचाता है, साथ ही हल्की बारिश में भी बिना डरे कोई जरूरी फोटो खींचने का विकल्प देता है। बाजार में कई तरह के कैमरा रेन कवर उपलब्ध हैं।
- बैटरीः यह सबसे अहम चीजों में से है, खास तौर पर तब जब आप ऐसे सफर पर जा रहे हों जहां बिजली की उपलब्धता लगभग नहीं के बराबर हो और लिहाजा आपके लिए बैटरी चार्ज करने का विकल्प न हो। पूरी तरह से चार्ज की हुई अतिरिक्त बैटरी जरूर रखें।
- मैमोरी कार्डः जब बीच में फोटो हार्ड डिस्क में या लैपटॉप पर डाउनलोड करने की सुविधा न हो तो सफर में दो-तीन मैमोरी कार्ड जरूर साथ में रखें ताकि आपके पास अपने फोटो के लिए जगह कम न रहे।
- सफाईः कैमरे व लेंस की सफाई के लिए कैमरा वाइप्स हमेशा साथ रखें।
- बैगः आखिर में यह सबसे जरूरी चीज है। अपने उपकरणों के हिसाब से एक अच्छा व मजबूत कैमरा बैग लें जो साथ ले जाने में आसान भी हो और जो कैमरे आदि को सुरक्षित भी रख सके, पानी से बचा सके।
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