हाउसबोट टूरिज्म के बाद केरल पर्यटन के लिए अगला महत्वपूर्ण कदम
कोरोना महामारी के बाद क दौर में पर्यटकों की मांगों और प्राथमिकताओं को देखते हुए केरल ने बुधवार को एक व्यापक ‘कारवां टूरिज्म पॉलिसी’ की घोषणा की। तमाम हितधारकों के अनुकूल यह नीति पर्यटकों को सुरक्षित, उनकी जरूरत के अनुकूल और प्रकृति के बीच एक सुकून भरी यात्रा का बेहतरीन आनंद और अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई है।
कारवां ऑपरेटरों को आकर्षक निवेश सब्सिडी प्रदान करने वाली इस नीति का शुभारंभ करते हुए केरल के पर्यटन मंत्री पीए मोहम्मद रियास ने कहा, “यह राज्य में लगभग तीन दशकों में हाउसबोट पर्यटन के बाद सबसे बड़ा और आदर्श बदलाव है। गौरतलब है कि हाउसबोट पर्यटन ने पर्यटकों को एक अनूठा अनुभव प्रदान किया और राज्य को एक प्रमुख वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित किया।”
रियास ने यहां इस सिलसिले में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, “1990 के दशक से शुरू किए गए केरल के अन्य सफल पर्यटन उत्पादों की तरह कारवां टूरिज्म को भी निजी निवेशकों, टूर ऑपरेटरों और स्थानीय समुदायों के साथ पीपीपी मोड पर विकसित किया जा रहा है जिसमें निजी निवेशक, टूर ऑपरेटर और स्थानीय समुदाय प्रमुख हितधारक हैं।”
उन्होंने कहा कि कारवां ऑपरेटरों को निवेश सब्सिडी दी जाएगी जिसका विवरण जल्द ही घोषित किया जाएगा।
मंत्री ने कहा, “इस पॉलिसी में केरल में कारवां टूरिज्म के विकास और प्रोत्साहन के लिए, मुख्य रूप से निजी क्षेत्र में कारवां की खरीद को प्रोत्साहित करने और कारवां पार्क स्थापित करने के लिए, इसके संचालन और अनुमोदन के लिए प्रक्रिया और प्रक्रियाओं की रूपरेखा प्रस्तुत करने के लिए व्यापक ढांचा तैयार करने की परिकल्पना की गई है।”
केरल टूरिज्म के अपर मुख्य सचिव डॉ वेणु वी ने इस मौके पर कहा, “कारवां टूरिज्म राज्य के समावेशी दृष्टिकोण के अनुरूप राज्य की समूची पर्यटन क्षमता का लाभ उठाने के लिए लोकप्रिय पर्यटन स्थलों के साथ-साथ तमाम नई व अनदेखी जगहों को भी सामने आने का मौका देता है। इस सावधानीपूर्वक तैयार की गई नीति की शुरूआत होने के साथ हर अब तक अनदेखे पर्यटन स्थलों को भी सैलानियों के लिए सुलभ बनाया जा सकता है।”
कारवां टूरिज्म के मुख्य रूप से दो हिस्से हैं- एक तो कारवां वाहन और दूसरा कारवां पार्क हैं। कारवां तो दरअसल एक आरामदायक सड़क सफर और साथ ही उसी में रुकने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया वाहन है, जबकि कारवां पार्क ऐसे कारवां वाहनों की पार्किंग का निर्दिष्ट स्थान है। कारवां पार्क का इस्तेमाल कई लोग केवल रात्रि विश्राम के लिए करते हैं (और दिनभर वे चलते हैं) और कुछ लोग दिन में भी किसी टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर उसे पार्क कर देते हैं ताकि वे उस जगह को तसल्ली से घूम सकें।
कारवां पर्यटन के जरिये स्थायी विकास और स्थानीय समुदायों के लाभ के लिए जिम्मेदार पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही इससे पर्यावरण अनुकूल गतिविधियों और स्थानीय उत्पादों के लिए बाजार को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
केरल टूरिज्म के निदेशक वी आर कृष्णा तेजा ने कहा, “केरल की मजबूती है उसकी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन के अनुकूल संस्कृति। लिहाजा कारवां टूरिज्म के लिए राज्य में बहुत गुंजाइश है। पर्यटकों को एक ताजगी भरा अनुभव प्रदान करने के साथ ही, इससे स्थानीय समुदायों को पर्यटकों के सामने अपनी संस्कृति और उत्पादों को पेश करने का फायदा भी मिलेगा।”
कारवां वाहन के दो मॉडल होंगे, एक दो व्यक्तियों के लिए और दूसरा चार व्यक्तियों के लिए। इसमें आरामदेह सफर के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं होंगी जैसे कि सोफा-कम-बेड, फ्रिज और माइक्रोवेव ओवन से लैस रसोई घर, डाइनिंग टेबल, टॉयलेट क्यूबिकल, ड्राइवर के पीछे पार्टिशन, एयर-कंडीशनर, इंटरनेट कनेक्टिविटी, ऑडियो-वीडियो सुविधाएं, चार्जिंग सिस्टम और जीपीएस वगैरह।
कारवां टूरिज्म की एक प्रमुख विशेषता होती है उनका पर्यावरण अनुकूल होना। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत स्टेज VI पर खरे उतरने वाले वाहनों को ही सेवा में लगाया जाएगा। मेहमानों की पूरी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कारवां की आईटी-आधारित रीयल-टाइम निगरानी होगी।
केंद्रीय मोटर वाहन नियमों के अनुसार राज्य मोटर वाहन विभाग द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं के आधार पर ही कारवां वाहनों के संचालन के लिए एक त्रुटिहीन मंजूरी प्रक्रिया भी विकसित की जा रही है।
कारवां पार्क निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र या संयुक्त उपक्रम में विकसित किए जाएंगे। पार्कों का खाका अलग-अलग जगहों पर जरूरत के हिसाब से अलग-अलग होगा लेकिन बुनियादी सुविधाएं सभी में एक जैसी होंगी।
कारवां पार्क पूरी तरह से सुरक्षित क्षेत्र होंगे ताकि पर्यटकों को परेशानी मुक्त और तनाव मुक्त वातावरण मिल सके। परिसर ऊंची चहारदीवारी, पर्याप्त निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था, गश्त और निगरानी कैमरों जैसी आवश्यक सुविधाओं से सुरक्षित होंगे। किसी भी मेडिकल एमरजेंसी के लिए पार्क का प्रशासन स्थानीय अधिकारियों और अस्पतालों से समुचित समन्वय बनाकर रखेगा।
किसी कारवां पार्क के लिए आवश्यक न्यूनतम भूमि आधा एकड़ होगी, जिसमें कम से कम 5 पार्किंग बे होंगे। पार्क का डिज़ाइन स्थानीय परिवेश के अनुकूल होना चाहिए जिससे उस जगह और उसके पर्यावरण को कम से कम नुकसान होने की गुंजाइश हो। लैंडस्केपिंग और हरियाली आदि की योजना इस तरह से होगी कि सैलानियों की प्राइवेसी, का भी ख्याल रखा जाए और हवा, धूल व शोर जैसी दिक्कतों को भी परे रखा जा सके।
पहाड़ी और पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्रों में बनने वाले पार्कों को स्थानीय संस्कृति के अनुरूप रचनात्मक वास्तुकला को अपनाना होगा। पार्कों में उचित जल संचयन संरचनाएं भी होंगी। डिजाइन इस तरीके का होगा कि सैलानियों के लिए थोड़ी सुकून की जगह भी हो और साथ ही एक फोरकोर्ट, ड्राइव-इन क्षेत्र, कारवां को घुमाने के लिए समुचित गोल चक्कर वगैरह भी हो। पार्क में उपलब्ध सुविधाओं और सेवाओं के बारे में आगंतुकों को जानकारी देने के लिए पर्यटक सुविधा केंद्र भी होंगे।
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