वैसे तो भोपाल की पहचान झील नगरी के तौर पर है लेकिन इसी नगर में दर्जन भर नायाब संग्रहालय भी हैं। इतने संग्रहालय शायद ही किसी दूसरे शहर में आपको मिलें। इसलिए इस बात पर अफसोस होता है कि जब भी भोपाल का जिक्र होता है तो झीलों के बीच यहां के संग्रहालयों की बात कहीं गुम होकर रह जाती है। यूं तो संग्रहालय देश के हर शहर में मिल जाएंगे लेकिन भोपाल के संग्रहालयों की बात कुछ अलग है। मध्यप्रदेश पुरा सामग्री के लिहाज से सबसे समृद्ध राज्यों में एक है। इसलिए सामग्री के लिहाज से यहां के संग्रहालय काफी समृद्ध हैं। भोपाल के दर्जन भर संग्रहालय व सांस्कृतिक केंद्र इसको एक अलग पहचान देते हैं। इनमें मानव जीवन की झांकी से लेकर राज्य की पुरा धरोहरों, आदिम जनजीवन, प्रदर्शनकारी कला, समाचार पत्र पत्रिकाओं के विकास, दूरसंचार, इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम की झलक से रु-ब-रु हुआ जा सकता है। बड़ी छोटी झीलें भ...
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दुनिया की अजीबोगरीब जगहों में इस बार बात एक ऐसी जगह की जो वैसे तो पहले ही बहुत खूबसूरत थी लेकिन बाद में उसके कुछ अत्यंत लोकप्रिय फिल्मों के सेट में तब्दील हो जाने से अब वह सैलानियों का अड्डा हो गई है हममें से फिल्मों के शौकीन ज्यादातर लोगों ने लॉर्ड ऑफ रिंग्स और हॉबिट जैसी फिल्मों के बारे में जरूर सुना होगा। हालांकि लॉर्ड ऑफ रिंग्स इस समय फिल्म के निर्माता मिरामैक्स के मालिक हार्वे वेंस्टीन पर लगे यौनाचार के आरोपों के कारण चर्चा में है लेकिन हम यहां उसका जिक्र अलग वजहों से कर रहे हैं। लॉर्ड ऑफ रिंग्स और उसकी श्रृंखला की तीनों फिल्में बेहद कामयाब रहीं और तीनों ही सर्वश्रेष्ठ फिल्म के तौर पर ऑस्कर के लिए भी नामित की गईं और उनमें से तीसरी ने तो आखिरकार तीन-तीन ऑस्कर पुरस्कार 2004 में जीत भी लिए। लॉर्ड ऑफ द रिंग्स और हॉबिट सीरीज की सारी फिल्में दरअसल मशहूर अमेरिकी लेखक जेआरआर टॉकिन की इसी ...
Read Moreकोविड-19 के असर के कारण रोवोस रेल का परिचालन फिलहाल 5 जनवरी 2021 तक बंद है। अभी की स्थिति के अनुसार 6 जनवरी 2021 से यात्राएं फिर शुरू हो जाएंगी। तब तक कीजिए इस रेल की एक वर्चुअल सैर बीती सदी के अस्सी के दशक के आखिरी सालों में एक दक्षिण अफ्रीकी रेल उत्साही रोहन वोस ने पुराने भाप के इंजनों और डिब्बों को खरीदना और उन्हें सहेजना शुरू किया। जमा-पूंजी बढ़ी तो आज वह रोवोस रेल नाम की लग्जरी ट्रेन कंपनी के मालिक हैं। रोवोस रेल के पास अफ्रीका का सबसे विशाल टूरिस्ट रेल नेटवर्क है। और, यह दुनिया की सबसे आलीशान ट्रेनों में मानी जाती है। पुराने डिब्बों में अब राजसी रौनक है। एडवर्ड काल की आंतरिक सज्जा, 1920 के दौर जैसी ऑब्जर्वेशन कार, लकड़ी के स्तंभों से सजी डाइनिंग कारें, तीन तरह के सोने के कूपे, हर कूपे में मिनी बार और चौबीस घंटे के लिए खिदमतगार- ये सारी बातें एक बेहद आलीशान सफर की दास्तान ल...
Read Moreचेक राजधानी प्राग में सुंदर इमारतों की कमी नहीं है। यहां के गिरजाघरों की वास्तु कला बेजोड़ है। यहां एक गिरजाघर ऐसा है जिसका तहखाना ही उसकी सबसे बड़ी खासियत है। कार्लोवो नमेस्ति शहर का सबसे बड़ा स्क्वायर है जहां से थोड़ी सी दूरी पर रेसोलोवा स्ट्रीट पर कैथेड्रल चर्च ऑफ सेंट साइरिल और मेथोडियस की भव्य इमारत है। स्थानीय लोग इस चर्च को पैराशूटिश्ट चर्च भी कहते हैं। यह गिरजाघर बेरोक स्थापत्य कला का खूबसूरत नमूना है लेकिन अधिकांश लोग यहां इसके तहखाने को देखने के लिए आते हैं जिस पर गोलियों के निशान है। इन गोलियों के निशान के पीछे चेक इतिहास का एक गौरवपूर्ण अध्याय छिपा हुआ है। 75 वर्ष पहले, 18 जून 1942 को इसी तहखाने में सात चेक और स्लोवाक वायुसैनिकों ने बर्बर नाजी हुकूमत के खिलाफ अपनी अंतिम लड़ाई लड़ी थी। ये वायुसैनिक ऑपरेशन एन्थ्रोपोइड में शामिल थे जो बोहेमिया और...
Read Moreयदि आपको सैर सपाटे के लिए समुद्र-तट जाना हो, यदि आपको सांस्कृतिक विविधता का नजारा लेना हो, यदि आपको किसी स्थान पर विदेशी शासन के समय की जीवन शैली का प्रभाव देखना हो और साथ ही आध्यात्मिक अनुशासन और अदृश्य की साधना की अनुभूति भी करनी हो तो पांडिचेरी (अब पुडुचेरी) से अच्छी कोई दूसरी जगह नहीं। पूर्वी तट पर तमिलनाडु से मिला हुआ, बंगाल की खाड़ी से सटा हुआ पांडिचेरी आपकी इन सभी इच्छाओं को पूरी करेगा पांडिचेरी पहले फ्रांसीसी शासन के अधीन था। सितंबर 2006 से इसका नाम पुडुचेरी कर दिया गया जिसका तमिल भाषा में अर्थ है नया गांव। इसकी सबसे ज्यादा चर्चा लंबे समय तक फ्रांसीसी कॉलोनी के रूप में रहने और महर्षि अरविंद द्वारा स्थापित आश्रम के कारण है। स्थापत्य कला व संस्कृति की दृष्टि से यह एक धनी नगरी है। भारती पार्क के बीच में स्थित आयी मंडपम सुकून की तलाश करने वालों का बड़ा अड्डा है। ...
Read Moreकंदीमा मालदीव ने उत्साह से लबरेज़ अपने नए कैम्पेन ‘लाइफस्टाल रीइमेजिंड’ के मद्देनज़र अब एक शानदार ग्लोबल ट्रैवल कंटेस्ट ‘365 डेज़ इन पैराइाइज़’ की घोषणा की है। इसके तहत किसी एक भाग्यशाली विजेता को मिलेगा पूरे एक साल तक अपने ख्वाबों जैसी जिंदगी बिताने का अवसर, और इसके लिए आपको सिर्फ एक फोटो अपलोड करनी है। है न बिल्कुल आसान! साथ ही रिजॉर्ट ने दुनियाभर से ट्रैवल शौकीनों को आमंत्रित किया है एक अद्भुत वैकेशन का अनुभव लेने के लिए ताकि वे मौज-मस्ती के नए मुहावरे गढ़ सकें और साथ ही, असीमित संभावनाएं तलाश सकें। 360 दिनों तक 360° अनुभव का लुत्फ लें इस कंटेस्ट के विजेता को मिलेगा खूबसूरत कंदीमा स्काय स्टूडियो में पूरी सुख-सुविधाओं के साथ ठहरने का मौका, रिजॉर्ट तक आने-जाने के लिए अनलिमिटेड राउंड ट्रिप घरे...
Read Moreअब जब घूमने के रास्ते खुल रहे हैं तो आइए जरा समझें होटलों की बुकिंग का एक और पेंच जो कई लोग नहीं समझ पाते एपी... एमएपी... सीपी... ईपी... होटलों के लिए कमरों की बुकिंग कराते वक्त या उनके ब्रोशर अथवा वेबसाइट को टटोलते वक्त ये सारे लफ्ज़ बार-बार हमारे सामने आते रहते हैं। आखिर ये हैं क्या और इनसे कमरों के किराये में क्यों फर्क पड़ जाता है? ये सब और कुछ नहीं बल्कि होटलों के मील (भोजन) प्लान हैं। आइए, जरा समझें कि अलग-अलग प्लान क्या हैं, ताकि अगली बार जब आप होटल के कमरे की बुकिंग कराएं तो इस बारे में पूरी तरह वाकिफ रहें। एपी यानी अमेरिकन प्लान अमेरिकन प्लान यानी एपी का मतलब है कि बताए गए होटल के किराये में कमरे के किराये के अलावा तीन वक्त का भोजन यानी सवेरे का नाश्ता, दोपहर का खाना और रात्रि का खाना भी शामिल है। यूरोप और कई अन्य देशों में अमेरिकन ...
Read More‘हमसफर एवरेस्ट’ एक ऐसी किताब है, जिसे घुमक्कड़ी और ट्रैकिंग के हर शौकीन को पढ़ना चाहिए। यह हमें घुमक्कड़ी और ट्रैकिंग की नई राह दिखाती है। इस किताब को लिखा है नीरज मुसाफिर ने। नीरज पेशे से इंजीनियर हैं और दिल्ली मेट्रो में कार्यरत हैं, लेकिन उनकी पहचान एक जीवट ट्रैकर और घुमक्कड़ की है। वह जहां-जहां गए, वहां की यादें, अनुभव और वृत्तांत को अपने ब्लॉग पर लिख मारा। और, इस तरह से वह लेखन की दुनिया में आ गए। फिर शुरू हुआ पुस्तक लेखन का काम। ‘सुनो लद्दाख’ और ‘पैडल-पैडल’ के बाद ‘हमसफर एवरेस्ट’ उनकी तीसरी किताब है। ‘हमसफर एवरेस्ट’ एक रोचक किताब है, जिसमें नीरज अपनी पत्नी के साथ माउंट एवरेस्ट बेस कैंप की यात्रा के वृत्तांत को बताते हुए पाठकों को भी आभासी तरीके से अपने साथ-साथ बेस कैम्प ले जाते हैं। यह आभासी यात्रा पाठकों को यथार्थ ...
Read Moreमध्य प्रदेश जंगलों से भरा-पूरा है। एक से बढ़कर एक टाइगर रिजर्व हैं यहां। लेकिन इनके बीच भीड़ से दूर कई खामोश सुकून भरे जंगल भी हैं बारिश के दिन हो या गुजरते मानसून वाले दिन, जंगल प्रेमियों के लिए अक्सर ये दिन लुभावने लगते हैं। अक्टूबर से खुलने वाले राष्ट्रीय उद्यानों और टाइगर रिजर्व की ओर बेतहाशा भीड़ बढ़ जाती है। ऐसे में कुछ ऐसे पड़ाव होते हैं, जो थोड़े सकून से घूमने वालों के लिए पहली पसंद बन जाते हैं। ऐसा ही एक पड़ाव है मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले का नरसिंहगढ़ अभयारण्य। यूं तो यहां गर्मी के दिनों को छोड़कर कभी भी जाया जा सकता है, लेकिन मानसून की उतरन के बाद यहां की सैर वाकई शानदार होती है। तभी तो इस क्षेत्र को मालवा का कश्मीर कहा जाता है। अभयारण्य के बीच चिड़ीखो तालाब यहां की कुदरती खूबसूरती का नायाब तोहफा है। भोपाल के आसपास के जंगलों की हर बार की सैर रोमांचकारी होती है। बाहर से आने...
Read Moreकेरल में ही कई ऐसे नेशनल पार्क व वाइल्डलाइफ रिजर्व हैं जो सैलानियों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। लेकिन साइलेंट वैली नेशनल पार्क उन सबसे बहुत अलग है। यहां जो जैव विविधता है, वह कहीं और देखने को नहीं मिलती। यहां जो सुकून है, और जो शांति है, वह भी कहीं और मिलनी मुश्किल ही है। तो जंगल में नीरवता कोई खास बात नहीं। लेकिन किसी वन में इतनी खामोशी हो कि वहां झिंगुरों तक की आवाज सुनाई न दे, तो वाकई हैरानी होती है। दरअसल साइलेंट वैली को अपना नाम इसी खासियत के चलते मिला। साइलेंट वैली यानी खामोश घाटी। लेकिन इस खामोश वन में भी जैव-विविधता की अद्भुत भरमार है। हकीकत तो यह है कि जिस तरह की जैव विविधता यहां देखने को मिलती है, वैसी पश्चिमी घाट में और कहीं नहीं मिलेगी। यहां के कुछ वनस्पति और जीव-जंतु तो पूरी दुनिया में दुर्लभ हैं। कुदरत का यह अनमोल खजाना नीलगिरी पहाडिय़ों में है। साइले...
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