कोर एरिया से एक राउंड लगाकर जिप्सी गेस्ट हाउस आ चुकी थी। पिछले दिन की सफारी और आज की आधी सफारी पूरी हो चुकी हो थी। आज की सफारी अगले ढाई घंटे में खत्म होने वाली थी। कई बार टाइगर रिजर्व की यात्राओं की तरह इस बार भी बाघ दिखाई देने को लेकर नाउम्मीदी ही थी। लेकिन घने जंगल में घूमने का रोमांच हमेशा बरकरार रहता है। तो एक बार हम फिर निकल पड़े कोर एरिया में। घास के मैदानों से होते हुए छोटे तालाब तक पहुंच गए। वहां सफेद कमल के फूल और तालाब पर पड़ती सूरज की रोशनी। काफी आकर्षक माहौल था। कुछ फोटो क्लिक किए और आगे बढ़ गए। हम जिस रास्ते से आगे बढ़ रहे थे, वह कोर और बफर का बॉर्डर था। पुराने इंद्री गांव का इलाका। अक्सर इस इलाके में बाघ द्वारा अलस्सुबह मवेशियों को मार दिए जाने की घटनाएं सुनाई पड़ती है। तो हमने दाएं-बाएं की जिम्मेदारी बांट ली और आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ती जिप्सी पर बैठे-बैठे जंगल पर नजरें जमा...
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आप रोमांटिक सफर पर हो, वाइल्डलाइफ टूरिज्म के लिए या किसी रोमांच की तलाश में, परंबिकुलम टाइगर रिजर्व के जंगल और जानवर कभी आपको निराश नहीं करेंगे। यह वो जंगल है जिसे मशहूर पक्षी विज्ञानी सालिम अली जैसे दिग्गजों ने अपनी लेखनी व चित्रों से खासा सराहा है और अमूर्त रूप दिया है। परंबिकुलम इसलिए भी खास है क्योंकि यह देश के सबसे नए टाइगर रिजर्व में से एक है। इसे फरवरी 2010 में ही देश के 38वें टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला था। परंबिकुलम टाइगर रिजर्व केरल के पल्लकड जिले में पल्लकड शहर से लगभग सौ किलोमीटर की दूरी पर चित्तूर तालुक में है। यहां की पहाडिय़ों की ऊंचाई समुद्र तल से 300 मीटर से लेकर 1438 मीटर तक है। केरल जैसी जगह पर 1400 मीटर से ऊपर की ऊंचाई मौसम में खासा बदलाव ला देती है। बाकी केरल के विपरीत परंबिकुलम में बड़ा खुशनुमा मौसम रहता है। यहां का तापमान सामान्य तौर पर 15 डिग्री से 32 डिग्री ...
Read Moreदृश्य 1गाड़ी के आगे अचानक दो सींग वाला लहीम-शहीम गैंडा (राइनो) आ गया। मुंह से चीख निकली और साथ ही दिल बल्लियों उछलने लगा। अरे, पृथ्वी का यह दुर्लभ जीव सामने, बिल्कुल लबे-सड़क खड़ा है। थूथन पर बड़ा-सा सींग, दूसरा सींग कुछ आधा-अधूरा सा दिख रहा था। गाड़ी खटाक से रुकी और हाथ दरवाजा खोलने की ओर गया... दृश्य -2सामने दौड़ लगी हुई है। लंबे-लंबे जिराफ एक दूसरे के साथ रेस लगा रहे हैं। उनके शरीर की लय इतनी मंत्रमुग्ध करने वाली है कि पता ही नहीं चलता है कि कब एक छोटा जिराफ गाड़ी के बिल्कुल बगल में, तकरीबन सटते हुए खड़ा हो जाता है... दृश्य 3ऐसा लगता है कि सड़क पर गाड़ी के आगे-आगे धूल का बवंडर चल रहा है। सहसा कुछ अनदेखा सा घटित होता है। धीमी रफ्तार से चल रही गाड़ी, अचानक रोक दी जाती है। फर्लांग भर दूरी पर गाड़ी के आगे जंगली भैंसों का दल खड़ा है। वे बहुत उग्र और परेशान नजर आ रहे हैं। अपने पै...
Read Moreमहानदी ओडिशा की सबसे विशाल नदी है, यह पता होते हुए भी सतकोसिया पहुंचकर इसकी भव्यता देखकर अचंभित हुए बिना नहीं रहा जा सकता। सर्द सुबह में नदी के किनारे बने टैंट के सामने कुर्सी पर बैठकर गरम चाय की चुस्की लेते हुए और सामने पानी में रह-रहकर गोता लगाते परिंदों को निहारते हुए एकबारगी तो दिमाग से यह अहसास निकल सा जाता है कि हम टाइगर रिजर्व में है और ठीक हमारी पीठ के पीछे घना जंगल है। यहां न मोबाइल की जरूरत महसूस होती है और न ही बिजली की। सौर ऊर्जा की मदद से अंधेरा होने पर थोड़ी-बहुत रोशनी मिल जाती है। मीलों दूर गांवों से हवा के साथ लहराकर आती आवाजें संगीत का काम देती हैं। यह एक अलग दुनिया का अहसास है। सतकोसिया यानी सात कोस। दो मील का एक कोस यानी चौदह मील। चौदह मील यानी 22 किलोमीटर। ठीक यही लंबाई है 22 किलोमीटर की उस खड्ड की जिसमें से होकर महानदी गुजरती है। चौड़ा प्रपात और दोनों तरफ खड़ी पहा...
Read Moreम्यांमार की सीमा से लगे भारत के सुदूर पूर्वी कोने में अरुणाचल प्रदेश में है नामदाफा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व। निहायत ही खूबसूरत और कुदरत की नियामतों का अनमोल खजाना। पहुंचना उतना सहज नहीं और शायद इसी वजह से यहां प्रकृति ने अभी अपना रंग कायम रखा है। लेकिन इसके बावजूद यहां कई ऐसे जानवर हैं जो दुर्लभ हैं। अरुणाचल प्रदेश का चांगलांग जिले में स्थित यह नेशनल पार्क 1983 में टाइगर रिजर्व बना दिया गया। लेकिन इस पार्क की सबसे ज्यादा ख्याति इस बात में है कि यह दुनिया का अकेला पार्क है जिसमें जंगली बिल्ली की चार बड़ी प्रजातियां एक साथ मिल जाती हैं- बाघ, तेंदुआ (लेपर्ड), स्नो लेपर्ड और क्लाउडेड लेपर्ड। इसके अलावा भी कई अन्य छोटी जंगली बिल्लियां इस जंगल में हैं। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि लगभग दो हजार वर्ग किलोमीटर इलाके में फैले इस नेशनल पार्क की समुद्र तल से ऊंचाई भी 200 मीटर से लेकर 4571 ...
Read Moreओमान के कुदरती नजारों की विविधता आपको हैरान कर देगी। आपके लिए यकीन करना मुश्किल होगा कि खाड़ी के किसी देश में प्रकृति की इतनी खूबसूरत दुनिया होगी। यहां के समुद्र के साथ-साथ यहां का पहाड़ी इलाका और रेगिस्तान भी कई तरह के अनूठे प्राणियों का बसेरा है। हमारे देश में वाइल्डलाइफ देखने का सीजन तो शुरू हो चुका है, अब आइए एक झलक देखते हैं ओमान के वाइल्डलाइफ हॉटस्पॉट्स की 1. डॉल्फिन देखने के लिए बेहतरीन है खसाब। करें ढो क्रूज पर सवारी और जाएं ओमान के सबसे उत्तरी सिरे पर स्थित मुसंदम। वहां खूबसूरत खड़ी चोटियों के बीच बहते पानी में अठखेलियां करती हंपबैक डॉल्फिन बहुत आसानी से दिख जाएंगी। यहां इन डॉल्फिन की अच्छी-खासी तादाद है। 2. कछुओं को देखने के लिए जाएं रस-अल जिंज। गरमियों की किसी रात को शरकिया के टर्टल रिजर्व में जाएं। वहां आपको प्रकृति का एक चमत्कृत करने वाला नजारा मिलेगा जब हजारों ...
Read Moreदक्कन के पठार में अपनी खास भौगोलिक स्थिति की वजह से तेलंगाना को अनूठी जलवायु मिली हुई है। यह जलवायु और यहां का मौसम पेड़-पौधों और वन्य प्राणियों के लिए खासा अनुकूल माना जाता है। समूचे इलाके में कई वन्यजीव अभयारण्य हैं, कुछ टाइगर रिजर्व भी हैं और पक्षी अभयारण्य भी। इनमें कई तो बहुत पुराने हैं और कई महत्वपूर्ण भी। हालांकि तेलंगाना के वन्य अभायरण्यों या टाइगर रिजर्वों को उस तरह की ख्याति नहीं मिली जितनी मध्य भारत में बाकी राज्यों- खास तौर पर कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के टाइगर रिजर्वों को मिली लेकिन इसके बावजूद उनकी अहमियत किसी सूरत में कम नहीं हो जाती। सैलानियों के नजरिये से देखा जाए तो ऐसे अभयारण्यों को घूमने में कम आनंद है जहां सैलानी सफारी करने के लिए टूटे पड़ते हैं। जंगल को कम शोर-शराबे और सुकून में देखने का ही लुत्फ ज्यादा है और यह तेलंगाना के जंगलों में बखूब...
Read Moreकेरल में ही कई ऐसे नेशनल पार्क व वाइल्डलाइफ रिजर्व हैं जो सैलानियों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। लेकिन साइलेंट वैली नेशनल पार्क उन सबसे बहुत अलग है। यहां जो जैव विविधता है, वह कहीं और देखने को नहीं मिलती। यहां जो सुकून है, और जो शांति है, वह भी कहीं और मिलनी मुश्किल ही है। तो जंगल में नीरवता कोई खास बात नहीं। लेकिन किसी वन में इतनी खामोशी हो कि वहां झिंगुरों तक की आवाज सुनाई न दे, तो वाकई हैरानी होती है। दरअसल साइलेंट वैली को अपना नाम इसी खासियत के चलते मिला। साइलेंट वैली यानी खामोश घाटी। लेकिन इस खामोश वन में भी जैव-विविधता की अद्भुत भरमार है। हकीकत तो यह है कि जिस तरह की जैव विविधता यहां देखने को मिलती है, वैसी पश्चिमी घाट में और कहीं नहीं मिलेगी। यहां के कुछ वनस्पति और जीव-जंतु तो पूरी दुनिया में दुर्लभ हैं। कुदरत का यह अनमोल खजाना नीलगिरी पहाडिय़ों में है। साइले...
Read MoreStakeholders from across the world came together at an online event to commemorate International Whale Shark Day that falls on 30 August. Sixteen years after pioneering a deep dive into whale shark conservation, Wildlife Trust of India and their partner Tata Chemicals Limited have much to celebrate with the Gujarat Forest Department and the fishing community along the coast of this maritime state. Whale shark, the world’s largest fish is endangered and the first species of fish to enjoy protection at par to that of the tigers, lions and elephants in India. Large scale hunting of the whale shark in Gujarat had prompted Wildlife Trust of India to launch a campaign with Tata Chemicals Limited in 2004. Covering prominent coastal towns and villages in the state, the campaign message ...
Read MoreThe fourth cycle of the All India Tiger Estimation 2018, has entered the Guinness World Record for being the world’s largest camera trap wildlife survey. The citation at the Guinness World Record website reads- “The fourth iteration of the survey – conducted in 2018-19 - was the most comprehensive to date, in terms of both resource and data amassed. Camera traps (outdoor photographic devices fitted with motion sensors that start recording when an animal passes by) were placed in 26,838 locations across 141 different sites and surveyed an effective area of 121,337 square kilometres (46,848 square miles). In total, the camera traps captured 34,858,623 photographs of wildlife (76,651 of which were tigers and 51,777 were leopards; the remainder were other native fauna). From these photog...
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