पर्यटन पर लिखने के लिए बहुत जरूरी है कि पर्यटन करने में रुचि हो। कोई व्यक्ति जब कहीं से घूमकर आता है, तो वहां के किस्से को अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ जरूर साझा करता है। यह सुनाने वाले पर निर्भर करता है कि किस तरह से वह अपने अनुभवों को साझा करता है। यदि वह रुचिकर होगा, तो सामने वाला ज्यादा ध्यान से सुनेगा, बल्कि वह उस जगह पर जाने के लिए विचार भी करेगा। यही स्थिति पर्यटन लेखन में होती है, जब आपका लिखा हुआ जीवंत और रुचिकर होगा, तो पाठक की इच्छा उस जगह पर जाने की हो जाएगी और कई बार तो यह भी संभव है कि वह पढ़कर ही इस तरह से बात करेगा, जैसे वह उस जगह पर घूम के आया हो। पर्यटन पर लिखने की इच्छा रखने वाले पत्रकारिता के विद्यार्थियों, शौकिया लेखकों के साथ-साथ अनुभवी लेखकों को ध्यान में रखते हुए पब्लिक रिलेशन्स सोसायटी, भोपाल ने इंद्रा पब्लिशिंग हाउस के सहयोग से ‘पर्यटन लेखन’ पुस्तक का...
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