दुनिया की अजीबोगरीब जगहों में इस बार बात एक ऐसी जगह की जो वैसे तो पहले ही बहुत खूबसूरत थी लेकिन बाद में उसके कुछ अत्यंत लोकप्रिय फिल्मों के सेट में तब्दील हो जाने से अब वह सैलानियों का अड्डा हो गई है
हममें से फिल्मों के शौकीन ज्यादातर लोगों ने लॉर्ड ऑफ रिंग्स और हॉबिट जैसी फिल्मों के बारे में जरूर सुना होगा। हालांकि लॉर्ड ऑफ रिंग्स इस समय फिल्म के निर्माता मिरामैक्स के मालिक हार्वे वेंस्टीन पर लगे यौनाचार के आरोपों के कारण चर्चा में है लेकिन हम यहां उसका जिक्र अलग वजहों से कर रहे हैं। लॉर्ड ऑफ रिंग्स और उसकी श्रृंखला की तीनों फिल्में बेहद कामयाब रहीं और तीनों ही सर्वश्रेष्ठ फिल्म के तौर पर ऑस्कर के लिए भी नामित की गईं और उनमें से तीसरी ने तो आखिरकार तीन-तीन ऑस्कर पुरस्कार 2004 में जीत भी लिए। लॉर्ड ऑफ द रिंग्स और हॉबिट सीरीज की सारी फिल्में दरअसल मशहूर अमेरिकी लेखक जेआरआर टॉकिन की इसी नाम से आई किताबों का फिल्मीकरण थीं। टॉकिन को आधुनिक फंतासी कथाओं का जनक माना जाता है। उनकी किताबों पर बनी फिल्मों का निर्देशन न्यूजीलैंड के प्रख्यात फिल्मकार पीटर जैकसन ने किया था।
बहरहाल, यह सारी भूमिका आपको पृष्ठभूमि से परिचित कराने के लिए थी। हम यहां बात कर रहे है इन फिल्मों की लोकेशन की, जो आज न्यूजीलैंड जाने वाले सैलानियों के लिए एक बड़ा आकर्षण है। बात उस समय की है जब 1998 में पीटर जैकसन अपनी लॉर्ड ऑफ द रिंग्स फिल्म के लिए ठीक उसी तरह की लोकेशन की तलाश कर रहे थे जैसा कि टॉकिन ने अपनी किताब में लिखा था—लुढ़कती पहाड़ियां और हरे मैदान, साथ में बहता पानी। न्यूजीलैंड में ऑकलैंड के आसपास के इलाकों में हवाई तलाश करते हुए उनकी टीम को वाइकातो इलाके के बीचों-बीच तकरीबन 1250 एकड़ में फैला एक भेड़ फॉर्म नजर आया। टीम ने महसूस किया कि यह एलेक्जेंडर फॉर्म उस ‘शायर’ यानी मिडिल-अर्थ (बीच की पृथ्वी) से हू-ब-हू मिलता है जिसे टॉकिन ने अपनी किताब में हॉबिटों के निवास के तौर पर वर्णित किया था। जैकसन की टीम ने तय कर लिया कि फिल्म के लिए यही हॉबिटों का निवास होगा।
फॉर्म के एक हिस्से में एक छोटी सी झील के किनारे चीड़ का विशाल पेड़ था और उसके बगल में छोटी सी पहाड़ी थी। बाद में उसी पहाड़ी पर बैग एंड बना और फिल्म में वही पेड़ पार्टी ट्री हो गया। उसके आसपास के इलाके बिलकुल अछूते थे- न बिजली के खंबे, न कोई इमारत और दूर-दूर तक किसी सड़क का नामोनिशान तक नहीं। यानी पीटर जैकसन के लिए 20वीं सदी को पीछे छोड़कर इस मिडिल अर्थ की फंतासी दुनिया में खो जाने के लिए सबकुछ बिलकुल माकूल था। मार्च 1999 में फिल्म की टीम ने इस जगह को हॉबिटन की फंतासी दुनिया की शक्ल देने में लगाया। इसमें न्यूजीलैंड की सेना भी मदद मिली। जल्द ही 39 अस्थायी हॉबिट होल (बिल) सेट के लिए इस्तेमाल आने वाले 12 एकड़ के प्लॉट में तैयार कर दिए गए। इस सेट को लेकर बाहरी दुनिया से पूरी तरह गोपनीयता बरती गई और सेट के निर्माण और शूटिंग के दौरान सुरक्षा के भी खासे इंतजाम किए गए थे। शूटिंग 1999 में शुरू हुई और तीन महीने में काम निबट गया।
शुरू में सेट को तोड़ डालने की कोशिश की गई लेकिन उसे फिर बीच में ही छोड़ दिया गया और 39 में से 17 प्लाइवुड के बने ढांचे खड़े रहे गए। फिल्म की लोकप्रियता बढ़ी तो 2002 में लोग उन ढांचों को देखने-घूमने पहुंचने लगे। फिर सालों बाद 2009 में पीटर जैकसन फिर उसी जगह पर हॉबिट सीरीज की तीन फिल्मों को बनाने के लिए पहुंचे। फिर से सेट खड़ा किया गया औऱ इस बार फिल्म के बाद सेट तोड़ा नहीं गया बल्कि 44 स्थायी हॉबिट होल उसी तरह से छोड़ दिए गए, जैसे कि उन्हें फिल्मों के लिए तैयार किया गया था, उनकी समूची खूबसूरती के साथ। हॉबिट के इस सफर के चरम के तौर पर 2012 में वहां ग्रीन ड्रैगन इन भी शुरू कर दी गई। आज यह ऑकलैंड व हैमिल्टन जाने वालों के लिए एक प्रमुख टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। यहां चारों तरफ उस फंतासी दुनिया का जादू बिखरा नजर आता है।
अब रोजाना सैकड़ों लोग वहां जाते हैं, हॉबिटन के गाइडेड टूर लेते हैं, हॉबिट होल देखते हैं, हॉबिटों की ही जगह पर खाते-पीते हैं। वे चाहें तो निकट ही किसी फॉर्म-स्टे में रुक भी सकते हैं, इस दुनिया के बिलकुल नजदीक। साथ ही ग्रामीण इलाकों की सैर के लिए रूरल टूर भी हैं और यहां के ग्रामीण इलाके हमारे गांवों से बिलकुल अलग नजर आएंगे। यह जगह न्यूजीलैंड के ऑकलैंड शहर से दो घंटे और हैमिल्टन शहर से 45 मिनट के सफर पर स्थित है। थोड़ी दूरी पर विशाल कैमई चोटियों की श्रृंखला दिखाई देती है। इस समय लगभग दो हजार लोग रोज इस जगह को देखने आते हैं। यहां बैंक्वेट टूर भी होते हैं जिसमें आप मूवी सेट की सैर के बाद ग्रीन ड्रैगन इन में खाना खा सकते हैं। तो अगर आप भी लॉर्ड ऑफ रिंग्स औऱ हॉबिट को पसंद करते हैं तो इस बीच-पृथ्वी की सैर को जरूर जाएं जब आप न्यूजीलैंड में हों।
ताकि सलामत रहे
दरअसल हॉबिटॉन आने वाले लोगों की तादाद इतनी बढ़ गई है कि इस जगह के संचालकों को इसे ज्यादा टिकाऊ बनाने और ग्रीन बनाए रखने के तरीकों पर विचार करना पड़ रहा है ताकि यहां के आसपास का प्राकृतिक वातावरण सलामत रह सके। अभी इतने लोगों का यहां आना ढेर सारे कचरे को जन्म देता है। कोशिश यह हो रही है कि यहां इस्तेमाल में आने वाली ज्यादातर चीजें बायोडिग्रेडेबल रहें।
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