रात भर घने जंगल से आती हुई झिंगुरों की आवाजें और फिर सवेरे की रोशनी निकलते ही उन आवाजों की जगह सैकड़ों तरह की चिड़ियाओं की चहचहाट का ले लेना, दिल को सुकून देने के लिए यह कोई कम तो नहीं पिछले कुछ महीनों की ही तरह वह शनिवार भी कुछ खास तरीके से बीतता प्रतीत नहीं हो रहा था। शुक्रवार की रात सोने जाते वक्त जेहन में एक और बैरंग और एकरस दिन बीतने की तैयारी थी। पिछले कुछ समय से या तो मैं व्यस्त हो जा रहा था या फिर मेरी जीवन संगिनी को कोई न कोई काम आ जाता था। लिहाजा हमें निकलने का मौका ही नहीं मिल पा रहा था। फिर अचानक शनिवार की सुबह यह पता चला कि उस रोज हमारी लाइफ पार्टनर को काम पर नहीं जाना था। मैंने भी अपना बचा-खुचा काम छोड़ा और आधे ही घंटे के भीतर हम हाइवे पर थे। हमारे लिए छोटी ही सही लेकिन यह बहुत जरूरी रोड ट्रिप थी। हम गुवाहाटी से नामेरी नेशनल पार्क के लिए निकल पड़े। मेरे लि...
Read Moreजब घुमक्कड़ी की बात आती है तो मुझे सबसे ज्यादा हिमालय पसंद हैं। मुझे हिमालय की गोद में जाकर जितना रोमांच मिलता है उतना किसी और बात में नहीं मिलता। उसी तरह जितना सुकून मुझे वहां मिलता है, उतना सुकून भी कहीं और नहीं मिलता। इसलिए कोई हैरत की बात नहीं कि हर थोड़े महीनों के बाद, मुझे जब भी मौका मिलता है, मैं हिमालय की तरफ भाग लेता हूं। यही वजह थी कि जब मैंने अपनी नौकरी छोड़ी तो मैं भारत के उत्तर-पूर्व इलाके की ओर जाकर जम गया। और जहा सोचिए कि नौकरी छोड़ने के बाद मैंने पहला काम क्या किया? मैं तुरंत ही सबसे पहले हिमालय की तरफ भाग लिया और मैं केदारकांठा के लिए सर्दियों में ट्रेक पर निकल पड़ा। सर्दियों में ट्रेकिंग के शौकीन काफी लोग दिसंबर में केदारकांठा जाना पसंद करते हैं लेकिन मैंने जनवरी में जाना पसंद किया क्योंकि केदारकांठा का ट्रेक साल के किसी भी औऱ वक्त की तुलना में जनवरी के महीने में ...
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