Around 700 tourists from various parts of country have visited Himachal Pradesh in the first five days of the last week. On Saturday 4th July state government had allowed entry of tourists into the state with certain conditions pertaining to COVID-19 health protocol. Giving the details state government has asked tourists to follow the standard operating procedures (SOPs) to prevent the spread of coronavirus. Interestingly, majority of hotels owners and their associations in Himachal Pradesh were initially against the idea of opening hotels for tourists from other states fearing they might be carriers of coronavirus. However, tourism and civil aviation secretary Devesh Kumar said that before framing the SOPs for opening the tourism sector, the state government had examined the guideline...
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जब अपने शहर और राज्य की सीमाओं से बाहर कोई घूमने निकलता है, तो बहुत जल्दी ही वह विश्वविख्यात ताज महल को देख चुका होता है। उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में स्थित सफेद संगमरमर से बने इस विख्यात मकबरे को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में प्रेम के प्रतीक के रूप में बनवाया था। ताज महल को मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना माना जाता है। 1983 में इसे युनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल कर लिया था। ताज महल दुनिया के सात आश्चर्य में भी शामिल रहा है। मुख्य मकबरे सहित आसपास के पूर्ण विकसित परिसर को बनाने में लगभग 22 साल लगे थे। यह संभव है कि आपने आगरा का ताज महल देख लिया हो, लेकिन क्या आपने काला ताज महल देखा है? ऐसी मान्यता है कि वर्तमान ताज महल के सामने यमुना के दूसरी ओर शाहजहां के मकबरे के रूप में काला ताज महल बनाया जाना था, लेकिन वह बनाया नहीं जा सका। इस मान्यता से परे सफेद स...
Read Moreनिचले हिमालय की तलहटी में बीड़ गांव हिमाचल प्रदेश की जोगिंदर नगर घाटी के पश्चिम में स्थित है। इसे आम तौर पर भारत की पैराग्लाइडिंग राजधानी कहा जाता है। लेकिन इसके अलावा बीड़ इको टूरिज्म, आध्यात्मिक अध्ययन और ध्यान आदि गतिविधियों का भी केंद्र है। यह इलाका तिब्बती शरणार्थियों का बसेरा रहा है इसलिए बीड़ गांव में और आसपास कई बौद्ध मठ व स्तूप हैं। इसलिए पर्यटन के लिहाज से देखा जाए तो बीड़ का महत्व पैराग्लाइडिंग के अलावा भी बहुत है। लेकिन फिलहाल यहां आने वाले सैलानियों में बहुतायत पैराग्लाइडिंग के शौकीनों की है। कांगड़ा घाटी में उड़ता पैराग्लाइडर बिलिंग दरअसल पैराग्लाइडिंग के लिए टेक-ऑफ साइट है और बीड़ गांव मं लैंडिंग साइट है। दोनों को मिलाकर बीड़-बिलिंग कहा जाता है और वे इसी साझे नाम से ही ज्यादा लोकप्रिय भी हैं। बिलिंग करीब 16 किलोमीटर दूर है बीड़ गांव से, उत्तर की तरफ धौलाधार पर्वत श्रृ...
Read Moreदारमा घाटी को करीब दो दशक बाद फिर से अनुभव करना एक खूबसूरत ख्वाब को जीने जैसा था। मैं यकीनन इसे उत्तराखंड ही नहीं समूचे हिमालय की सबसे खूबसूरत घाटियों में से एक मानता हूं। मैं वहां सबसे पहले 2001 में अपने कुछ घुमक्कड़ साथियों के साथ गया था। इस बार यह देखकर कितना सुकून मिला कि पिछले 18-19 सालों में दारमा घाटी खूबसूरती के मामले में जरा भी कम नहीं हुई है। वही धौलीगंगा का निर्मल बहता पानी, वही पंचाचूली की मोहित करती चोटियां, वहा बुग्यालों की आरामदायक हरी गद्देदार बुग्गी घास और वही वहां के निवासियों का आदर सत्कार। कैंपिंग साइट से पंचाचूली ग्लेशियर की तरफ जाते ट्रेकर्स एक प्रकृति प्रेमी और फोटोग्राफर होने के नाते कम से कम दारमा घाटी के लिए तो यह कहा ही जा सकता है कि दारमा नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा। खास तौर पर दारमा के दुक्तु और दांतू गांव से पंचाचूली चोटियों का नयनाभिराम दृश्य आपको पागल ...
Read Moreमध्य प्रदेश तो इतिहास, कला, स्थापत्य, शिल्प, परंपरा, प्राकृतिक सौंदर्य और वन्य जीव संरक्षण क्षेत्रों का खज़ाना है, लेकिन इस बार मेरा मन अटक गया महेश्वर पर। दिल्ली से इंडिगो की सवेरे 11 बजे की फ्लाइट ली और डेढ़ घंटे में आ पहुंचे हम इंदौर एयरपोर्ट पर। वहां पहले से ही बुक की हुई टैक्सी पकड़ी और चल पड़े सीधे महेश्वर की ओर। इंदौर नगर पार करते-करते कुछ भूख महसूस हुई तो ए.बी. रोड पर राजेंद्र नगर में ड्राइवर ने श्रीमाया सेलिब्रेशन रेस्टोरेंट के सामने गाड़ी को रोक दिया। घाट पर कुछ साधु बैरागी अलमस्त अपने में मग्न, तो कहीं स्नान करते श्रद्धालु और, उधर पश्चिम में सूर्य अपनी सुनहरी आभा के साथ विदा लेने की तैयारी में... महेश्वर का यह बहुत ही सुंदर नज़ारा था साफ़ और सुंदर, हरियाली से घिरे इस स्पेशियस रेस्टोरेंट में मल्टी-क्यूज़िन व्यंजन उपलब्ध हैं, और साथ में हैं चुस्त सेवा। मेन्यू देखिए, पेमेंट...
Read Moreकालिंजर को कालजयी यूं ही नहीं कहा जाता है। इसने कालखंड के प्रत्येक प्रसंग को, चाहे वो प्रागैतिहासिक काल के पेबुल उपकरण हों, पौराणिक घटनाएं हों या 1857 का विद्रोह हो, सबको बहुत ही खूबसूरती से अपने आंचल में समा रखा है। वेदों में उल्लेख के आधार पर जहां इसे विश्व का प्राचीनतम किला माना गया है, वहीं इसके विस्तार और विन्यास को देखते हुए आधुनिक एलेक्जेंड्रिया से भी श्रेष्ठ। वेदों में इसे रविचित्र और सूर्य का निवास माना गया है। पद्म पुराण में इसकी गिनती नवऊखल अर्थात सात पवित्र स्थलों में की गई है। मत्स्य पुराण में इसे उज्जैन और अमरकटंक के साथ अविमुक्त क्षेत्र कहा गया है। जैन ग्रंथों और बौद्ध जातकों में इसे कालगिरि कहा गया है। कालिंजर का पौराणिक महत्व शिव के विष पान से है। कुछ लोगों का कहना है कि कालिंजर शिव का ही एक नाम है जिसका अर्थ है मृत्यु का नाश करने वाला। समुद्र मंथन में मिले कालकूट के पान ...
Read Moreउत्तर भारत में जहां हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड और मध्य प्रदेश पर्यटन उद्योग को फिर खड़ा करने के लिए सैलानियों को बुला रहे और नियमों में ढील दे रहे हैं, वहीं कर्नाटक में कोविड-19 के संक्रमण में अचानक फिर से तेजी आ जाने से कई लोकप्रिय सैलानी स्थलों पर सभी होमस्टे, होटल व रिज़ॉर्ट बंद करने के लिए कहा जा रहा है कोडागु (कूर्ग), चिक्कमगलुरु व हसन में अगले आदेश तक किसी भी नए मेहमान को रुकने न देने और परिसर फिलहाल बंद करने के निर्देश तमाम होटलों को प्रशासन की तरफ से दिए गए हैं। बीते सोमवार को कर्नाटक के पर्यटन मंत्री सी.टी. रवि ने खास तौर पर बेंगालुरु से घूमने जाने वाले लोगों से अपील की थी कि वे इन हिन स्टेशनों की तरफ न उमड़ें। इसी के बाद एक आदेश जारी करते हुए कोडागु उपायुक्त एनीज कनमणि जॉय ने कहा कि सबी रिज़र्ट, होटलों, सर्विस अपार्टमेंटों, रेजीडेंशियल हॉस्टलों व होमस्टे को जिले के बाहर के...
Read Moreउत्तराखंड उन चंद राज्यों में से है जिन्होंने कोविड-19 के दौर में पर्यटन को फिर जिंदा करने के लिए अपने राज्य की सीमा को सैलानियों के लिए फिर से खोल दिया है। हालांकि राज्य के बाहर के लोगों को अभी चार धाम यात्रा पर जाने की इजाजत नहीं है। लेकिन उस इलाके में चार धामों के अलावा भी कई जगहें इस समय देखी जा सकती हैं, चोपता तुंगनाथ उन्हीं में से है उत्तराखंड की हसीन वादियां किसी भी पर्यटक को अपने मोहपाश में बांध लेने के लिए काफी है। कलकल बहते झरने, पशु-पक्षी ,तरह-तरह के फूल, कुहरे की चादर में लिपटी ऊंची पहाडिय़ा और मीलों तक फैले घास के मैदान, ये नजारे किसी भी पर्यटक को स्वप्निल दुनिया का एहसास कराते हैं....चमोली की शांत फिजाओं में ऐसा ही एक स्थान है- चोपता तुगंनाथ। बारह से चौदह हजार फुट की ऊंचाई पर बसा ये इलाका गढ़वाल हिमालय की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। जनवरी-फरवरी के महीनों में आमत...
Read Moreकोविड-19 के दौर में पिछले कुछ महीनों से आना-जाना सब रुका था। अब कई राज्यों ने अपनी सीमाओं को सैलानियों के लिए खोल दिया है, जिनमें हिमाचल प्रदेश भी है। लिहाजा हम यहां ले चल रहे आपको एक ऐसी यात्रा पर जो हिमाचल के किन्नौर इलाके में जुलाई-अगस्त के महीनों में होती है- किन्नर कैलाश की यात्रा। अगर आप जा पाएं तो बेहद शानदार वरना, घुमा तो हम आपको इस लेख से दे ही रहे हैं हिमाचल में यात्राओं का अपना ही रोमांच है लेकिन ये यात्राएं यदि रोमांच के साथ-साथ धार्मिक आस्था से ओत-प्रोत हों तो सोने पे सुहागा जैसी बात हो जाती है। पूरे साल भर अपने उफान में रहने वाली इन यात्राओं में कुछ एक ऐसी यात्राएं हैं जिन्हे तय कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। इन यात्राओं को वही शख्स पूरा कर सकता है जिसके पास गूढ़ आस्था, बुलंद हौसला, प्रकृति से प्रेम और कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तथा जो रोमांच के पलों को जीने की तमन...
Read Moreहिमाचल प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार ने भी कोविड-19 के तहत लागू की गई पाबंदियों में कई छूट का ऐलान किया है। इससे राज्य में पर्यटन उद्योग को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। राज्य के भीतर आने-जाने और दूसरे राज्यों से उत्तराखंड में आने वालों पर लगी पाबंदियां खत्म हो गई हैं। बस यात्रियों को थोड़े मानकों का पालन करना होगा। इनमें हिमाचल की ही तरह राज्य में आने से पहले 72 घंटे के दरम्यान कराई गई कोररोना जांच की नेगेटिव रिपोर्ट सबसे अहम है। तो अब आप बची हुई गर्मियों में पहाड़ों पर घूमने की योजना बना सकते हैं। उत्तराखंड में शीतलाखेत से त्रिशूल व नंदादेवी चोटियों का नजारा अनलॉक-2 में राज्य सरकार ने पर्यटन उद्योग को बड़ी राहत दी है। देशी-विदेशी सैलानियों को सार्वजनिक स्थानों पर जाने की अनुमति दी गई है, जबकि पहले इस पर रोक थी। दूसरे राज्यों से आने वाले सैलानियों को स्मार्ट सिटी वेब पोर्टल (h...
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