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जापान में चेरी ब्लॉसम का मौसम जल्दी आया, चिंता लाया

जापान में बसंत की कल्पना करें तो खुद-ब-खुद चेरी ब्लॉसम का ख्याल आता है। कोई एक फूल किसी जगह के लिए कितनी अहमियत रखता है कि उसका खिलना पूरे देश में महीनों तक जश्न की वजह रहता है। जापान का चेरी ब्लॉसम फूल इसका उदाहरण है। लेकिन इसका इस साल जल्दी खिल जाना लोगों की चिंता का सबब बन गया है। यह कोई मामूली बात नहीं, लेकिन क्या यह किसी बड़े बदलाव का संकेत है!

फूलों के खिलने का मौसम है। आखिरकार धरती के ऊपरी आधे हिस्से, जिसे हम लोग उत्तरी गोलार्ध कहते हैं, में ये बसंत के दिन हैं। सतह पर पसरी ठंड जैसे-जैसे पिघलने लगती और उसे सूरज की तपिश मिलती है तो फूल अंकुरित होने लगते हैं। ऐसे में स्वाभाविक ही है कि खिलते फूल पूरे माहौल में उल्लास व रंगत भर देते हैं।

फाइल फोटोः जापान में हर तरफ चेरी ब्लॉसम का रंग

कोई खास फूल कितनी अहमियत रखता है कि उसका खिलना पूरे देश में महीनों तक जश्न की वजह रहता है, जापान का चेरी ब्लॉसम फूल इसका उदाहरण है। जापान में अलग-अलग जगहों पर यह सफेद-गुलाबी फूल जनवरी से जून के बीच खिलता है। इसके खिलने से जुड़े तमाम उत्सव मार्च से मई के बीच होते हैं। फूल वाकई इतना खूबसूरत है कि यह पूरे इलाके की रंगत बदल देता है। साथ में जापान की पारंपरिक संस्कृति- संगीत, चेरी के पेड़ों के नीचे बैठना, चाय पीना और रात में पेड़ों को रोशनियों से सजाना।

जापान में चेरी यानी साकुरा के पेड़ों पर खिलते फूलों को देखने जाना भी एक परंपरा का हिस्सा है। और, यह आज से नहीं, कम से कम एक हजार साल से ज्यादा पुरानी परंपरा है। इसे यहां हनामी कहा जाता है। हनामी का अर्थ जापानी भाषा में फूलों को देखना होता है। हनामी की जापानी संस्कृति में कितनी अहमियत है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर साल जापान का मौसम विभाग और अन्य निजी एजेंसियां चेरी के फूलों के खिलने का पूर्वानुमान जारी करते हैं। आम लोग भी इन पूर्वानुमानों पर बारीक निगाह रखते हैं क्योंकि हर साल फूलों के खिलने का समय आगे-पीछे होता रहता है।

जाहिर है, यह कुदरती प्रक्रिया है तो इसमें तापमान, हवा व बारिश आदि की भी अहम भूमिका होती है। पूर्वानुमानों पर निगाहें इसलिए भी रखी जाती हैं क्योंकि अगर आप वाकई फूल देखने के शौकीन हैं तो आपको उसी अनुरूप अपना कार्यक्रम भी बनाना होगा।

चेरी के फूल ज्यादा समय तक नहीं खिले रहते, ज्यादा से ज्यादा दो हफ्ते ही इनका जीवन रहता है। इसीलिए पूर्वानुमानों में अलग-अलग जगहों पर फूलों के खिलने की शुरुआत और उनके चरम पर पहुंचने की तारीखें, दोनों बतलाई जाती हैं। सबसे पहले दक्षिणी जापान में चेरी के फूल खिलते हैं और फिर जैसे-जैसे तापमान बढ़ने लगता है, उत्तर के ठंडे इलाकों में फूल खिलने लगते हैं।

यानी अगर आप इन फूलों के खिलने के शौकीन हैं तो आप मध्य जनवरी में दक्षिण जापान में ओकिनावा से शुरू करके मई के शुरू में सुदूर उत्तर जापान में होक्काइडो तक पहुंचकर रोजाना नई जगह पर फूलों के खिलने का आनंद ले सकते हैं। इसका एक फायदा यह भी है कि अगर किसी वजह से कोई टोक्यो या क्योटो में हनामी का लुत्फ नहीं ले पाता है तो वह तोहोकु या होक्काइडो में जाकर चेरी ब्लॉसम का लुत्फ ले सकता है।

मजेदार बात यह है कि इन फूलों की रंगत भी हर जगह पर थोड़ी अलग भी हो जाती है। साकुरा की भी कई किस्में होती हैं। जैसे कि योशिनो चेरी सबसे लोकप्रिय किस्म में से एक है जो टोक्यो, क्योटो, फुकुओका व ओसाका में खिलती है।

लेकिन इस साल मामला कुछ अलग है। क्योटो में तो इस साल चेरी ब्लॉसम के खिलने का पीक सीजन पलक झपकते आया और चला भी गया। कहा जा रहा है कि यह पहली बार है कि फूल इतनी जल्दी खिले हैं, और यह यकीनन गंभीर जलवायु बदलाव का संकेत है जो इकोसिस्टम को खतरे में डाल रहा है।

ओसाका परफेक्चर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता यासुयुकी आओनो ने सन 812 ईस्वी से लेकर अबतक क्योटो में चेरी ब्लॉसम के खिलने के रिकार्ड को ऐतिहासिक दस्तावेजों व डायरियों से खंगाला है। और, सीएनएन ने आओनो के हवाले से कहा है कि इस साल क्योटो में चेरी ब्लॉसम का पीक 26 मार्च को रहा जो 1200 सालों में सबसे जल्दी रहा। इसी तरह राजधानी टोक्यो फूल 22 मार्च को पूरी तरह से खिल चुके थे, जो  अब तक के इतिहास में सबसे जल्दी खिलने का दूसरा मौका था। इस साल सर्दी तो कड़ाके की थी लेकिन बसंत जल्दी आ गया और गर्म भी रहा।

अब यह तो हमने पहले ही कहा कि हर साल तारीख थोड़ा तो आगे-पीछे होती रहती है, लेकिन कुछ सालों से निरंतर यह तारीख पहले खिसकती आ रही है। क्योटो में यह तारीख अप्रैल के मध्य की रही है, फिर यह 19वीं सदी के आसपास अप्रैल के शुरुआती हफ्ते में आ गयी। लेकिन दर्ज इतिहास में इसके मार्च में पहुंच जाने के वाकये कम ही रहे हैं। आओनो तापमान को ही इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं जो उस समय से अब 3.5 डिग्री सेल्शियस तक बढ़ चुका है।

साकुरा पार्टियां

इस परंपरा में केवल फूल देखे ही नहीं जाते बल्कि उनके खिलने का भी जश्न मनाया जाता है।  रातों में साकुरा पेड़ों को रंगीन रोशनियों से सजाया जाता है और पेड़ों के नीचे पार्टियों का आयोजन होता है। ये पार्टियां दिन में भी होती हैं और रात में भी। रात की हनामी पार्टियों को योजाकुरा कहते हैं। कई जगहों पर रात की इन पार्टियों के लिए पेड़ों पर जापान की पारंपरिक कागज की बनी लालटेनें लटका दी जाती हैं।

फाइल फोटोः जापान में साकुरा पार्टियां

जापान में हनामी की परंपरा सदियों पुरानी है। कहा जाता है कि नरा काल (710-794 ई) में इसकी शुरुआत हुई। लेकिन पहले यह खिलते प्लम (उमे) देखने की परंपरा थी जो बाद में साकुरा देखने में तब्दील हो गई। इसका एक जुड़ाव साल की अच्छी फसल का जश्न मनाने और धान की रोपाई का ऐलान करने से भी रहा। जापानी लोग पेड़ों में बैठी दैवीय ताकतों में भी यकीन करते रहे इसलिए इन आयोजनों से उन ताकतों को अर्पण भी किया जाता रहा और फिर चावल की बनी जापानी वाइन (सेक) से भोग भी लगाया जाता रहा। ऐसा भी कहा जाता है कि पहले साकुरा की परंपरा केवल कुलीन वर्ग में थी जो बाद में धीरे-धीरे आम लोगों के जनजीवन का भी हिस्सा बन गई। परंपरा इतनी जीवंत रही कि जीवन से उसकी तुलना करते हुए हनामी पर कविताएं लिखी जाती रहीं। आम लोगों के लिए चेरी ब्लॉसम का मतलब साकुरा के पेड़ों के नीचे बैठकर खाना खाते और सेक पीते हुए जश्न मनाने से रहा।

आजकल भी चेरी ब्लॉसम यानी साकुरा के पेड़ों के नीचे खाते-पीते मौजमस्ती करना है। हनामी के अप्रैल-मई के आयोजनों की शुरुआत मात्सुआमा सिटी में मात्सुआमा शिरोयामा कोएन फेस्टिवल से होती है। अप्रैल-मई में उत्तर में मात्सुमोतो, निगाता, नगानो, फुकुशिमा, अकीता, हाकोदाते आदि जगहों पर चेरी ब्लॉसम का आनंद लिया जा सकता है।

दरअसल जापान को दुनिया में कई अन्य जगहों पर भी चेरी ब्लॉसम के जश्न आयोजित करने के लिए प्रेरणा देने का श्रेय जाता है। ताईवान, कोरिया, चीन व फिलीपींस में भी चेरी ब्लॉसम के जश्न होते हैं। अब तो अमेरिका में भी चेरी ब्लॉसम फेस्टिवल बहुत लोकप्रिय हैं। जॉर्जिया प्रांत के मैकॉन में हर साल एक अंतरराष्ट्रीय चेरी ब्लॉसम फेस्टिवल होता है। यहां शहर में लगभग साढ़े तीन लाख साकुरा पेड़ हैं जिसकी वजह से इसे दुनिया की चेरी ब्लॉसम राजधानी भी कहा जाता है। हालांकि अमेरिका में भी ये पेड़ जापान से ही आए बताए जाते हैं।

फाइल फोटोः रात में हनामी का जश्न

लेकिन इस साल अमेरिका में भी फूल जल्दी खिल उठे हैं। यानी मसला केवल जापान तक ही सीमित नहीं रहा है। जानकार लोगों का कहना है कि बात सिर्फ चेरी ब्लॉसम की ही नहीं है। उनपर ध्यान जाता है क्योंकि वे चर्चित हैं और दिखाई देते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि मौसम के चक्र की मार कई वनस्पतियों व पशु-पक्षियों पर भी पड़ी है। यही वजह है कि धीमे-धीमे पराकृतिक रूप से कई पेड़-पौधे व पशु-पक्षी उत्तरी इलाकों की तरफ सिमटते जा रहे हैं ताकि वे निचले इलाकों की गर्मी से बच सकें।

क्या चेरी ब्लॉसम जैसी खूबसूरती का आनंद लेने के दिन अब कम ही रह गए हैं!

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