एवियेशन इतिहास में पहली बार दो पायलट बीच उड़ान में करेंगे अपने-अपने हवाई जहाजों की अदला-बदली
इंसानी जीवट कभी थकता नहीं और हमेशा अपने लिए नई-नई चुनौतियां तलाश करता रहता है। अमेरिका में एरिजोना रेगिस्तान के आकाश में इस रविवार, 24 अप्रैल 2022 को एक हैरतअंगेज करतब होने जा रहा है। यह एक ऐसा दुस्साहस है जो एवेयिशन इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ, इसलिए भी क्योंकि ज्यादातर लोग इसे पागलपन कहकर खारिज कर देंगे। लेकिन यह वाकई होने जा रहा है।
दो प्रख्यात पायलट और स्काई डाइवर्स और साथ ही एक-दूसरे के चचेरे भाई ल्य़ूक एकिंस और एंडी फेरिंगटन दो छोटे हवाई जहाजों में उड़ान भरेंगे और बीच उड़ान में अपने-अपने हवाई जहाजों से छलांग लगाएंगे और एक-दूसरे के हवाई जहाजों में पायलट सीट पर जा पहुंचेंगे और फिर बदले हवाई जहाज को लेकर नीचे उतरेंगे। यानी ल्यूक अपने हवाई जहाज को छोड़कर हवा में छलांग लगाएंगे और एंडी के हवाई जहाज में जा पहुंचेंगे और ठीक उसी समय एंडी अपने हवाई जहाज से छलांग लगाकर ल्यूक के हवाई जहाज में जा पहुंचेंगे।
लगता है न कि हम मजाक कर रहे हैं, या फिर बड़ी ही सिरफरी कोशिश है! अब यह सिरफिरापन है, इसीलिए आज तक इसकी कोशिश पहले कभी नहीं हुई। एनर्जी ड्रिंक बनाने वाली कंपनी रेड बुल इस सारे करतब की आयोजक है। रेड बुल नियमित रूप से ऐसे रोमांचक कारनामे करती रही है।
आइए, आपको थोड़ा और विस्तार से बताते हैं। इससे आपको समझ में आएगा कि यह कैसे संभव है। ल्यूक व एंडी दो अलग-अलग सेसना-182 विमान में उड़ान भरेंगे। दोनों अपने-अपने विमानों के 14,000 फुट (4,000 मीटर) की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद, उन्हें एक साथ नोजडाइव कराएंगे (नाक के बल नीचे लाएंगे)। ऐसा करते हुए वे अपने-अपने विमानों के इंजन बंद कर देंगे। लेकिन जाहिर है कि विमान नीचे तो आएंगे ही। इस मौके के लिए इन विमानों में खास ब्रेक लगाए गए हैं जो उन्हें 225 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक ही नीचे आने देंगे, उससे ज्यादा तेज रफ्तार से नहीं।
तो जैसे ही विमान नोजडाइव शुरू करेंगे, दोनों पायलट अपने-अपने विमानों के कॉकपिट से बाहर आकर एक साथ स्काई डाइव करेंगे और बीच आसमान में एक-दूसरे को पार करते हुए एक-दूसरे के विमानों के कॉकपिट में पहुंचेंगे, विमान पर फिर से नियंत्रण बनाएंगे और नीचे सुरक्षित लैंडिंग कराएंगे। यह मुमकिन इजह से भी होगा कि ब्रेक लगाने के बाद विमानों के नीचे आने की रफ्तार तकरीबन वही होगी जो किसी स्काई डाइवर के नीचे आने की रफ्तार होती है। यानी दो विमान और दो स्काई डाइवर एक ही गति से एक साथ नीचे की तरफ आएंगे।
हवाई जहाजों की अदला-बदली का यह सारा करिश्मा महज एक मिनट के भीतर पूरा हो जाएगा। लेकिन इस एक मिनट के करतब के लिए एकदम अचूक इंजीनियरिंग और इस्पात सरीखे जीवट की जरूरत होगी।
एवियेशन इतिहास में यह पहला मौका होगा जब पायलट किसी एक विमान में टेक-ऑफ करेगा और दूसरे विमान में लैंड करेगा।
यह करतब ल्यूक एकिंस के दिमाग की उपज है जिन्होंने 1990 के दशक में एवियेशन से जुड़ी एक पत्रिका में एक फोटो देखने के बाद यह सपना पालना शुरू किया था। तब से वह इस सपने को पूरा करने के लिए जतन कर रहे हैं।
एकिंस एक जाने-माने स्काई डाइवर हैं। वह अब तक 21 हजार से ज्यादा डाइव कर चुके हैं। वह कमर्शियल हवाई जहाज व हेलिकॉप्टर पायट भी हैं और इनोवेटर व कोच भी। अगर आपको याद हो तो 2012 में रेड बुल स्ट्रेटोस मिशन हुआ था जिसमें एक स्काई डाइवर ने पृथ्वी के वायुमंडल की सीमा से जाकर नीचे छलांग लगाई थी। एकिंस उस मिशन के भी कंसल्टेंट थे।
वाशिंगटन के रहने वाले एकिंस हमेशा विज्ञान व इंजीनियरिंग का इस्तेमाल करके हवाई रोमांच को नई सीमा तक ले जाने की कोशिश में रहते हैं। उनके नाम तीन विश्व रिकॉर्ड हैं और उनमें से एक 2016 में 25 हजार फुट की ऊंचाई से लगाई गई बिना किसी पैराशूट के छलांग भी है जिसमें वह 30 गुना 30 मीटर चौड़े एक जाल पर आकर गिरे थे।
उनके साथी व चचेरे भाई एंडी फेरिंगटन भी किसी से कम नहीं हैं। वह तो माने हवाई करतबों के लिए ही बने थे। वह खुद स्काई डाइवरों के परिवार से हैं। उन्होंने 12 साल की उम्र में पहली डाइव लगाई थी और 16 साल की उम्र में पहली सोलो डाइव। उसके बाद से वह 27 हजार छलांग, एक हजार बेस जंप और पायलट के तौर पर छह हजार घंटे की उड़ान अपने नाम दर्ज कर चुके हैं।
तमाम अनुभव के बावजूद इस तरह का करिश्मा अंजाम देने के लिए खासी लंबी रिसर्च, खास इंजीनियरिंग व बदलाव चाहिए होते हैं। यही वजह है कि इन दोनों ने दुनिया के जाने-माने एयरोनॉटिकल इंजीनियर डॉ. पाउलो इस्कोल्ड को अपने लीड इंजीनियर के तौर पर टीम में रखा। उन्होंने ही इस मुद्दे को सुलझाया कि कैसे विमानों को नियंत्रित रूप से नीचे लाया जाए, जोकि दरअसल ऑटो-पायलट प्रणाली के काम करने के तरीके के ठीक उलट था।
यहां रिवर्स इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया गया और खास तौर पर एयरब्रेक सिस्टम बनाकर विमानों के पेट पर स्थापित किए गए। इस्कॉल्ड ने दो खास जटिलताएं हल कीं- एक तो कैसे विमानों के नीचे आने की गति को नियंत्रित किया जाए और दूसरा कैसे ऑटोपायलट के जरिये विमानों को नीचे आने के दौरान इतना स्थिर रखा जाए कि दोनों विमानों के पायलट अपने-अपने विमान छोड़कर बाहर छलांग लगाएं और दूसरे विमान के किसी रेफ्रिजरेटर के दरवाजे जितने चौड़े कॉकपिट के दरवाजे से भीतर घुसकर उस विमान पर नियंत्रण स्थापित कर लें। कई विश्व रिकॉर्ड अपने नाम रखने वाले और तमाम तरह के विमानों के डिजाइनों के जनक इस्कॉल्ड ने अपने समूचे अनुभव का यहां इस्तेमाल किया।
एकिंस कहते हैं, “विमानों की अदला-बदली मेरे करियर का चरम है और मेरा मकसद दुनिया को यह बताना है कि कुछ भी नामुमकिन नहीं है। कोई भी बात शुरू में कितनी ही सिरफिरी, पागलन या नामुमकिन क्यों न लगे, लेकिन सपना और रचनात्मकता हो तो आप उसे मुमकिन बना सकते हैं।”
तो हो जाइए तैयार इस हैरतअंगेज कारनामे को देखने के लिए।
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