लक्षद्वीप भारत की उन जगहों में से हैं जहां आम सैलानी बहुत कम जाते हैं, लेकिन यहां की खूबसूरती अद्भुत है और कई मायनों में तो भारत के कई लोकप्रिय सैलानी स्थलों से भी कहीं ज्यादा शाम को केरल में कोच्चि (एर्णाकुलम) से रवाना हुआ जहाज अगले दिन सुबह मिनीकॉय की जेटी पर पहुंचने वाला है। सुबह के साढ़े 4-5 बजे होंगे। डेक पर कुछ ही लोग हैं। तभी अरब सागर में दूर से कुछ टिमटिमाता हुआ दिखता है, और फिर वह रोशनी की एक लकीर बन जाती है। आकाश में लालिमा फैलती है। हल्के उजियारे में वह लकीर एक द्वीप में तब्दील होती जाती है और फिर सामने होता है लक्षद्वीप समूह का एक सुंदर द्वीप मिनिकॉय। गुड मॉर्निंग मिनीकॉय! समुद्र में सूरज डूबे या वहां से उगे, उसकी खूबसूरती का जवाब नहीं होता। फोटोः राजु कुमार/आवारा मुसाफिर जहाज पर गहमागहमी बढ़ जाती है। कुछ लोग डेक पर आते हैं। इधर-उधर दौड़-दौड़ कर समुद्र में उगते सूर...
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हैदराबाद में गोलकुंडा का किला भारत के सबसे भव्य किलों में से एक है और शिल्प के लिहाज से अनूठा भी। यह किला निजामों के इस शानदार शहर के इतिहास व विरासत का बेहतरीन नमूना पेश करता है। इसकी चमक उसी कोहिनूर हीरे सरीखी है जो यहां से निकला था यूं तो हर किले की एक कहानी होती है जिसमें राजा और रानी होते हैं। किले की कहानी में राजा की प्रजा होती है, प्रजा को दुश्मनों से बचाने के लिए तगड़ी किलेबंदी होती है, आसमान को छूते दरवाजे होते हैं। देखा जाए तो सब किलों के वैभव और उनके पराभव की दास्तानों में जबरदस्त समानता होती है। बस बदलते जाते हैं राजाओं के नाम, उनके शासनकाल के नाम और काल, उन किलों से जुड़ी हुई प्रेम कहानियों के किरदारों की तस्वीरें। इन तमाम बातों के साथ भी तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद में बसा गोलकुंडा का किला अपनी एक बिल्कुल अलहदा किस्सागोई के साथ आकर्षक का केंद्र बना हुआ है। यहां एक...
Read Moreदेश-दुनिया के सैलानियों के आकर्षण का केंद्र ही कुल्लू घाटी में पसरी बर्फ। इसलिए मनाली से रोहतांग तक पर्यटकों की आमद यहां लाखों लोगों के रोजगार का जरिया बन जाती है। बर्फ मानो चांदी की बरसात लेकर आती है। बसंत के बाद मैदानों की तपिश जैसे-जैसे बढ़ने लगती है, देश भर का पर्यटक इससे कुछ निजात पाने के लिए पहाड़ों की ओर रुख करने लगता है। ज्यों ज्यों मैदान ज्यादा गर्म होने लगते हैं त्यों त्यों पर्यटकों का यह रेला बढ़ता जाता है, मगर फिर जैसे ही मानसून दस्तक दे देता है तो यह सिलसिला एकदम से रुक जाता है, पूरी घाटी सूनी हो जाती है। यहां की खूबसूरती मन मोहने वाली है लेकिन बदलते हालात में अब पर्यटकों की पसंद भी बदलने लगी है और वह जहां गर्मी से निजात पाने के लिए पहाड़ों की ओर रुख करते हैं, वहीं उनकी पसंद बर्फ पर कूदना, भागना, गिरना, पड़ना, फिसलना, उड़ना और अठखेलियां करना भी हो गया है। बर्फ के फाह...
Read Moreयह केवल होटल नहीं है बल्कि अपने आप में एक कलाकृति है। यहां बर्फ के एक से बढ़कर एक अनूठे शिल्प गढ़े जाते हैं। ऐसे शिल्प, जिनके साथ आप रहते हैं, रात गुजारते हैं। पहले यह अनूठा होटल केवल सर्दी के मौसम में ही खुलता था। लेकिन अब आप पूरे साल यहां टिक सकते हैं तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे हो और मैं आपको कहूं कि आज की रात जरा ऐसे होटल में बिताई जाए जिसमें सब तरफ बर्फ की दीवारें हों, और सोने के लिए बिस्तर भी बर्फ की सिल्लियों का बना हो तो आप या तो मुझे पागल मानेंगे या फिर आप समझेंगे कि मैं आपको पागल बनाने की कोशिश कर रहा हूं। लेकिन, नहीं जनाब। इन दोनों में से कोई बात नहीं। मैं हकीकत बयान कर रहा हूं, एक ऐसे होटल की जो पूरी तरह बर्फ का बना है। वहां हर तरफ सिर्फ बर्फ है। और यह पागलपन नहीं क्योंकि वहां लोग आते हैं और ठहरते हैं, पूरे लुत्फ के साथ। हाल यह है कि इस होटल में टिकने के लिए काफी पहले से...
Read Moreयह अमेरिका का सबसे निर्जन इलाका है और शायद वहां सबसे रोमांचक भी। यह उन जगहों में से भी है जहां की छवि अमेरिका की पहचान के तौर पर बाकी दुनिया के सामने लंबे समय तक रही यह अमेरिका के सबसे पहाड़ी प्रांत का रास्ता है। यहां 18 पर्वत श्रृंखलाएं हैं। इनके बीच फैली हैं विशाल घाटियां और कुदरत के मनोरम नजारे। इससे होकर गुजरने वाला 287 मील (लगभग 460 किलोमीटर) लंबा रास्ता आम निगाहों को काफी निर्जन व वीरान नजर आ सकता है लेकिन यह रास्ता सैलानी गतिविधियों के लिए भरा-पूरा है। यहां आप गरम पानी के सोतों में नहा सकते हैं, या हजार साल पुराने पुरातात्विक अवशेषों को छान सकते हैं, खाने-पीने के शौकीन हों तो विशालकाय बर्गर का स्वाद ले सकते हैं, अजीबोगरीब चीजों का शौक हो तो यहां के मशहूर शू ट्री पर एकाध जूतों की जोड़ी उछाल सकते हैं, या फिर सौ साल से भी पुराने स्टीम इंजन की ट्रेन पर सवारी कर सकते हैं और चाहें तो ...
Read Moreहंपी के कुछ हिस्सों में घूमते हुए कई बार लगता नहीं कि हम पांच सौ साल पुराने इतिहास के बीच हैं। सब कुछ इतना जीवंत लगता है। वहां जाकर महसूस होता है कि जीत का अहसास कितनी भव्यता प्रदान करता है और हार उस भव्यता को किस कदर मटियामेट कर देती है। हंपी में ये दोनों ही नजारे साथ-साथ देखने को मिलते हैं हेमकुटा पहाड़ियों पर बने इक्कीस शिव मंदिरों में से एक में मैंने बारिश से बचने के लिए अपने गाइड के साथ शरण ले रखी थी। पीछे विशाल चट्टानों से बहता पानी बहुत सुंदर लग रहा था। उसने छोटे-छोटे झरनों के आकार ले लिए थे। सामने विरुपाक्ष मंदिर के तीनों शिखर एक साथ दिखाई दे रहे थे। विरुपाक्ष मंदिर हंपी के उन गिने-चुने मंदिरों में से है जिनमें आज भी विधिवत पूजा होती है। विरुपाक्ष मंदिर के भीतर जितनी चहल-पहल थी, उसके उलट हेमकुटा पहाड़ी से आसपास बने शिव मंदिरों, जैन मंदिरों और पीछे विरुपाक्ष मंदिर क...
Read Moreक्यों न चलें नेतरहाट, जहां पत्थर गाते हैं और पेड़ सुनते हैं। जहां चट्टानों के संगीत के बीच सूर्य जागता है और सोता है। जहां आकाश की नीलिमा और धरती की हरीतिमा सूर्य की लालिमा के साथ एक नया रंग रचती है भोर की पहली किरण फूटने को है। रात के सितारे पहले ही आकाश में छाती नीलिमा में खोने लगे हैं। आसमान भी हर पल अपना रंग बदलने को आतुर है। तभी परिंदे भी सब तरफ से आकर उड़ने लगे हैं- गाते, नाचते और चहचहाते। आसमान में कहीं-कहीं बादल के टुकड़े हमेशा की तरह आवारा टहल रहे हैं। आखिरकार सूरज की चमक दिखलाई दी और क्षितिज में उसकी लालिमा सब तरफ फैल गई है। आसमान मानो सुनहरा हो गया। आखिर सूरज अपने काम से कब चूका है! नेतरहाट में सूर्यास्त का नजारा यह नेतरहाट का नजारा है। यह झारखंड का देहात है, राजधानी रांची से लगभग 155 किलोमीटर दूर। जैसे मसूरी को पहाड़ों की रानी कहा जाता है, उसी तरह से नेतरहाट को छोटा न...
Read Moreजो लोग बर्फीले इलाकों में नहीं रहते उनके लिए रुई के फाहों सी गिरती बर्फ में बड़ा रूमानी आकर्षण होता है। उत्तर सिक्किम में लाचुंग ऐसी ही जगह है, जहां जब बर्फ गिरती है तो उसका नजारा मंत्रमुग्ध करने वाला होता है। सिक्किम की खूबसूरती के चर्चे तो आम हैं। लेकिन यहां हम जिक्र कर रहे हैं उस जगह का जिसे सिक्किम के सबसे खूबसूरत गांव के रूप में ख्याति हासिल है। इस गांव का नाम है लाचुंग। इसे यह दर्जा दिया था ब्रिटिश घुमक्कड़ जोसेफ डॉल्टन हुकर ने 1855 में प्रकाशित हुए द हिमालयन जर्नल में। लेकिन जोसेफ डाल्टन के उस तमगे के बिना भी यह गांव दिलकश है। यह उत्तर सिक्किम में चीन की सीमा के बहुत नजदीक है। है। लाचुंग 9600 फुट की ऊंचाई पर लाचेन व लाचुंग नदियों के संगम पर स्थित है। ये नदियां ही आगे जाकर तीस्ता नदी में मिल जाती हैं। इतनी ऊंचाई पर ठंड तो बारहमासी होती है। लेकिन बर्फ गिरी हो तो यहां की खूबसूरती क...
Read Moreमुनस्यारी को जानने के लिए इसके नाम का अर्थ जान लेना ही काफी है। मुनस्यारी का मतलब है ‘बर्फ वाली जगह’। अपने नाम के ही अनुरूप मुनस्यारी को उसकी खूबसूरती और आबोहवा के कारण ‘सार संसार एक मुनस्यार’ की उपमा भी दी जाती है यानि सारे संसार की खूबसूरती एक तरफ और मुनस्यारी की खूबसूरती एक तरफ। एक प्रकृति प्रेमी की दृष्टि से मुनस्यारी पर उपरोक्त उपमा एकदम सटीक बैठती है क्योंकि मुनस्यारी का कुदरती नजारा आपको अपनी ओर आकर्षित ही नहीं करता बल्कि मानो चुंबक की तरह आपको अपनी तरफ खींचता है। मुनस्यारी उत्तराखंड के दूरस्थ जिले पिथौरागढ़ में दिल्ली से लगभग 620 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मुनस्यारी का सबसे बड़ा आकर्षण इसके ठीक सामने स्थित पंचाचूली पर्वत श्रृंखला है जो दरअसल पांच अलग-अलग हिमालयी चोटियां हैं। ये एक तरह से मुनस्यारी की जान हैं। अगर आप मुनस्यारी में हों और आपको अपने ठीक सामने नीले खुले आसमान मे...
Read Moreरॉकी माउंटेनियर का सफर है दुनिया की सबसे आलीशान यात्राओं में से एक इस ट्रेन में न रॉयल या प्रेसिडेंशियल या महारानी स्वीट है, न आरामदेह बिस्तर है, न कमरे में प्लाज्मा टीवी, म्यूजिक सिस्टम या शानदार शीशे का बना बाथरूम क्यूबिकल- कुछ भी नहीं। दुनिया की राजसी ट्रेन यात्राओं में अभी तक हम जिन तमाम खूबियों का जिक्र किया करते थे, वे सारी इस ट्रेन में नदारद हैं। लेकिन ठाठ इसके भी कम नहीं। यह भी दुनिया की सबसे शानदार ट्रेन यात्राओं में गिनी जाती है, उन यात्राओं में जिनके बिना दुनिया देखने के अनुभव को अधूरा कहा जा सकता है। कनाडा की रॉकी माउंटेनियर की शोहरत में यकीनन उसके भीतर की सेवाओं का योगदान खासा है तो उन कुदरती नजारे का हिस्सा भी कम नहीं जिसकी सैर वो कराती है। दरअसल यह केवल दिन की ट्रेन है। सफर इसमें दो दिन या उससे ज्यादा के भी होते हैं लेकिन हर सफर में यह ट्रेन रात में किसी शहर में प...
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