घुमक्कड़ी की दुनिया में 13वीं-14वीं सदी के मोरक्को के शिक्षाविद व यायावर इब्ने बतूता के नाम से कई कहावतें प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक है कि “Traveling leaves you speechless, then turns you into a storyteller, ” यानी घुमक्कड़ी, पहले तो आपको स्तब्ध कर देती है और फिर आपको एक कहानीकार में तब्दील कर देती है। मायने यह कि घूमते-घूमते आप प्रकृति से इतने मोहित हो जाते हैं कि आप निरंतर उस अनुभव को दूसरों से साझा करने को उत्सुक रहते हैं, यह अनुभव आपको ऊर्जा व शब्द, दोनों देता है। इंदौर में पेशे से न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर अजय सोडानी की किताब ‘दर्रा-दर्रा हिमालय’ इसी स्टोरीटेलिंग का अच्छा नमूना है। डॉक्टरी के व्यस्त पेशे से घूमने के लिए समय निकाल पाने वाली बात दरअसल अब हैरान नहीं करती क्योंकि पिछले दो दशकों में ऐसे कई डॉक्टरों के बारे में लिख-पढ़ चुका हूं जिन्हें घूमना हद से ज्यादा पसंद है और वे...
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Malavath Poorna is the youngest female in the world to reach the summit- Mt. Everest, a dream for all adventure seekers around the world. At 6.30 in the morning of 25th May 2014, she unfurled the Indian tricolour at the highest point on this planet. She was just 13 years and 11 months at that time. Born of a very poor family of agricultural labourers, Poorna is also the youngest Indian to reach the summit. In fact she was just one month older then the youngest person ever to climb the Mount Everest successfully, who was a US boy. A ninth standard student at Andhra Pradesh Social Welfare Educational Institutions Society's school, Poorna struggled against all odds to be on top. Hailing from a background, where none of her villager folk have ever seen snow in their lives, Poorna achieved the...
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