आप रोमांटिक सफर पर हो, वाइल्डलाइफ टूरिज्म के लिए या किसी रोमांच की तलाश में, परंबिकुलम टाइगर रिजर्व के जंगल और जानवर कभी आपको निराश नहीं करेंगे। यह वो जंगल है जिसे मशहूर पक्षी विज्ञानी सालिम अली जैसे दिग्गजों ने अपनी लेखनी व चित्रों से खासा सराहा है और अमूर्त रूप दिया है। परंबिकुलम इसलिए भी खास है क्योंकि यह देश के सबसे नए टाइगर रिजर्व में से एक है। इसे फरवरी 2010 में ही देश के 38वें टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला था। परंबिकुलम टाइगर रिजर्व केरल के पल्लकड जिले में पल्लकड शहर से लगभग सौ किलोमीटर की दूरी पर चित्तूर तालुक में है। यहां की पहाडिय़ों की ऊंचाई समुद्र तल से 300 मीटर से लेकर 1438 मीटर तक है। केरल जैसी जगह पर 1400 मीटर से ऊपर की ऊंचाई मौसम में खासा बदलाव ला देती है। बाकी केरल के विपरीत परंबिकुलम में बड़ा खुशनुमा मौसम रहता है। यहां का तापमान सामान्य तौर पर 15 डिग्री से 32 डिग्री ...
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At 81 years old Spanish mountaineer Carlos Soria is training to tackle one of the world’s highest peaks, a challenge he will dedicate to elderly victims of the COVID-19 pandemic. “To all those who have disappeared because of this terrible pandemic, this terrible crisis, I want as an elderly person to dedicate it to them,” Soria said outside his home in the Sierra Guadarrama mountains, north of Madrid. Carlos Soria, 81-year-old Spanish mountain climber trains to climb in the Himalaya mountains next spring as a tribute to the elderly affected by the coronavirus disease (COVID-19) amidst its outbreak, in Moralzarzal, Spain, November 11, 2020. Picture taken November 11, 2020. REUTERS/Juan Medina Travel restrictions permitting, Soria hopes to go to Nepal in the spring to take on the 8...
Read Moreदृश्य 1गाड़ी के आगे अचानक दो सींग वाला लहीम-शहीम गैंडा (राइनो) आ गया। मुंह से चीख निकली और साथ ही दिल बल्लियों उछलने लगा। अरे, पृथ्वी का यह दुर्लभ जीव सामने, बिल्कुल लबे-सड़क खड़ा है। थूथन पर बड़ा-सा सींग, दूसरा सींग कुछ आधा-अधूरा सा दिख रहा था। गाड़ी खटाक से रुकी और हाथ दरवाजा खोलने की ओर गया... दृश्य -2सामने दौड़ लगी हुई है। लंबे-लंबे जिराफ एक दूसरे के साथ रेस लगा रहे हैं। उनके शरीर की लय इतनी मंत्रमुग्ध करने वाली है कि पता ही नहीं चलता है कि कब एक छोटा जिराफ गाड़ी के बिल्कुल बगल में, तकरीबन सटते हुए खड़ा हो जाता है... दृश्य 3ऐसा लगता है कि सड़क पर गाड़ी के आगे-आगे धूल का बवंडर चल रहा है। सहसा कुछ अनदेखा सा घटित होता है। धीमी रफ्तार से चल रही गाड़ी, अचानक रोक दी जाती है। फर्लांग भर दूरी पर गाड़ी के आगे जंगली भैंसों का दल खड़ा है। वे बहुत उग्र और परेशान नजर आ रहे हैं। अपने पै...
Read Moreमहानदी ओडिशा की सबसे विशाल नदी है, यह पता होते हुए भी सतकोसिया पहुंचकर इसकी भव्यता देखकर अचंभित हुए बिना नहीं रहा जा सकता। सर्द सुबह में नदी के किनारे बने टैंट के सामने कुर्सी पर बैठकर गरम चाय की चुस्की लेते हुए और सामने पानी में रह-रहकर गोता लगाते परिंदों को निहारते हुए एकबारगी तो दिमाग से यह अहसास निकल सा जाता है कि हम टाइगर रिजर्व में है और ठीक हमारी पीठ के पीछे घना जंगल है। यहां न मोबाइल की जरूरत महसूस होती है और न ही बिजली की। सौर ऊर्जा की मदद से अंधेरा होने पर थोड़ी-बहुत रोशनी मिल जाती है। मीलों दूर गांवों से हवा के साथ लहराकर आती आवाजें संगीत का काम देती हैं। यह एक अलग दुनिया का अहसास है। सतकोसिया यानी सात कोस। दो मील का एक कोस यानी चौदह मील। चौदह मील यानी 22 किलोमीटर। ठीक यही लंबाई है 22 किलोमीटर की उस खड्ड की जिसमें से होकर महानदी गुजरती है। चौड़ा प्रपात और दोनों तरफ खड़ी पहा...
Read Moreम्यांमार की सीमा से लगे भारत के सुदूर पूर्वी कोने में अरुणाचल प्रदेश में है नामदाफा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व। निहायत ही खूबसूरत और कुदरत की नियामतों का अनमोल खजाना। पहुंचना उतना सहज नहीं और शायद इसी वजह से यहां प्रकृति ने अभी अपना रंग कायम रखा है। लेकिन इसके बावजूद यहां कई ऐसे जानवर हैं जो दुर्लभ हैं। अरुणाचल प्रदेश का चांगलांग जिले में स्थित यह नेशनल पार्क 1983 में टाइगर रिजर्व बना दिया गया। लेकिन इस पार्क की सबसे ज्यादा ख्याति इस बात में है कि यह दुनिया का अकेला पार्क है जिसमें जंगली बिल्ली की चार बड़ी प्रजातियां एक साथ मिल जाती हैं- बाघ, तेंदुआ (लेपर्ड), स्नो लेपर्ड और क्लाउडेड लेपर्ड। इसके अलावा भी कई अन्य छोटी जंगली बिल्लियां इस जंगल में हैं। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि लगभग दो हजार वर्ग किलोमीटर इलाके में फैले इस नेशनल पार्क की समुद्र तल से ऊंचाई भी 200 मीटर से लेकर 4571 ...
Read Moreवह माया थी, अपने चार शावकों के साथ। माया बाघिन ने तादोबा को उसी तरह की ख्याति दे दी है जिस तरह की कभी मछली बाघिन ने राजस्थान में रणथंबौर को दी थी। टेलिया इलाके में सैलानी अक्सर माया को उसके बच्चों के साथ देखने के लिए जरूरत आते हैं। हालांकि तादोबा को लोकप्रिय बनाने में माया के अलावा वाघदोह बाघ का भी बहुत हाथ रहा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह भारत का सबसे बड़ा बाघ है। अब यह कितना सच है, कहना मुश्किल है लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि वाघदोह को देखा तो लगता है कि वह वाकई बड़ा ही भव्य और दिव्य है। बाघ परिवार के पांच सदस्यों को एक साथ देखने का रोमांच सबको नसीब नहीं होता बहरहाल, यहां मैं जंगल के बीच पेड़ में मचान पर बैठा था और नीचे माया अपने परिवार के साथ पानी में खिलवाड़ कर रही थी। मई के महीने की कड़क दोपहर के बाद शाम ढलने वाली थी। जानवरों के सेंसस (गिनती) में भाग लेने का मेरे लिए त...
Read Moreधरती की सतह से ऊपर पहाडिय़ों में बनी गुफाओं से निकलकर इस बार आ जाएं नीचे... जमीन पर नहीं, बल्कि उससे भी नीचे यानी समुद्र की गहराइयों में। रोमांचप्रेमियों के बीच समुद्र में गोताखोरी, स्नोर्कलिंग या स्कूबा डाइविंग आजकल खासी लोकप्रिय हो रही है। लेकिन यहां हम बात स्कूबा डाइविंग की नहीं कर रहे, बल्कि दुनिया की अकेली ऐसी जगह की कर रहे हैं जहां रात गुजारने पहुंचने के लिए आपको वाकई स्कूबा डाइविंग करनी पड़ती है। यह अमेरिका की अकेली अंडरवाटर होटल है। एमरेल्ड लैगून जिसके नीचे है अंडरसी लॉज जूल्स अंडरसी लॉज अमेरिका में फ्लोरिडा के की लारगो में एमरेल्ड लैगून के नीचे स्थित है। सतह से 30 फुट नीचे लैगून के फर्श पर—पांच फुट ऊंचे पांवों पर—टिका यह अंडरसी केवल नाम के लिए नहीं बल्कि वाकई समुद्र में नीचे है। इसे रोमांच व सैर-सपाटे के मिलन का चरम भी कहा जा सकता है। इस लॉज में प्रवेश करने के लिए सागर के प...
Read Moreअपनी पिछली यात्रा की यादें धुंधली भी नहीं हुई थी कि एक बार फिर अंडमान जाने का मौका मिला। पिछली यात्रा से बिलकुल ही अलग, इस बार कुछ काम करते हुए, बीच-बीच में वक्त निकालकर घूमना था- अंडमान की उन जगहों पर, जहां पिछली बार नहीं गए थे और जहां पर्यटक भी बहुत कम जाते हैं। लेकिन जब हम अनजानी राहों पर होते हैं तो चाहें काम ही क्यों न हो, हर अनुभव घुमक्कड़ी को ज्यादा मजेदार बना देता है। खासतौर से तब, जब आप पहले सब कुछ तय नहीं किए रहते, चाहे आने-जाने का साधन हो या फिर रुकने व घूमने की जगहें। मिडिल अंडमान का धानी नाला बीच पर्यटक, ट्रेकर और घुमक्कड़- तीनों की लिस्ट में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ऊपर ही रहता है। पर्यटक तो सामान्य तौर पर पोर्ट ब्लेयर, हैवलॉक, नील, रॉस, नॉर्थ बे, जॉली बे, बाराटांग आइलैंड तक ही जाते हैं। इनमें से भी हर कोई हर जगह नहीं जाता। ट्रेकर और घुमक्कड़ इन द्वीपों से अलग नॉर्...
Read MoreZip lines have been there in India for quite some time now- more than a decade. It is enjoying breath-taking views as you fly down a series of ultra-strong steel zip lines, securely attached by a harness and pulley – propelled simply by gravity. Zip lining is one of the most popular adventurous sports which give you the experience of flying between the trees at a height in jungles where birds and monkeys hang out. The list of destinations and things to do for Zipline Tour is endless. Zip lining in India is possible throughout the year because of the different climatic conditions in diverse regions of India. It is also important to have the right kind of things and knowledge to enjoy this adventure sport. Thankfully to growing interest you can find number of amazing places in India for you...
Read MoreBatal now has a few dhabas. Some time back there was only one- Chandra Dhaba. Actually Batal has now got associated closely with Chandra Dhaba, both of them have acquired a sort of legendary status. Chandra Dhaba, more so because of its owners Dorje Bodh and his wife Hishe Chhomo. 48 years is not a small period and this ever-loved couple fondly called as Chacha-chachi has been running a dhaba for last 48 years at one of the most difficult terrains in the world in most hostile conditions, weather and poor connectivity. Its not a mean business. They do it for the love of their work and this place. They have been providing adventurers- bikers, drivers, passengers, trekkers, et.al. with food and shelter for all this long in their very humble and jovial way. But not just this, they have also b...
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