दक्कन के पठार में अपनी खास भौगोलिक स्थिति की वजह से तेलंगाना को अनूठी जलवायु मिली हुई है। यह जलवायु और यहां का मौसम पेड़-पौधों और वन्य प्राणियों के लिए खासा अनुकूल माना जाता है। समूचे इलाके में कई वन्यजीव अभयारण्य हैं, कुछ टाइगर रिजर्व भी हैं और पक्षी अभयारण्य भी। इनमें कई तो बहुत पुराने हैं और कई महत्वपूर्ण भी। हालांकि तेलंगाना के वन्य अभायरण्यों या टाइगर रिजर्वों को उस तरह की ख्याति नहीं मिली जितनी मध्य भारत में बाकी राज्यों- खास तौर पर कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के टाइगर रिजर्वों को मिली लेकिन इसके बावजूद उनकी अहमियत किसी सूरत में कम नहीं हो जाती। सैलानियों के नजरिये से देखा जाए तो ऐसे अभयारण्यों को घूमने में कम आनंद है जहां सैलानी सफारी करने के लिए टूटे पड़ते हैं। जंगल को कम शोर-शराबे और सुकून में देखने का ही लुत्फ ज्यादा है और यह तेलंगाना के जंगलों में बखूब...
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The Patnitop ropeway in Udhampur district of Jammu and Kashmir on Saturday started weekend commercial operations after being closed for over six months due to coronavirus pandemic. The Empyrean Skyview Project is India's highest ropeway in terms of ground clearance of over 65 meters and the largest Indo-French collaboration in mountain infrastructure development. It was built in a record time of 2.4 years under the Public-Private Partnership (PPP) model, officials said. The ropeway started its commercial operations on July 20 last year. Empyrean's vision of creating a world-class integrated mountain tourism infrastructure destination is now open once again to welcome visitors. Skyview Patnitop is sure to drive tourism to this unexplored paradise with its clean air, unique lan...
Read Moreहिमालय का अलौकिक सौंदर्य, उससे निकलती कल-कल छल-छल नदियों का संगम, मीलों तक फैला वन क्षेत्र और सुरम्य घाटियां उत्तराखंड की सबसे बड़ी धरोहर हैं। प्रकृति का ये अनुपम उपहार उसे शेष दुनिया से अलग पहचान देता है यही वजह है कि यहां हर मौसम में सैलानियों की आवाजाही रहती है। गढ़वाल की ऊंचाइयों मे प्रकृति के हाथों बेहिसाब सुंदरता बिखरी पड़ी है। गंगोत्री के रास्ते में हर्षिल आम सैलानी स्थलों से अलग है- शांत व मनोरम. भीड़-भाड़ से मुक्त। लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां जाने वाले सैलानियों की तादाद बढ़ी है। अब जब कोरोना के कारण लगी आने-जाने की पाबंदियां हट गई हैं तो आइए करें फिर से एक बार पहाड़ों का रुख गढ़वाल के अधिकतर सौंदर्य स्थल दुर्गम पर्वतों में स्थित हैं जहां पहुंचना सबके लिए आसान नहीं है। यही वजह है कि प्रकृति प्रेमी पर्यटक इन जगहों पर पहुंच नहीं पाते हैं। लेकिन ऐसे भी अनेक पर्यटक स्थल हैं जहा...
Read MoreEighteen-year old Fatima Sultani gazes at the peak of a mountain near Afghanistan’s capital Kabul after completing a morning climbing session, considering her next challenge. She and her team of nine young Afghan mountaineers, including three women, are hoping to climb Afghanistan’s Mir Samir mountain and after that travel to Nepal to summit the world’s highest peak, Mount Everest. Fatima Sultani (C), a member of Hikeventures mountaineering team and her teammates during an exercise on a mountain at the outskirts of Afghan capital Kabul. REUTERS/Mohamamd Ismail “My main goal is to show the world that Afghan women are strong and can do the most challenging work that men do,” she said. “When I became aware that women from foreign countries come here to conquer high peaks I thought ....
Read Moreमध्य प्रदेश जंगलों से भरा-पूरा है। एक से बढ़कर एक टाइगर रिजर्व हैं यहां। लेकिन इनके बीच भीड़ से दूर कई खामोश सुकून भरे जंगल भी हैं बारिश के दिन हो या गुजरते मानसून वाले दिन, जंगल प्रेमियों के लिए अक्सर ये दिन लुभावने लगते हैं। अक्टूबर से खुलने वाले राष्ट्रीय उद्यानों और टाइगर रिजर्व की ओर बेतहाशा भीड़ बढ़ जाती है। ऐसे में कुछ ऐसे पड़ाव होते हैं, जो थोड़े सकून से घूमने वालों के लिए पहली पसंद बन जाते हैं। ऐसा ही एक पड़ाव है मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले का नरसिंहगढ़ अभयारण्य। यूं तो यहां गर्मी के दिनों को छोड़कर कभी भी जाया जा सकता है, लेकिन मानसून की उतरन के बाद यहां की सैर वाकई शानदार होती है। तभी तो इस क्षेत्र को मालवा का कश्मीर कहा जाता है। अभयारण्य के बीच चिड़ीखो तालाब यहां की कुदरती खूबसूरती का नायाब तोहफा है। भोपाल के आसपास के जंगलों की हर बार की सैर रोमांचकारी होती है। बाहर से आने...
Read Moreकेरल में ही कई ऐसे नेशनल पार्क व वाइल्डलाइफ रिजर्व हैं जो सैलानियों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। लेकिन साइलेंट वैली नेशनल पार्क उन सबसे बहुत अलग है। यहां जो जैव विविधता है, वह कहीं और देखने को नहीं मिलती। यहां जो सुकून है, और जो शांति है, वह भी कहीं और मिलनी मुश्किल ही है। तो जंगल में नीरवता कोई खास बात नहीं। लेकिन किसी वन में इतनी खामोशी हो कि वहां झिंगुरों तक की आवाज सुनाई न दे, तो वाकई हैरानी होती है। दरअसल साइलेंट वैली को अपना नाम इसी खासियत के चलते मिला। साइलेंट वैली यानी खामोश घाटी। लेकिन इस खामोश वन में भी जैव-विविधता की अद्भुत भरमार है। हकीकत तो यह है कि जिस तरह की जैव विविधता यहां देखने को मिलती है, वैसी पश्चिमी घाट में और कहीं नहीं मिलेगी। यहां के कुछ वनस्पति और जीव-जंतु तो पूरी दुनिया में दुर्लभ हैं। कुदरत का यह अनमोल खजाना नीलगिरी पहाडिय़ों में है। साइले...
Read Moreइस ऐतिहासिक कस्बे को देखे बिना कुल्लू-मनाली की यात्रा अधूरी समझी जाती है। दरअसल कई मायनों में इसकी अहमियत आसपास की बाकी प्रमुख जगहों के बराबर ही है कुल्लू-मनाली को दुनिया भर में अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है। हर पर्यटक अपने जीवन में इन जगहों को एक बार तो जरूर निहारने की इच्छा रखता है। यही कारण है कि अमूमन पूरे साल भर यहां सैलानियों का तांता लगा रहता है। कुल्लू से मनाली की ओर थोड़ा सा आगे ही राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 पर पतली कुल्ह से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर व्यास नदी को पार करके हम एक ऐतिहासिक स्थान ‘नग्गर’ पहुंचते हैं। यह वह जगह है जिसे देखे बिना आपकी कुल्लू-मनाली की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी। दरअसल माना जाता है कि कुल्लू के इतिहास और सांस्कृतिक पहलुओं की जड़ें इसी जगह पर विद्यमान हैं। तो आइए, फिर देर किस बात की...
Read MoreSurkanda Devi temple (five kilometres from Dhanaulti towards Chamba) is best place for a short trip. There is a small uphill trek of around two kilometres for the temple. Temple is located at an altitude of 9995 feet. Surkanda is the most revered deity of the region. It takes around an hour to reach the temple. The trek starts from Kaddukhal village on the main Chamba road. Its an easy to moderate trek. Still there are ponies available for the climb (Rs 400 per person, one way). Even for those who are least interested in temples, this is trek worth doing for its sheer beauty. Being highest point in the region, you can have a 360 degree view of the area. But that's nothing, in clear weather you can have one of the best views of Garhwal Himalayas from here. https://youtu.be/6Sir4XRuG_U ...
Read MoreNepal will commence expedition activities for foreigners from October 17. This was announced by the Nepalese government along with the decision to allow domestic airlines to operate flights to all destinations across the country from Thursday. Nepal halted its expedition activities in March as COVID-19 spread in the Himalayan nation. Hundreds of trekkers in remote parts of the country were hurriedly flown back to capital Kathmandu while some were evacuated to their respective countries. Early this month, Nepal government had decided to grant permission to allow a Bahrain Royal Guard expedition to climb Mt Lobuje East and Mt Manaslu. Based on the proposal from Ministry of Culture, Tourism and Civil Aviation, a team of 15 Bahrainis along with Prince of Bahrain and three Brit...
Read Moreहिमाचल प्रदेश सरकार ने अपनी सीमाएं पूरी तरह खोल दी हैं। हालांकि सीमाएं तो उसने पहले ही खोल दी थी लेकिन उसने राज्य की सीमा में प्रवेश करने के लिए लगाई सारी शर्तें भी हटा दी हैं। यानी अब आप बेरोकटोक, बिना किसी कागजात, पास या रजिस्ट्रेशन की जरूरत के हिमाचल प्रदेश जाकर हिमालय की बर्फीली चोटियों और नजारों का आनंद ले सकते हैं। हालांकि यह आपके अपने हित में होगा कि आप कोविड-19 से पूरी तरह बचाव करें क्योंकि पाबंदियां हटाने का मतलब यह नहीं है कि हिमाचल प्रदेश या और कहीं भी कोरोना का खचरा नहीं रहा है। खतरा उतना ही है या हो सकता है पहले से ज्यादा हो लेकिन पर्यटन उद्योग के सामने खड़े अस्तित्व के संकट के देखते हुए ज्यादा से ज्यादा सैलानियों को राज्य में आने का मौका देना निहायत जरूरी हो गया था। गर्मियों का सीजन पहले ही खो चुके पर्यटन उद्योग के लिए एक औऱ सीजन खो देना बहुत घातक हो जाता। ...
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