हर साल लाखों प्रवासी अमुर बाजों की मेजबानी करती है यह खूबसूरत झील नगालैंड की दोयांग झील - विशाल और खूबसूरत। कल्पना कीजिए कि आधे घंटे के भीतर कई लाखों की संख्या में अमुर बाज इस झील और उसके ऊपर के आसमान को पूरी तरह पाट दें- हर तरफ सिर्फ अमुर बाज! यकीनन यह दुनिया में पक्षियों के प्रवास की सबसे अनूठी कहानी है। इसका अनूठापन केवल इसके प्रवास में नहीं है बल्कि उसके संरक्षण में भी है। पिछले आठ सालों में संरक्षण की इस कोशिश ने दुनिया को चमत्कृत किया है। यह कहानी अमुर बाजों (फॉल्कन) की है। लोगों की भागीदारी से ऐसा कारनामा हुआ है। पहले जो लोग इन पक्षियों को मार देते थे वही लोग आज इन पक्षियों को बचाने का काम कर रहे हैं। कुछ इस तरह छा जाते हैं यहां के आकाश में अमुर बाज लेकिन अमुर बाजों का प्रवास अपने आप में विलक्षण है। कई लाखों की संख्या में ये बाज हर साल मध्य एशिया में मंगोलिया से दक्षिण ...
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अगर आप शहर की भीड़-भाड़ से ऊब चुके हैं या आप पक्षी प्रेमी हैं या प्रकृति के सानिध्य में शांतिमय दिन (रात नहीं) गुजारना चाहते हैं और अगर आप सुविधा प्रेमी नहीं हैं, तो आप ‘लाख बहोसी पक्षी विहार’ का रुख कर सकते हैं। सुविधाओं का न होना ही इस पक्षी विहार को विशिष्ट बनाता हैं। बड़े नगरों और मुख्य मार्गों से दूर होने के कारण सामान्य पर्यटक और मोटर गाडिय़ों का शोर व प्रदूषण इस स्थान तक नहीं पहुंचता। पक्षियों के लिए यह एक प्राकृतिक आवास है। इस पक्षी विहार को अपना नाम दो ग्रामों के नाम के युग्म से मिला है। लाख व बहोसी तालाबों को मिला कर इस पक्षी विहार की स्थापना 1988 में की गई थी। फिर 2007 में इसे ‘राष्ट्रीय नम भूमि संरक्षण कार्यक्रम’ के 94 स्थानों में चिह्नित किया गया। बहोसी तालाब का मार्ग सुगम हैं और पर्यटक बहोसी तालाब का भ्रमण ही करते हैं। तुलनात्मक रूप से बहोसी से लाख तालाब का मार्ग दु...
Read Moreआंध्र प्रदेश की कोलेरु बर्ड सैंक्चुअरी को भारत में पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में माना जाता है कोलेरु मीठे पानी की विशाल झील है। दरअसल इसकी गिनती एशिया में मीठे पानी की सबसे बड़ी उथली झीलों में होती है। यह आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में स्थित है। झील गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के डेल्टाओं के बीच है। इस छिछली और दीर्घ वृत्ताकार आकृति की झील का स्वरूप मानसून के समय लगभग 250 वर्ग किलोमीटर व्यास तक विस्तृत हो जाता है। दरअसल यह झील दोनों नदियों के बाढ़ के पानी को प्राकृतिक रूप से समायोजित करने का काम करती है। कोलेरु झील 63 तरह की मछलियों, मीठे पानी के कछुए और अन्य जलचरों का घर है। इस झील में बड़ी संख्या में झींगा भी होते हैं। स्थानीय मछुआरे उन्हें पकड़कर बाजार में बेचते हैं। लेकिन सबसे खास बात यह है कि छिछली झील होने के कारण इसके आसपास का नम इलाका प्रवासी पक्षियों क...
Read MoreAfter emerging as the favourite destination of migratory birds, the Chilika lake in Odisha has also turned out to be a safe haven for rare Irrawaddy dolphins. This came to the light after the Chilika Development Authority (CDA) conducted an annual survey on the biodiversity of the lagoon, which is the largest lake along the east-coast of India. The population of dolphins has increased to 156 in 2020 against 150 in 2019, an official said. A pair of Irrawaddy Dolphins in Chilika lake The Irrawaddy dolphin is the flagship species inhabiting the Chilika Lake. The CDA in a statement said that the present distribution range of this species is only in Asia, from Chilika to Indonesia. Irrawaddy dolphins in India are protected under the Wildlife (Protection) Act 1972, ClTES (Appendix-l) a...
Read Moreपहली नजर में सांभर झील का विस्तार किसी दूसरे ग्रह का इलाका सा लगता है। दूर तक छिछला पानी, उसमें सफेद नमक के ढेर, पानी में डूबती-निकलती रेल पटरियां जो नमक से लगे जंग के कारण बाबा आदम के जमाने की लगती हैं और उस पानी में जहां-तहां बैठे प्रवासी परिंदे। कोई हैरत की बात नहीं कि बॉलीवुड की मशहूर फिल्म पीके में आमिर खान के दूसरे ग्रह से धरती पर अवतरित होने वाले दृश्य को यहां फिल्माया गया था। हालांकि सांभर झील की खूबसूरती और अहमियत, दोनों ही उससे कहीं ज्यादा हैं। सांभर झील में फ्लेमिंगो राजस्थान में अजमेर, जयपुर और नागौर के बीच करीब 230 वर्ग किमी इलाके में फैली भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील सांभर को आमतौर पर नमक उत्पादन के लिए ही जाना जाता रहा है। हालांकि बर्फ के मैदानों सा अहसास कराते इसके नमक के भंडार और पानी पर कई हजारों की तादाद में दिखने वाले गुलाबी फ्लेमिंगो पक्षी इसे राजस्थान के ...
Read Moreनल सरोवर भारत में ताजे पानी के बाकी नम भूमि क्षेत्रों से कई मायनों में भिन्न है। सरदियों में उपयुक्त मौसम, भोजन की पर्याप्तता और सुरक्षा ही इन सैलानी पक्षियों को यहां आकर्षित करती है। सरदियों में सैकड़ों प्रकार के लाखों स्वदेशी पक्षियों का जमावड़ा रहता है। इतनी बड़ी तादाद में पक्षियों के डेरा जमाने के बाद नल में उनकी चहचाहट से रौनक बढ़ जाती है। सितंबर 2012 में इसे अंतरराष्ट्रीय महत्व का रामसर नम भूमि क्षेत्र के रूप में घोषित कर दिया गया था। नल में इन्हीं उड़ते सैलानियों की जलक्रीड़ाएं व स्वर लहरियों को देखने-सुनने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां प्रतिदिन जुटते हैं। पर्यटकों के अतिरिक्त यहां पक्षी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, शोधार्थी व छात्रों का भी जमावड़ा लगा रहता है तो कभी-कभार यहां पर लंबे समय से भटकते ऐसे पक्षी प्रेमी भी आते हैं जो किसी खास पक्षी के छायाचित्र भी उतारने की तलाश में रहते...
Read MoreWith the winter setting in, migratory birds have started arriving at the Hirakud Dam Reservoir in Odisha's Sambalpur district from across continents. Winged guests like Gull and Black Cormorant have been spotted by the forest officials at the Hirakud Dam Reservoir site recently, an official said. "Birds have already started flocking the reservoir for their winter sojourn. More number of birds of various species will arrive at the reservoir in next few days," said Divisional Forest Officer (DFO), Hirakud Wildlife Division, Pratap Kottapalli. A number of measures have been taken to ensure the safety and protection of the birds. Regular boat patrolling is being conducted to prevent poaching and hunting of the winged guests. Bird protection teams have already been deployed at zer...
Read MoreThe sun is setting on the lake and thousands of cranes perform a mating dance, bobbing their black and white heads while flapping large grey wings and hopping on long legs. Like every winter, the red-crowned Eurasian birds are back on Israel’s Hula Lake - some for a stop-over en route from Russia, Finland and Estonia to Ethiopia’s Lake Tana, and others here for the entire cold season. This year, however, some of the 100,000 cranes flew in a little late, with global warming a possible reason for the delay. Cranes taking off from a field in the Hula Valley National Park. Photo: Itamar Grinberg “The first birds arrive at the end of September. This year it was two weeks late. One of the reasons, we think, is because September was very warm and they had no reason to move to the sou...
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