बर्फ की पहली दस्तक से ढकी दारमा घाटी के पंचाचूली ट्रेक पर जाने की इच्छा तो कई सालों से थी पर यह चाह अब जाकर पिछले महीने नवंबर 2022 में पूरी हुई। ऐसा नहीं है कि मैं पहली बार था पंचाचूली ट्रेक पर जा रहा था। इससे पहले 2002 और फिर 2015 में बला की खूबसूरत पंचाचूली चोटियों के दर्शन दारमा के दर से हो गए थे। पर इस बार यह पहला मौका था कि जाड़ों में नवम्बर के महीने में हम दारमा जा रहे थे। हिमालय के इतना नजदीक जाने का आनंद ही कुछ और है। फोटोः जयमित्र सिंह बिष्ट यह एक ऐसा सपना था जिसकी कल्पना मैं हमेशा से करता था और चाहता था, प्यारी पंचाचूली को, उसके बर्फ से ढके बुग्यालों, जम चुके पानी के धारों और रास्तों के साथ अपने कैमरे और दिल में कैद करना। हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ फोटो लेना ही मेरा उद्देश्य होता है पर लेंस के थ्रू आप जब हिमालय को निहारते हैं तो वह अनुभव आपको एक अलग ही अनुभूति देता है...
Read Moreमुनस्यारी को जानने के लिए इसके नाम का अर्थ जान लेना ही काफी है। मुनस्यारी का मतलब है ‘बर्फ वाली जगह’। अपने नाम के ही अनुरूप मुनस्यारी को उसकी खूबसूरती और आबोहवा के कारण ‘सार संसार एक मुनस्यार’ की उपमा भी दी जाती है यानि सारे संसार की खूबसूरती एक तरफ और मुनस्यारी की खूबसूरती एक तरफ। एक प्रकृति प्रेमी की दृष्टि से मुनस्यारी पर उपरोक्त उपमा एकदम सटीक बैठती है क्योंकि मुनस्यारी का कुदरती नजारा आपको अपनी ओर आकर्षित ही नहीं करता बल्कि मानो चुंबक की तरह आपको अपनी तरफ खींचता है। मुनस्यारी उत्तराखंड के दूरस्थ जिले पिथौरागढ़ में दिल्ली से लगभग 620 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मुनस्यारी का सबसे बड़ा आकर्षण इसके ठीक सामने स्थित पंचाचूली पर्वत श्रृंखला है जो दरअसल पांच अलग-अलग हिमालयी चोटियां हैं। ये एक तरह से मुनस्यारी की जान हैं। अगर आप मुनस्यारी में हों और आपको अपने ठीक सामने नीले खुले आसमान मे...
Read Moreदारमा घाटी को करीब दो दशक बाद फिर से अनुभव करना एक खूबसूरत ख्वाब को जीने जैसा था। मैं यकीनन इसे उत्तराखंड ही नहीं समूचे हिमालय की सबसे खूबसूरत घाटियों में से एक मानता हूं। मैं वहां सबसे पहले 2001 में अपने कुछ घुमक्कड़ साथियों के साथ गया था। इस बार यह देखकर कितना सुकून मिला कि पिछले 18-19 सालों में दारमा घाटी खूबसूरती के मामले में जरा भी कम नहीं हुई है। वही धौलीगंगा का निर्मल बहता पानी, वही पंचाचूली की मोहित करती चोटियां, वहा बुग्यालों की आरामदायक हरी गद्देदार बुग्गी घास और वही वहां के निवासियों का आदर सत्कार। कैंपिंग साइट से पंचाचूली ग्लेशियर की तरफ जाते ट्रेकर्स एक प्रकृति प्रेमी और फोटोग्राफर होने के नाते कम से कम दारमा घाटी के लिए तो यह कहा ही जा सकता है कि दारमा नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा। खास तौर पर दारमा के दुक्तु और दांतू गांव से पंचाचूली चोटियों का नयनाभिराम दृश्य आपको पागल ...
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