Kerala will work in tandem with Tourism Boards of other states to revitalize domestic tourism that has suffered a huge beating from the COVID-19 pandemic and would promote Ayurveda, eco-tourism and adventure tourism in a major way to get the tourism sector back on its feet. “Kerala Tourism will work together with other state tourism departments so that a tourist travelling from one state to another has a hassle-free experience. We expect to welcome guests in the next one or two months,” Tourism Minister Kadakampally Surendran said. Kerala expect to welcome tourists in next couple of months The minister was speaking at the valedictory session of the two-day Tourism E-Conclave, ‘Travel & Hospitality: What’s Next?’, which concluded on Thursday. “We are starting off by revivi...
Read MoreCategory: सैर-सपाटा
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The Kiswa, the finely embroidered black cloth that covers the holy Kaaba at the center of the Grand Mosque in Makkah, was replaced, as it is customary every year, on the eve of second day of Hajj when most worshipers have made the trek to Mount Arafat. One of the most beloved events of Hajj, the Kiswa replacement process, which took place on Wednesday night, is administered by the staff of the General Presidency for the Affairs of the Grand Mosque and the Prophet Mosque. The Kiswa is replaced once a year during Hajj after the pilgrims go to Mount Arafat for the peak day of Hajj in preparation for receiving worshippers the next morning, which coincides with Eid Al-Adha. Pilgrims marked on Thursday the second day of Hajj, known as Day of Arafat, as they left the h...
Read Moreकोविड-19 के दौर में घूमना कितना कठिन हो गया है। लेकिन हमारी कोशिश है कि हम आपको देश-दुनिया की झलक दिखलाते रहें, ताकि आपको घूमने की कमी महसूस न हो। इसी कड़ी में इस बार पूर्वोत्तर की एक अनूठी जगह हम अपने ही देश के बारे में कितना कम जानते हैं। हमारा देश इतनी विविधताओं और प्रकृति की इतनी खूबसूरती को समेटे हुए है कि उनका विवरण करने लगें तो सिलसिला अंतहीन होगा। ऐसी ही एक अनूठी जगह है पूर्वोत्तर की डिजुको घाटी। इसे पूर्वोत्तर की फूलों की घाटी भी कहा जाता है। यहां पाए जाने वाला डिजुको लिली फूल बेहद दुर्लभ माना जाता है। यह घाटी नगालैंड व मणिपुर की सीमा पर स्थित है। और कितनी विडंबना की बात है कि इतनी खूबसूरत, पुरसुकून देने वाली घाटी के लिए भी अक्सर इन दोनों राज्यों के बीच तनाव हो जाता है। खैर, लेकिन निर्विवाद रूप से इसे भारत के छुपे कुदरती खजानों में से एक माना जा सकता है। डिजुको को अर्थ होता...
Read Moreइस नदी को देखकर एक गीत बरबस याद आ जाता है- ‘ये कौन चित्रकार है, ये कौन चित्रकार।’ कुछ लोग कहते हैं कि यह नदी सीधे स्वर्ग से जमीन पर उतरी है तो कुछ लोग इस रंगों का विस्फोट बताते हैं। कुछ लोगों के लिए यह पानी में फैला इंद्रधनुष है। लेकिन इस बात में कई दोराय नहीं कि यह दुनिया की सबसे खूबसूरत नदी है। इसलिए भी, क्योंकि इस नदी की दुनिया में कोई और मिसाल नहीं है। इस नदी में जो चमत्कार छिपा है, वह दुनिया में और कहीं भी पानी में नजर नहीं आएगा। दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के कोलंबिया में स्थित इस नदी कान्यो क्रिस्तालेस को पांच रंगों वाली नदी भी कहा जाता है। यह स्पेनिश भाषा का नाम है। अंग्रेजी में इसके नाम का आशय है क्रिस्टल चैनल। साल के ज्यादातर समय आप इस नदी को देश-दुनिया की बाकी नदियों से अलहदा महसूस नहीं कर पाएंगे। वैसे ही चट्टानी तलहटी, हरी काई और शांत-साफ पानी। लेकिन फिर अचानक साल में कुछ स...
Read Moreशहर की भीड़ भाड़ की जिंदगी से जब कभी मन ऊब जाए तो कुछ दिन पहाड़ों के साथ बिताने चाहिए। इससे मन तरोताजा हो जाता है और अपने निजी जिंदगी के काम में दोगुनी ताकत का एहसास होता है। इस बार तो वैसे भी कोरोना महामारी के कारण हम चार महीने घरों में कैद हो गए थे। उसके बाद उत्तराखंड उन कुछ राज्यों में से है जो सैलानियों को आने की इजाजत दे रहा है। तो क्यों न मौके का फायदा उठाया जाए। लिहाजा इस बार हम गंगोत्री और इसके आसपास की सैर को चल रहे हैं। गंगोत्री मंदिर धार्मिक महत्व के लिहाज से गंगोत्री उत्तराखंड के चार धामों में से एक महत्वपूर्ण धाम है। गंगोत्री समुद्र तल से 3,048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बताया जाता है कि 18वीं शताब्दी के प्रारंभिक सालों में एक गोरखा कमांडर द्वारा गंगोत्री मंदिर का निर्माण किया गया था। यह मंदिर 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गंगा नदी के मंदिर के लिए गंगोत्री...
Read MoreThis year’s Hajj pilgrims on Saturday finished the procedures of a weeklong home isolation, according to the health protocol approved for the major Islamic pilgrimage this year that begins next week. Pilgrims started arriving in Makkah, where they will undergo four days of quarantine at designated hotels in the holy city. The strict health protocol was approved by the Saudi government to combat the COVID-19 pandemic. Hajj begins on the 8th of Dhul Hijjah, the last month of the Islamic year 1441, and runs to the 12th or 13th of Dhul Hijjah, corresponding to July 28-August 2, 2020. The Saudi authorities decided to hold the pilgrimage in the midst of exceptional circumstances caused by the Coronavirus pandemic, necessitating strict precautionary measures that have been applied to ensure a...
Read MoreThe United States Travel and Tourism industry is in deep trouble. Brand USA has updated the US travel and tourism industry about the latest trends due to the COVID-19 outbreak. And although this data is about US travel industry, but by and large this pattern applies to all other countries as well. Travel industry is one of those sectors worldwide, which has been affected the most by the pandemic. And, nowhere the forecast seems brighter, nowhere. Statue of Liberty. Photo: Marley White Particularly for US, lot of things are happening also because of its handling of the crisis. More than 30 countries have banned US travelers from their visiting their lands. Brand USA says that international visits to the United States are expected to drop by 50 million and spending is forecast to fall...
Read Moreदक्षिण मलाबार इलाके पर निला, जिसे अब भरतपुझा नदी भी कहा जाता है, का बड़ा ही मजबूत सांस्कृतिक प्रभाव रहा है। यह नदी तमिलनाडु में पश्चिमी घाट की अनइमलाई पहाडिय़ों से निकलती है और केरल के मलाबार इलाके के तीन जिलों- पालक्कड, त्रिशूर व मलप्पुरम से होकर गुजरती है। मलप्पुरम जिले में पोन्नानि में अरब सागर में मिलने से पहले यह नदी इन जिलों के ग्यारह तालुकों से होकर गुजरती है। निला या भरतपुझा नदी यह नदी यहां के सांस्कृतिक जनजीवन का हिस्सा है और नदी, इसके किनारे बने मंदिरों और उन मंदिरों में बैठे देवी-देवताओं से जुड़ी कई लोककथाएं व मिथक प्रचलन में हैं। इस नदी का तट कई ऐतिहासिक घटनाक्रमों का भी गवाह रहा है। जमोरिन राजाओं के समय में मलप्पुरम में तिरुनवया में हर 12 साल में केरल के सभी शासकों का महा-समागम- ममंगम होता था। यह समागम आखिरी बार 1766 में हुआ। आज यहां सालाना सर्वोदय मेला होता है। उसके अ...
Read Moreभादो (भाद्रपद) के महीने में होली, वह भी रंगों से नहीं बल्कि छाछ-मक्खन से! चौंकिए मत। हमारे देश में इतनी जबरदस्त सांस्कृतिक विविधता है कि यहां तरह-तरह के अनूठे त्यौहार मनाए जाते हैं। कुछ से तो हम वाकिफ हो जाते हैं और कुछ इतने दूर-दराज के इलाके में होते हैं कि उनके बारे हम कम ही जान-सुन पाते हैं। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में रैथल ऐसी ही एक जगह है। रोमांच प्रेमियों में रैथल की लोकप्रियता और भी वजहों से है, खास तौर पर दयारा बुग्याल के कारण। रैथल वहां के लिए बेस के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है। रैथल गांव अपने आप में बहुत खूबसूरत है और खासी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत भी अपने में समेटे हुए है। लेकिन फिलहाल हम बात कर रहे हैं, यहां की इस अनूठी होली की। दयारा बुग्याल को जाता रास्ता उत्तरकाशी से गंगोत्री जाने वाले रास्ते पर जिला मुख्यालय से 42 किलोमीटर दूर समुद्र तल से करीब दस हजार फु...
Read Moreएक जिप्सी में ड्राइवर और गार्ड मिलाकर कुल आठ लोग बैठकर पार्क के अंदर जा सकते हैं, पर हमलोग कुल छह ही थे। सूर्योदय के साथ ही पार्क के अंदर प्रवेश दे दिया जाता है, पर कुछ कागजी खानापूर्ति करने में देर हो गई और पार्क के अंदर जाने वाली गाड़ियों में सबसे अंतिम हमारी ही थी। मेरे साथ मंजू, रूबी और विनय थे। बाघ देखने की बेचैनी सभी के चेहरे पर दिख रही थी। इच्छा मेरी भी थी। बांधवगढ़ नेशनल पार्क के कोर एरिया की पहले की दो यात्राओं में भी मुझे बाघ के दर्शन नहीं हो पाए थे। कोर एरिया की यह तीसरी यात्रा थी। इसके पहले बफर जोन में भी तीन-चार यात्राएं कर चुका हूं। पर मैं यह जान चुका था कि सिर्फ बाघ देखने की चाहत में जंगल घुमने का आनंद नहीं लिया जा सकता। गाइड भी इस बात से वाकिफ था कि जिस समय हम पार्क के अंदर जा रहे थे, उस समय के बाद बाघ का दिखना बहुत ही मुश्किल है। लेकिन यह भी जरूरी नहीं कि अल सुबह पार्क मे...
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