कुल्लू-मनाली और लाहौल-स्पीति घाटियों के लिए सबसे निकट के हवाई अड्डे भुंतर के लिए 16 जुलाई से विमान सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी। एयर इंडिया की एलायंस एयर का विमान बृहस्पतिवार से सप्ताह में तीन दिन दिल्ली से भुंतर और फिर वापसी की उड़ान भरेगा। कोविड-19 महामारी के कारण देश में विमान सेवाएं भी स्थगित कर दी गई थीं। बाकी कई शहरों के बीच तो उड़ानें मई के अंत में शुरू हो गई थीं। भुंतर के लिए अब सेवाएं शुरू की जा रही हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस महीने के शुरू में राज्य में देश के बाकी हिस्सों से सैलानियों के आने की इजाजत दे दी थी। राज्य के दूसरे हवाई अड्डे, कांगड़ा घाटी में धर्मशाला के निकट गग्गल के लिए उड़ानें मई के आखिरी सप्ताह में शुरू हो गई थीं लेकिन तब केवल हिमाचल निवासियों को ही हवाई सेवा के इस्तेमाल की इजाजत दी गई थी। अब भुंतर में हवाई जहाज से आने वाले यात्रियों के लिए भी उसी स्वास्थ्य प्रोटो...
Read MoreCategory: सैर-सपाटा
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हिमाचल में ऐसी बहुत सी हैरतअंगेज, दिलचस्प और रहस्य से परिपूर्ण जगहें हैं जहां तक पहुंच पाना अपने आप में रोमांच और साहस का परिचायक होता है। इसी कड़ी में एक नाम जुड़ जाता है कुल्लू घाटी में स्थित ‘सरयूल सर’ का। चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 से 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस सर की यात्रा हमें ऐसी जगहों से परिचित करवाती है जो प्राकृतिक सौंदर्य से तो लबालब हैं ही, साथ ही अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी जाने जाते हैं। इन क्षेत्रों का रहन-सहन और अथक मेहनत से भरा जीवन हमें सदा कर्म करने की सीख दे जाता है। जलोड़ी जोत इस यात्रा का सबसे ऊंचाई पर बसा स्थल है। इस इलाके की खूबसूरती के आकर्षण के चलते यहां बॉलीवुड की लोकप्रिय फिल्म 'ये जवानी है दीवानी’ और कई हिमाचली एलबम व फिल्म की शूटिंग भी हो चुकी है। सरयूलसर झील के किनारे बूढ़ी नागणी का मंदिर अजूबे से कम नहीं जलोड़ी...
Read Moreयह यकीनन भारत के और शायद दुनिया के भी सबसे चुनौतीपूर्ण लेकिन सबसे खूबसूरत रास्तों में से एक है। हिमाचल प्रदेश में राजधानी शिमला से स्पीति घाटी में काजा तक का रास्ता चरम रोमांच का है। हालांकि यह मनाली से लेह यानी लाहौल घाटी के रास्ते से अलग है। यह दीगर बात है कि आम तौर पर रोमांच-प्रेमी इन दोनों रास्तों को एक ही सांस में याद करते हैं। आइए जरा इस रास्ते की दस सबसे खास बातों पर नजर डालें, जिनका आनंद लेना आप इस रास्ते पर जाते हुए भूल नहीं पाएंगे- काह जिग्स काजा के रास्ते में शिमला से लगभग 290 किलोमीटर दूर यह खाब व काह गांवों के बीच पहाड़ चढ़ती सड़क का नाम है। सर्पाकार तरीके से चढ़ती इस सड़क में कुल सात पट्टियां हैं। लोग कहते हैं इसे देखकर ही इसपर यकीन किया जा सकता है। स्पीति नदी के किनारे-किनारे एक बेहद संकरी घाटी में पहाड़ में कटी सड़क से घुसने के बाद सड़क अचानक ऊपर चढऩे लगती है। यह...
Read Moreकुदरत जब अपनी खूबसूरती बिखेरती है तो सीमाएं नहीं देखती। यही बात उन निगाहों के लिए भी कही जा सकती है उस खूबसूरती का नजारा लेती हैं। हम यहां बात केवल देशों की सीमाओं की नहीं कर रहे, बल्कि धरती व आकाश की सीमाओं की भी कर रहे हैं। हिमालय ऐसी खूबसूरती से भरा पड़ा है। इस बार हम जिक्र कर रहे हैं संदकफू का जो पश्चिम बंगाल से सिक्किम तक फैली सिंगालिला श्रृंखलाओं की सबसे ऊंची चोटी है। नीला आसमान और बर्फ से लदी चोटियां संदकफू की ऊंचाई समुद्र तल से 3611 मीटर है। यहां जाने का रोमांच जितना इतनी ऊंचाई पर जाने से है, वहीं इस बात से भी है कि यह वो जगह है जहां से आप दुनिया की पांच सबसे ऊंची चोटियों में से चार को एक साथ देख सकते हैं। ये हैं दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर), तीसरे नंबर की और भारत में सबसे ऊंची कंचनजंघा (8585 मीटर), चौथे नंबर की लाहोत्से (8516 मी) और पांचवे नंबर की मकाल...
Read MoreAround 700 tourists from various parts of country have visited Himachal Pradesh in the first five days of the last week. On Saturday 4th July state government had allowed entry of tourists into the state with certain conditions pertaining to COVID-19 health protocol. Giving the details state government has asked tourists to follow the standard operating procedures (SOPs) to prevent the spread of coronavirus. Interestingly, majority of hotels owners and their associations in Himachal Pradesh were initially against the idea of opening hotels for tourists from other states fearing they might be carriers of coronavirus. However, tourism and civil aviation secretary Devesh Kumar said that before framing the SOPs for opening the tourism sector, the state government had examined the guideline...
Read Moreबेन गियोक दुकथेन दरअसल चीन व वियतनाम के बीच की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बहने वाली गुईचुन नदी पर दो झरनों का सामूहिक नाम है। राजधानी हनोई से 272 किलोमीटर दूर यह झरना गाओपिंग प्रांत में दाक्सिन काउंटी की कार्स्ट पहाड़ियों में स्थित है। निर्विवाद रूप से यह झरना वियतनाम की सबसे प्रभावशाली प्राकृतिक झलक देता है। झरना है तो महज 30 मीटर ऊंचा लेकिन इसका पाट 300 मीटर चौड़ा है। गहरे नीले पानी वाली गुईचुन नदी बिलकुल एक पेंटिंग सरीखा नजारा पेश करती हुई धान के खेतों और लाइमस्टोन पहाड़ियों से घिरे बांस के झुरमुटों के बीच से होकर निकलती है। ये झरने रहे तो हमेशा से होंगे लेकिन इनकी लोकप्रियता हाल में बढ़ी जब यहां की तस्वीरें व वीडियो तमाम जरियों से देश-दुनिया के लोगों के सामने पहुंचीं। हालांकि इस इलाके में सड़क संपर्क और सार्वजनिक परिवहन की स्थिति में सुधार होने के बावजूद बेन गियोक को अब भी लीक से हटकर व...
Read Moreजब अपने शहर और राज्य की सीमाओं से बाहर कोई घूमने निकलता है, तो बहुत जल्दी ही वह विश्वविख्यात ताज महल को देख चुका होता है। उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में स्थित सफेद संगमरमर से बने इस विख्यात मकबरे को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में प्रेम के प्रतीक के रूप में बनवाया था। ताज महल को मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना माना जाता है। 1983 में इसे युनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल कर लिया था। ताज महल दुनिया के सात आश्चर्य में भी शामिल रहा है। मुख्य मकबरे सहित आसपास के पूर्ण विकसित परिसर को बनाने में लगभग 22 साल लगे थे। यह संभव है कि आपने आगरा का ताज महल देख लिया हो, लेकिन क्या आपने काला ताज महल देखा है? ऐसी मान्यता है कि वर्तमान ताज महल के सामने यमुना के दूसरी ओर शाहजहां के मकबरे के रूप में काला ताज महल बनाया जाना था, लेकिन वह बनाया नहीं जा सका। इस मान्यता से परे सफेद स...
Read Moreधरती के भी खेल बड़े निराले हैं। हम मिस्र में हजारों साल पहले बने इंसानों के बनाए पिरामिडों की बातें करते हैं और दूसरी तरफ कुदरत है कि किसी जगह पर एक खेल की तरह पिरामिड बनाती है और गिरा देती है और फिर बना डालती है। हम यहां बात कर रहे हैं इटली के साउथ टिरोल इलाके में प्रकृति के एक अजीब करिश्मे की। ये पिरामिड भी मिट्टी व पत्थर के ही बनते हैं, बस फर्क इतना है कि न उनका कोई पक्का नाप-जोख होता है और न ही उनके भीतर कुछ रखने या किसी को हजारों सालों तक लंबी नींद में सुलाने की कोई व्यवस्था होती है। इन्हें हम पिरामिड कहते हैं तो इनके आकार के लिए जो नीचे से बड़ा और ऊपर जाते-जाते नुकीला हो जाता है। कहा जाता है कि ये असामान्य ढांचे उस मिट्टी से बनने शुरू हुए जो पिछले हिम युग के बाद ग्लेशियरों के पिघल जाने से पीछे रह गई थी। जब मौसम शुष्क होता है तो यह मिट्टी चट्टान जैसी सख्त हो जाती है, लेकिन जैसे ही...
Read Moreफ़ारस का इतिहास बहुत ही नाटकीय रहा है। ईरानी इतिहास में साम्राज्यों की कहानी ईसा के 600 साल पहले के हख़ामनी शासकों से शुरु होती है। इनके पश्चिम एशिया और मिस्र पर ईसापूर्व 530 के दशक में जीत हासिल करने से लेकर अठारहवीं सदी में नादिरशाह के भारत पर आक्रमण करने तक कई साम्राज्यों ने फ़ारस पर शासन किया। इनमें से कुछ फ़ारसी सांस्कृतिक क्षेत्र के थे तो कुछ बाहरी। फ़ारसी सांस्कृतिक प्रभाव वाले क्षेत्रों में आधुनिक ईरान के अलावा इराक का दक्षिणी भाग, अज़रबैजान, पश्चिमी अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान का दक्षिणी भाग और पूर्वी तुर्की भी शामिल हैं। ये सब वो इलाके हैं जहाँ कभी फारसी शासकों ने राज किया था और जिसके कारण उनपर फारसी संस्कृति का प्रभाव पड़ा था। सातवीं सदी में ईरान में इस्लाम आया। इससे पहले ईरान में जरदोश्त के धर्म के अनुयायी रहते थे। ईरान शिया इस्लाम का केन्द्र माना जाता है। कुछ लोगों ने इस्लाम ...
Read Moreनिचले हिमालय की तलहटी में बीड़ गांव हिमाचल प्रदेश की जोगिंदर नगर घाटी के पश्चिम में स्थित है। इसे आम तौर पर भारत की पैराग्लाइडिंग राजधानी कहा जाता है। लेकिन इसके अलावा बीड़ इको टूरिज्म, आध्यात्मिक अध्ययन और ध्यान आदि गतिविधियों का भी केंद्र है। यह इलाका तिब्बती शरणार्थियों का बसेरा रहा है इसलिए बीड़ गांव में और आसपास कई बौद्ध मठ व स्तूप हैं। इसलिए पर्यटन के लिहाज से देखा जाए तो बीड़ का महत्व पैराग्लाइडिंग के अलावा भी बहुत है। लेकिन फिलहाल यहां आने वाले सैलानियों में बहुतायत पैराग्लाइडिंग के शौकीनों की है। कांगड़ा घाटी में उड़ता पैराग्लाइडर बिलिंग दरअसल पैराग्लाइडिंग के लिए टेक-ऑफ साइट है और बीड़ गांव मं लैंडिंग साइट है। दोनों को मिलाकर बीड़-बिलिंग कहा जाता है और वे इसी साझे नाम से ही ज्यादा लोकप्रिय भी हैं। बिलिंग करीब 16 किलोमीटर दूर है बीड़ गांव से, उत्तर की तरफ धौलाधार पर्वत श्रृ...
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