सैलानियों के हिमाचल में आने के नियमों में और ढील

हिमाचल प्रदेश सरकार ने शनिवार से पर्यटकों समेत हर किसी के लिए प्रदेश की सीमाएं खोल दी हैं। अब कोई भी बिना ई-पास सूबे में प्रवेश कर पाएगा। केवल सरकार के कोविड ई-पास सॉफ्टवेयर में 48 घंटे पहले अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। अब जिला उपायुक्तों से मंजूरी लेना जरूरी नहीं है

कोविड-19 के कारण सूबे में सैलानियों के प्रवेश पर रोक लगाने के करीब साढ़े तीन महीने बाद हिमाचल सरकार ने शनिवार से पर्यटकों समेत हर किसी के लिए प्रदेश की सीमाएं फिर से खोल दी हैं। अनलॉक 2.0 की प्रक्रिया के तहत लोगों की आवाजाही में छूट देने की प्रक्रिया में अब कोई भी व्यक्ति बिना ई-पास के सूबे में प्रवेश कर सकता है। उन्हें केवल सरकार के कोविड ई-पास सॉफ्टवेयर (covid19epass.hp.gov.in) में 48 घंटे पहले अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। अब जिला उपायुक्तों से पहले मंजूरी लेना जरूरी नहीं है।

पर्यटकों को सशर्त एंट्री मिलेगी। उन्हें होटल में कम से कम पांच दिन की बुकिंग पहले से करानी होगी। साथ ही राज्य में प्रवेश करने से पहले और अधिकतम 72 घंटे के दरम्यान हुई कोरोना जांच में रिपोर्ट निगेटिव होनी चाहिए। जांच आईसीएमआर से मान्यता प्राप्त किसी लैबोरेटरी से ही होनी चाहिए। राज्य के प्रमुख सचिव राजस्व ओंकार शर्मा ने बताया कि प्रदेश में प्रवेश करने से पहले रजिस्ट्रेशन फार्म पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन किया जाएगा।  राज्य का पर्यटन विभाग होटलों के लिए बाकी परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करेगा। सैलानियों को राज्य के स्वास्थ्य विभाग के मानकों का भी पूरा पालन करना होगा।

केंद्र के निर्देश के बाद प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी। बाहर से आने वाला हिमाचली या यहां काम करने वाले अगर रेड जोन से आता है तो उसे संस्थागत और ग्रीन या ऑरेंज जोन से आता है तो 14 दिन होम क्वारेंटाइन में रहना पड़ेगा। पर्यटन गतिविधियां शुरू करने के लिए भी राज्य आपदा प्रबंधन सेल ने गाइडलाइन जारी कर दी है। होटलों की एडवांस बुकिंग करवाने वाले सैलानी क्वारेंटाइन नहीं होंगे। पर्यटन विभाग को इससे राज्य में पर्यटन गतिविधियों के तेजी पकड़ने की उम्मीद है। नई गाइडलाइन के बाद अब निजी होटल मालिक भी होटल खोलने को तैयार हैं।

हालांकि राज्य के खेतों, बागानों व परियोजनाओं में काम करने वाले कर्मचारी या किसी ठेकेदार के लिए काम करने वाले श्रमिक सीधे अपने काम के स्थलों पर जा सकेंगे। उनके रजिस्ट्रेशन और क्वारेंटाइन की जिम्मेदारी उनके नियोक्ताओं की होगी। प्रदेश के रेस्तराओं और ढाबों में 60 फीसदी आक्यूपेंसी की शर्त ही आने वाले दिनों में जारी रहेगी। इसमें पर्यटन विभाग ही बदलाव कर सकता है।