रात भर घने जंगल से आती हुई झिंगुरों की आवाजें और फिर सवेरे की रोशनी निकलते ही उन आवाजों की जगह सैकड़ों तरह की चिड़ियाओं की चहचहाट का ले लेना, दिल को सुकून देने के लिए यह कोई कम तो नहीं पिछले कुछ महीनों की ही तरह वह शनिवार भी कुछ खास तरीके से बीतता प्रतीत नहीं हो रहा था। शुक्रवार की रात सोने जाते वक्त जेहन में एक और बैरंग और एकरस दिन बीतने की तैयारी थी। पिछले कुछ समय से या तो मैं व्यस्त हो जा रहा था या फिर मेरी जीवन संगिनी को कोई न कोई काम आ जाता था। लिहाजा हमें निकलने का मौका ही नहीं मिल पा रहा था। फिर अचानक शनिवार की सुबह यह पता चला कि उस रोज हमारी लाइफ पार्टनर को काम पर नहीं जाना था। मैंने भी अपना बचा-खुचा काम छोड़ा और आधे ही घंटे के भीतर हम हाइवे पर थे। हमारे लिए छोटी ही सही लेकिन यह बहुत जरूरी रोड ट्रिप थी। हम गुवाहाटी से नामेरी नेशनल पार्क के लिए निकल पड़े। मेरे लि...
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पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में सिक्किम सैलानियों की पहुंच में भी सबसे ज्यादा रहा है और लोकप्रिय भी। असम में गुवाहाटी कामाख्या मंदिर और माजुली द्वीप की वजह जाना जाता रहा है तो पूर्वी असम के इलाके अपने चाय बागानों के लिए। इसी तरह शिलांग व चेरापूंजी के इलाके अपने झरनों के लिए दुनियाभर में लोकप्रिय रहे हैं। पूर्वोत्तर को सड़क के रास्ते रोमांचक ढंग से घूमना हो तो उसके कई तरीके हो सकते हैं। सिकिक्म में गंगटोक से मंगन होते हुए उत्तरी सिक्किम में युमथांग और जीरो प्वाइंट तक का रास्ता बहुत खूबसूरत है। पूरा रास्ता तीस्ता और उसकी सहायक नदियों के किनारे-किनारे चलता है। कंचनजंघा चोटी के नजारों से लकदक यह रास्ता दुनिया की सबसे ऊंची व खूबसूरत हिमालयी झीलों में से एक गुरु डोंगमार झील की तरफ ले जाता है। बस उसके लिए खुला मौसम और खुले रास्ते, दोनों की दरकार होती है। खास तौर पर लाचेन से गुरु डोंगमार तक...
Read Moreआम तौर पर जब नौका दौड़ की बात होती है तो सैलानियों के जेहन में सिर्फ केरल का नाम आता है क्योंकि केरल के बैकवाटर्स अपनी सर्प नौका दौड़ों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। लेकिन भारत में और भी इलाके हैं जहां हर साल पारंपरिक रूप से नौका दौड़ होती है। हम यहां बात कर रहे हैं पूर्वोत्तर राज्यों की। असम, त्रिपुरा, मणिपुर आदि राज्यों में हर साल कई नौका दौड़ों का आयोजन होता है। भले ही अभी सैलानी नक्शे पर इनकी जगह उस तरह से न बन पाई हो लेकिन इनकी खूबसूरती व भव्यता में किसी तरह की कोई कमी नहीं हैं। त्रिपुरा की रुद्रसागर झील में बोट फेस्टिवल के लिए जमा लोग। फोटो साभारः यूबी फोटोज त्रिपुरा में हर साल रुद्रसागर झील में एक नौका दौड़ सितंबर-अक्टूबर के महीनों में होती है। रुद्रसागर झील राजधानी अगरतला से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मेलाघर के पास स्थित इसी झील के बीच में ऐतिहासिक नीरमहल स्थित है।...
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