दुनिया के सैलानियों में कंबोडिया के अंगकोर वाट के मंदिरों की लोकप्रियता ठीक उसी तरह की है जैसे हमारे यहां स्थित ताजमहल की! यदि आप दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में भ्रमण का मन बना रहे हों तो अपने यात्रा कार्यक्रम में कंबोडिया को अवश्य शामिल करें क्योंकि यहां एक ऐसी वास्तुशिल्पीय जादूनगरी है जिसका भव्य रूप आपको बार-बार रोमांचित करता रहेगा। यह जादूनगरी है अंगकोर वाट। कंबोडिया के सियमरीप शहर से करीब 5.5 किलोमीटर दूर स्थित अंगकोर वाट दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक परिसर माना जाता है। यह खमेर स्थापत्य कला और वास्तुशिल्प का बेजोड़ नमूना होने के साथ-साथ कंबोडियाई लोगों का गौरवशाली प्रतीक भी है और कंबोडिया के राष्ट्रीय ध्वज पर इसकी छवि अंकित है। प्राचीन कलाकारों ने अपनी कला-प्रतिभा की अभिव्यक्ति के लिए मंदिरो,मस्जिदों और गिरजाघरों को माध्यम बनाया था। पाषाण, ईंटों और चूना पत्थर से खड़े किए गए कई स्म...
Read MoreTag: मंदिर
खजुराहो का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहां खजूर के पेड़ों का विशाल बगीचा था। खजिरवाहिला से नाम पड़ा खजुराहो। लेकिन यह अपने आप में अद्भुत बात है कि यहां कोई भी खजूर के लिए नहीं आता। यहां आने वाले इसके मंदिरों को देखने आते हैं। भारतीय मंदिरों की स्थापत्य कला व शिल्प में खजुराहो की जगह अद्वितीय है। इसकी दो वजहें हैं- एक तो शिल्प की दृष्टि से ये बेजोड़ हैं ही, दूसरी तरफ इनपर स्त्री-पुरुष प्रेम की जो आकृतियां गढ़ी गई हैं, उसकी मिसाल दुनिया में और कहीं नहीं मिलती। यही कारण है कि खजुराहो को यूनेस्को से विश्व विरासत का दरजा मिला हुआ है। भारत आने वाले ज्यादातर विदेशी पर्यटक खजुराहो जरूर आना चाहते हैं। वहीं हम भारतीयों के लिए ये मंदिर एक हजार साल पहले के इतिहास का दस्तावेज हैं। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के राजाओं ने किया था। इनके निर्माण के पीछे की कहानी भी बड़ी रोचक है। कहा जाता ह...
Read More
You must be logged in to post a comment.