हंपी के कुछ हिस्सों में घूमते हुए कई बार लगता नहीं कि हम पांच सौ साल पुराने इतिहास के बीच हैं। सब कुछ इतना जीवंत लगता है। वहां जाकर महसूस होता है कि जीत का अहसास कितनी भव्यता प्रदान करता है और हार उस भव्यता को किस कदर मटियामेट कर देती है। हंपी में ये दोनों ही नजारे साथ-साथ देखने को मिलते हैं हेमकुटा पहाड़ियों पर बने इक्कीस शिव मंदिरों में से एक में मैंने बारिश से बचने के लिए अपने गाइड के साथ शरण ले रखी थी। पीछे विशाल चट्टानों से बहता पानी बहुत सुंदर लग रहा था। उसने छोटे-छोटे झरनों के आकार ले लिए थे। सामने विरुपाक्ष मंदिर के तीनों शिखर एक साथ दिखाई दे रहे थे। विरुपाक्ष मंदिर हंपी के उन गिने-चुने मंदिरों में से है जिनमें आज भी विधिवत पूजा होती है। विरुपाक्ष मंदिर के भीतर जितनी चहल-पहल थी, उसके उलट हेमकुटा पहाड़ी से आसपास बने शिव मंदिरों, जैन मंदिरों और पीछे विरुपाक्ष मंदिर क...
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