देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में घृष्णेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग बारहवें स्थान पर आते हैं। मान्यता है कि इन सभी शिवलिंगों की यात्रा के अंत में घृष्णेश्वर के दर्शन बिना शिव भक्तों की यात्रा सफल नहीं होती। यह स्थान शिवालय-तीर्थस्थान कहलाता है। इस शिव मंदिर में स्थापित पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए शिव भक्तों को पहले महाराष्ट्र के औरंगाबाद पहुंचना होता है। उसके बाद सड़क मार्ग से 30 कि.मी. दूर वेरूल गांव पहुंचते है। यहां एक विशेष प्रकार के शांत वातावरण में स्थापित मंदिर यह दिखाई देता है। विश्व प्रसिद्ध एलोरा गुफाएं मंदिर से एक-डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर हैं और उनके समीप मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र भी है। मंदिर से कुछ किलोमीटर पहले औरंगजेब का किला सड़क मार्ग से दिखाई देता है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफाओं के निकट स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग ...
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शहर की भीड़ भाड़ की जिंदगी से जब कभी मन ऊब जाए तो कुछ दिन पहाड़ों के साथ बिताने चाहिए। इससे मन तरोताजा हो जाता है और अपने निजी जिंदगी के काम में दोगुनी ताकत का एहसास होता है। इस बार तो वैसे भी कोरोना महामारी के कारण हम चार महीने घरों में कैद हो गए थे। उसके बाद उत्तराखंड उन कुछ राज्यों में से है जो सैलानियों को आने की इजाजत दे रहा है। तो क्यों न मौके का फायदा उठाया जाए। लिहाजा इस बार हम गंगोत्री और इसके आसपास की सैर को चल रहे हैं। गंगोत्री मंदिर धार्मिक महत्व के लिहाज से गंगोत्री उत्तराखंड के चार धामों में से एक महत्वपूर्ण धाम है। गंगोत्री समुद्र तल से 3,048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बताया जाता है कि 18वीं शताब्दी के प्रारंभिक सालों में एक गोरखा कमांडर द्वारा गंगोत्री मंदिर का निर्माण किया गया था। यह मंदिर 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गंगा नदी के मंदिर के लिए गंगोत्री...
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