कोरोना के बाद के दौर में घूमने के लिए यदि आप किसी भीड़-भाड़ व कोलाहल से मुक्त अनसुनी लेकिन निहायत खूबसूरत जगह की तलाश में हों तो हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित देवीदहड़ एक ऐसी ही जगह है दुनिया में ऐसी बहुत सी जगहें हैं जो हमेशा सैलानियों से गुलज़ार रहती हैं। ये वे जगहें हैं जो विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपना स्थान बना चुकी हैं। परंतु ऐसे ही सुंदर पर्यटन स्थलों का किस्सा यहीं पर ही नहीं रुक जाता है। इन स्थलों की फेहरिस्त तब और लंबी हो जाती है जब हम उन स्थलों से रुबरु होते हैं जहॉं अभी दुनिया की नजर ढंग से पहुंच ही नहीं पाई है। ऐसे ही स्थानों में से एक है हिमाचल प्रदेश का देवीदहड़, जिसकी अनछुई खूबसूरती को देखकर सैलानियों के मुंह से बस ‘वाह-वाह’ के शब्द ही निकलते हैं। खजियार जैसी खूबसूरती देवीदहड़ का नैसर्गिक सौंदर्य लोगों को इस कदर आकर्षित करता है कि एक बार यहॉं पहुंचने वाल...
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देश-दुनिया के सैलानियों के आकर्षण का केंद्र ही कुल्लू घाटी में पसरी बर्फ। इसलिए मनाली से रोहतांग तक पर्यटकों की आमद यहां लाखों लोगों के रोजगार का जरिया बन जाती है। बर्फ मानो चांदी की बरसात लेकर आती है। बसंत के बाद मैदानों की तपिश जैसे-जैसे बढ़ने लगती है, देश भर का पर्यटक इससे कुछ निजात पाने के लिए पहाड़ों की ओर रुख करने लगता है। ज्यों ज्यों मैदान ज्यादा गर्म होने लगते हैं त्यों त्यों पर्यटकों का यह रेला बढ़ता जाता है, मगर फिर जैसे ही मानसून दस्तक दे देता है तो यह सिलसिला एकदम से रुक जाता है, पूरी घाटी सूनी हो जाती है। यहां की खूबसूरती मन मोहने वाली है लेकिन बदलते हालात में अब पर्यटकों की पसंद भी बदलने लगी है और वह जहां गर्मी से निजात पाने के लिए पहाड़ों की ओर रुख करते हैं, वहीं उनकी पसंद बर्फ पर कूदना, भागना, गिरना, पड़ना, फिसलना, उड़ना और अठखेलियां करना भी हो गया है। बर्फ के फाह...
Read Moreइस ऐतिहासिक कस्बे को देखे बिना कुल्लू-मनाली की यात्रा अधूरी समझी जाती है। दरअसल कई मायनों में इसकी अहमियत आसपास की बाकी प्रमुख जगहों के बराबर ही है कुल्लू-मनाली को दुनिया भर में अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है। हर पर्यटक अपने जीवन में इन जगहों को एक बार तो जरूर निहारने की इच्छा रखता है। यही कारण है कि अमूमन पूरे साल भर यहां सैलानियों का तांता लगा रहता है। कुल्लू से मनाली की ओर थोड़ा सा आगे ही राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 पर पतली कुल्ह से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर व्यास नदी को पार करके हम एक ऐतिहासिक स्थान ‘नग्गर’ पहुंचते हैं। यह वह जगह है जिसे देखे बिना आपकी कुल्लू-मनाली की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी। दरअसल माना जाता है कि कुल्लू के इतिहास और सांस्कृतिक पहलुओं की जड़ें इसी जगह पर विद्यमान हैं। तो आइए, फिर देर किस बात की...
Read Moreहिमाचल प्रदेश सरकार ने अपनी सीमाएं पूरी तरह खोल दी हैं। हालांकि सीमाएं तो उसने पहले ही खोल दी थी लेकिन उसने राज्य की सीमा में प्रवेश करने के लिए लगाई सारी शर्तें भी हटा दी हैं। यानी अब आप बेरोकटोक, बिना किसी कागजात, पास या रजिस्ट्रेशन की जरूरत के हिमाचल प्रदेश जाकर हिमालय की बर्फीली चोटियों और नजारों का आनंद ले सकते हैं। हालांकि यह आपके अपने हित में होगा कि आप कोविड-19 से पूरी तरह बचाव करें क्योंकि पाबंदियां हटाने का मतलब यह नहीं है कि हिमाचल प्रदेश या और कहीं भी कोरोना का खचरा नहीं रहा है। खतरा उतना ही है या हो सकता है पहले से ज्यादा हो लेकिन पर्यटन उद्योग के सामने खड़े अस्तित्व के संकट के देखते हुए ज्यादा से ज्यादा सैलानियों को राज्य में आने का मौका देना निहायत जरूरी हो गया था। गर्मियों का सीजन पहले ही खो चुके पर्यटन उद्योग के लिए एक औऱ सीजन खो देना बहुत घातक हो जाता। ...
Read Moreकौन नहीं चाहता कि प्रकृति की हसीन वादियों में कुछ समय बिताया जाए। फिर वह जगह ऐसी हो कि जहां आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ प्रकृति के खूबसूरत नजारे और रोमांच एक साथ हों तो सोने पे सुहागा जैसी बात होगी। कुछ ऐसे ही अनुभवों से सराबोर करती है हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की जंजैहली घाटी। जंजैहली घाटी ने देशी व विदेशी पर्यटकों के लिए एक अच्छा खासा प्लेटफार्म तैयार कर लिया है। सीजन में रोजाना सैकड़ों की तादाद में सैलानी यहां घूमते करते देखे जा सकते हैं। मंडी से जंजैहली बस स्टैंड तक की दूरी लगभग 86 किमी है। किसी भी वाहन से यहां पहुंचा जा सकता है। जंजहैली से दो किलोमीटर पीछे पांडवशिला नामक स्थान आता है जहां आप उस भारी-भरकम चट्टान को देख सकते हैं जो मात्र आपकी हाथ की सबसे छोटी अंगुली से हिलकर आपको अचंभित कर देगी। इस चट्टान को महाभारत के भीम का चुगल (हुक्के की कटोरी में डाला जाने वाला छोटा-सा पत्...
Read Moreअब कोविड-19 के दौर में हिमाचल के दुर्गम इलाकों में पहुंचना तो कठिन ही लग रहा है। वैसे स्पीति घाटी में जाने का समय अक्टूबर के महीने तक रहता है। क्या पता तब तक हाल सुधर जाए! इसीलिए हम आपको बता रहे है इस खूबसूरत झील के बारे में। यहां पहुंच कर हर किसी के मुंह से अनायास ही निकल जाता है कि जमीन पर यदि जन्नत है तो बस चंद्रताल में ही है। समुद्रतल से 14500 फीट की उंचाई पर हिमाचल प्रदेश के कबाइली क्षेत्र स्पीति में रेतीले, नंगे और सूखे पहाड़ों के बीच मीलों दायरे में फैली एक झील चंद्रताल जो अपने निर्मल शांत जल के लिए जानी जाती है, जिसमें नजर आता है आसमां और जमीन का अक्स, जो किसी को भी रोमांचित किए बिना नहीं रहता। मेरा यहां पर चौथी बार जाना हुआ तो न केवल सफर बल्कि यहां की आवोहवा का भी काफी नजारा बदला सा लगा। इस बार स्पीति में 80 फीसदी बारिश कम हुई है ऐसे में पूरे क्षेत्र से हरियाली गायब है, ठहर...
Read Moreयूं तो देश की ज्यादातर पहाडिय़ों में कहीं न कहीं शिव का कोई स्थान मिल जाएगा, लेकिन शिव के निवास के रूप में सर्वमान्य कैलाश पर्वत के भी एक से ज्यादा प्रतिरूप पौराणिक काल से धार्मिक मान्यताओं में स्थान बनाए हुए हैं। तिब्बत में मौजूद कैलाश-मानसरोवर को सृष्टि का केंद्र कहा जाता है। वहां की यात्रा आर्थिक, शारीरिक व प्राकृतिक, हर लिहाज से दुर्गम है। उससे थोड़ा ही पहले भारतीय सीमा में पिथौरागढ़ जिले में आदि-कैलाश या छोटा कैलाश है। इसी तरह एक और कैलाश हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले में है। ये दोनों कैलाश भी बड़े कैलाश की ही तरह शिव के निवास माने जाते हैं और इनका पौराणिक महात्म्य भी उतना ही बताया जाता है। धौलाधार, पांगी व जांस्कर पर्वत शृंखलाओं से घिरा यह कैलाश पर्वत मणिमहेश-कैलाश के नाम से प्रसिद्ध है और हजारों वर्षों से श्रद्धालु इस मनोरम शैव तीर्थ की यात्रा करते आ रहे हैं। यहां मणिमहेश नाम ...
Read Moreपहाड़ों की गोद में पसरे ठंडे स्वच्छ निर्मल जल ने मानवीय मन व शरीर को हमेशा आमंत्रित किया है और पनीली आगोश में टहलता जमीन का गोलमटोल हिस्सा भी हो तो अचरज भरे अद्भुत अनुभव होने स्वाभाविक हैं। कुछ ऐसी ही जादूगरनी है पराशर झील। खूबसूरत ख्वाब के दो हिस्से जैसे हैं पराशर स्थल और झील। मंडी की उत्तर दिशा में लगभग 50 किलोमीटर दूर हिमाचल की प्राकृतिक झीलों में से एक, स्वप्निल मनोरम व नयनाभिराम। किसी भी मौसम में खिंचे चित्र इतने दिलकश लगते हैं कि पराशर जाने के लिए सैलानी मन को मानो पंख लग जाते हैं। एक बार झील का सानिध्य प्राप्त हो जाए तो समझ में आता है कि हमेशा कंकरीट के जंगल में घूमने से बेहतर है कुदरत के घर भी आया जाए। हिमाचल आकर अतिरिक्त निर्मल आनंद की चाह रखने वालों को मां प्रकृति की पराशर जैसी सौम्य गोद में अवश्य जाना चाहिए। आप मनाली जा रहे हैं या लौट रहे है रास्ते में मंडी रुक जाइए। यहा...
Read Moreकुल्लू-मनाली और लाहौल-स्पीति घाटियों के लिए सबसे निकट के हवाई अड्डे भुंतर के लिए 16 जुलाई से विमान सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी। एयर इंडिया की एलायंस एयर का विमान बृहस्पतिवार से सप्ताह में तीन दिन दिल्ली से भुंतर और फिर वापसी की उड़ान भरेगा। कोविड-19 महामारी के कारण देश में विमान सेवाएं भी स्थगित कर दी गई थीं। बाकी कई शहरों के बीच तो उड़ानें मई के अंत में शुरू हो गई थीं। भुंतर के लिए अब सेवाएं शुरू की जा रही हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस महीने के शुरू में राज्य में देश के बाकी हिस्सों से सैलानियों के आने की इजाजत दे दी थी। राज्य के दूसरे हवाई अड्डे, कांगड़ा घाटी में धर्मशाला के निकट गग्गल के लिए उड़ानें मई के आखिरी सप्ताह में शुरू हो गई थीं लेकिन तब केवल हिमाचल निवासियों को ही हवाई सेवा के इस्तेमाल की इजाजत दी गई थी। अब भुंतर में हवाई जहाज से आने वाले यात्रियों के लिए भी उसी स्वास्थ्य प्रोटो...
Read Moreहिमाचल में ऐसी बहुत सी हैरतअंगेज, दिलचस्प और रहस्य से परिपूर्ण जगहें हैं जहां तक पहुंच पाना अपने आप में रोमांच और साहस का परिचायक होता है। इसी कड़ी में एक नाम जुड़ जाता है कुल्लू घाटी में स्थित ‘सरयूल सर’ का। चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 से 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस सर की यात्रा हमें ऐसी जगहों से परिचित करवाती है जो प्राकृतिक सौंदर्य से तो लबालब हैं ही, साथ ही अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी जाने जाते हैं। इन क्षेत्रों का रहन-सहन और अथक मेहनत से भरा जीवन हमें सदा कर्म करने की सीख दे जाता है। जलोड़ी जोत इस यात्रा का सबसे ऊंचाई पर बसा स्थल है। इस इलाके की खूबसूरती के आकर्षण के चलते यहां बॉलीवुड की लोकप्रिय फिल्म 'ये जवानी है दीवानी’ और कई हिमाचली एलबम व फिल्म की शूटिंग भी हो चुकी है। सरयूलसर झील के किनारे बूढ़ी नागणी का मंदिर अजूबे से कम नहीं जलोड़ी...
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