हिमालय का अलौकिक सौंदर्य, उससे निकलती कल-कल छल-छल नदियों का संगम, मीलों तक फैला वन क्षेत्र और सुरम्य घाटियां उत्तराखंड की सबसे बड़ी धरोहर हैं। प्रकृति का ये अनुपम उपहार उसे शेष दुनिया से अलग पहचान देता है यही वजह है कि यहां हर मौसम में सैलानियों की आवाजाही रहती है। गढ़वाल की ऊंचाइयों मे प्रकृति के हाथों बेहिसाब सुंदरता बिखरी पड़ी है। गंगोत्री के रास्ते में हर्षिल आम सैलानी स्थलों से अलग है- शांत व मनोरम. भीड़-भाड़ से मुक्त। लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां जाने वाले सैलानियों की तादाद बढ़ी है। अब जब कोरोना के कारण लगी आने-जाने की पाबंदियां हट गई हैं तो आइए करें फिर से एक बार पहाड़ों का रुख गढ़वाल के अधिकतर सौंदर्य स्थल दुर्गम पर्वतों में स्थित हैं जहां पहुंचना सबके लिए आसान नहीं है। यही वजह है कि प्रकृति प्रेमी पर्यटक इन जगहों पर पहुंच नहीं पाते हैं। लेकिन ऐसे भी अनेक पर्यटक स्थल हैं जहा...
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उत्तराखंड में कुछ स्थलों पर प्रकृति कुछ अधिक ही मेहरबान दिखती है जिनमें गढ़वाल जिले का खिर्सू भी एक है। इसके एक ओर गगन चूमती भव्य हिमचोटियों दिखती है तो पीछे बांज, बुरांश व देवदार आदि पेड़ों का सम्मोहित कर जाने वाला घना जंगल। शान्ति ऐसी कि बाहरी शोर प्रकृति की निशब्दता के बीच बेसुरा व अलग सा लगने लगता है। समुद्रतल से लगभग 1750 मीटर की ऊंचाई पर बसा खिर्सू एक गांवनुमा कस्बा है और इसी नाम से बने विकासखण्ड का प्रशासनिक केंद्र भी। बताया जाता है कि खरसू के पेड़ों की बहुलता के कारण ही एक अंग्रेज अधिकारी ने इस जगह को यह नाम दे दिया। शोरोगुल से दूर खिर्सू ऐसे पर्यटकों की पसंदीदा जगह हैं जो शोरोगुल व भीड़ से दूर रहकर प्रकृति के सानिध्य का भरपूर आनंद उठाना चाहते हैं। खिर्सू दूसरे स्थानों के विपरीत भीड़-भाड और हो-हल्ले से कोसों दूर है। गांव के जितना सीमित और बाजार के न...
Read Moreउत्तर भारत के हिमालयी राज्यों में बसे उन खूबसूरत छावनी नगरों में से एक है लैंसडौन जिन्हें अंग्रेजों ने स्थापित किया था। इसलिए लैंसडौन का इतिहास तो पुराना नहीं, लेकिन फिर भी वह पहाड़ में बसे बाकी हिल स्टेशनों की तुलना में शांत है। लेकिन हकीकत यह भी है कि अंग्रेजों ने छावनियां बनाने के लिए उन्हीं जगहों को चुना भी था जहां प्रकृति ने भी जमकर खूबसूरती बिखेरी थी। इसीलिए उत्तराखंड में लैंसडौन शहर बसाने की इंसानी मेहनत के साथ कुदरत की नियामत का बढ़िया मेल है दिल्ली से निकटता के अलावा लैंसडौन की कई खूबियां बार-बार यहां आने को आमंत्रित करती हैं। अन्य हिल स्टेशनों में चौतरफा कंक्रीट के जंगलों के उगने से वह उतने नैसर्गिक नहीं रहे जितना कि गढ़वाल के पौड़ी जिले में स्थित लैंसडौन। यहां प्रकृति को उसके अनछुऐ रूप में देखा जा सकता है। आज भी यह सैलानियों व वाहनों की भीड़ और शोर व प्रदूषण से दूर यह एक बेह...
Read MoreCarbon outflux from Earth’s interior to the exosphere through volcanic eruptions, fault zones, and geothermal systems contribute to the global carbon cycle that effects short and long term climate of the Earth. Himalaya hosts about 600 geothermal springs, commonly known as hot springs, having varied temperature and chemical conditions. Their role in regional and global climate, as well as the process of tectonic driven gas emission, needs to be considered while estimating emissions to the carbon cycle and thereby to global warming. Hot spring near Yamunotri Indian Himalayan geothermal field hosts about 340 geothermal springs in natural as well as artesian condition that eject hot waters and volatiles with varied temperature and chemical composition. These sites provide an opportunit...
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